राजनांदगांव : बारिश के आते ही हरी रंगत ले रहे हैं पेड़, पौधे और खेत

राजनांदगांव : बारिश के आते ही हरी रंगत ले रहे हैं पेड़, पौधे और खेत

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-07-24 09:06 GMT
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डिजिटल डेस्क,  राजनांदगांव  बैगा जनजाति कर रहे हैं धान की खेती : आर्थिक उन्नति की दिशा में बढ़े कदम राजनांदगांव 23 जुलाई 2020 बारिश के आते ही मौसम खुशनुमा हो गया है। जर्द पत्ते हरी रंगत ले रहे हैं, शाखों पर रंग बिरंगे फूल खिल रहे हैं और धरती हरियाली की चादर ओढ़े हुई है। ऐसे मौसम में निदा फाजली की यह पंक्तियाँ उपयुक्त लगती हैं - गरज बरस प्यासी धरती पर पानी दे मौला, चिडिय़ों को दाना, बच्चों को गुड़धानी दे मौला इस बरस तो छुईखदान विकासखंड के देवपुरा ग्राम पंचायत के सुदूर वनांचल ग्राम ढोलपिट्टा के निवासी विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा के चेहरों पर एक अलग ही उमंग और उत्साह है। यह खुशी है शासन की ओर से ढोलपिट्टा गांव के बैगा जनजाति को वन अधिकार पट्टा मिलने की। इस बरस बैगा जनजाति ने धान की फसल लेने की ठानी है और इस कार्य में लग गए हैं। कहीं रोपा तो कहीं निंदाई का कार्य तेजी से चल रहा है। बैगा जनजाति के जीवन में यह नया मोड़ आया है, जिसके परिवर्तन दूरगामी होंगे। पहले तो जंगल में लघु वनोपज संग्रहण एवं मुर्गीपालन, बकरी पालन उनकी आजीविका का साधन था। शासन की ओर से मिली यह जमीन उनके लिए बहुत मोल रखती है, जिससे अब उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी। गांव में 30 बैगा परिवार हैं और हर परिवार को 5 एकड़ एवं कुल 150 एकड़ जमीन मिली है, जिसमें वे खेती बाड़ी कर रहे हैं। गांव की ललिता, बजरहीन, मंगली और रेखा खेतों में निंदाई का कार्य कर रहीं हैं। ललिता कहती है कि अब हम भी दूसरों की तरह अनाज उगा सकेंगे। गांव की बुजुर्ग बेलो बाई खेतों में कड़ी मेहनत कर रही हैं। वे कहती हैं खेती करे बर जमीन मिले हे तो अब्बड़ बने लगथे। सरकार ल अब्बड़ धन्यवाद। किसान श्री भक्ता धुर्वे बहुत खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि अपनी जमीन पर खेती करने की खुशी ही अलग है। सरकार के इस उपहार से अब हमारे जीवन में परिवर्तन आएगा। सुखियारी भी खेती किसानी के कार्य में लगी हुई थी। किसान श्री टेकचंद मरकाम ने कहा कि अब दो फसल लगाए के मन हे, अउ साग भाजी भी लगाबो। वहीं किसान श्री समल सिंह अपने खेत में स्प्रेयर से कीटनाशक का छिड़काव कर रहे थे। वन विभाग, पंचायत एवं कृषि विभाग निरंतर उनकी तरक्की की दिशा में कार्य कर रहे हैं। बैगा परिवारों को मनरेगा के कार्यों से जोड़कर उन्हें लाभान्वित किया जा रहा है। उनके विकास के लिए शासन की ओर से हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। क्रमांक 117 - उषा किरण

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