47 दिन हर पल सामने खड़ी थी मौत - अपहरणकत्ताओं के चंगुल से छूटे संतबहादुर ने बताई दास्तान

47 दिन हर पल सामने खड़ी थी मौत - अपहरणकत्ताओं के चंगुल से छूटे संतबहादुर ने बताई दास्तान

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-04 07:51 GMT
47 दिन हर पल सामने खड़ी थी मौत - अपहरणकत्ताओं के चंगुल से छूटे संतबहादुर ने बताई दास्तान

डिजिटल डेस्क, सीधी। फिरौती के लिये अपहृत किये गये तेंदुहा निवासी संतबहादुर सिंह ने अपहरणकर्ताओं के चंगुल में 47 दिन गुजारे हैं। इस दौरान ऐसा कोई पल नही बीता है जब मौत सामने खड़ी न दिखाई दी हो। अपहरण के बाद वे काल कोठरी में कैद कर दिये गये थे, जहां पूरा समय बेहोशी की हालत में ही गुजरा है। सुबह चाय में मिलाकर नशा दे दिया जाता था जिससे दिन भर होश नही आता था। पूछताछ करने के दिन जरूर नशे की मात्रा कम होती थी पर खौफ का साया पीछा नही छोड़ता था। संत बहादुर सिंह पिता दिलराज सिंह अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छूूटने के बाद रीवा तो आ गये थे  किंतु उपचार आदि की कार्रवाई पूरी करने के बाद अपने गृह ग्राम तेंदुहा पहुंच सके हैं। इस दौरान दैनिक भास्कर ने उनसे घटना के संबंध में बातचीत की तो अपहरण के दिन से मुक्ति पाने तक की पूरी कहानी बताई है। गौरतलब है कि यह अपहरण काफी सुर्खियों में रहा और 6 राज्यों की पुलिस ने एक माह तक संयुक्त अभियान चलाकर संतकुमार को मुक्त कराकर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। अपहरणकर्ताओं के चंगुल में संत बहादुर बहुत बीमार हो गया था और बात करने की स्थिति में भी नहीं था।

पुलिस बनकर किया था अपहरण
 बकौल संत बहादुर- 23 जुलाई को वे रीवा से सीधी की ओर आ रहे थे उस दिन बारिश भी हो रही थी। बदवार के आगे निकलने के बाद बारिश कुछ कम हो गई और वे जैसे घाट से उतरने लगे कि उनके बोलेरो का पीछा कर रहा सफारी वाहन लगातार हार्न बजा रहा था। पहले तो जगह के अभाव में उन्होंने हार्न को अनसुना कर दिया किंतु जब सायरन बजाया तो अधिकारियों का वाहन समझकर स्पीड धीमी कर किनारे लगा लिया। जैसे ही रफ्तार कम हुई कि सफारी वाहन फिल्मी स्टाइल में उनके वाहन के सामने आ खड़ा हुआ और खाकी वर्दी में दो लोग नीचेे उतरकर वाहन का निरीक्षण कराने की बात करने लगे। बलविंदर सिंह जो वर्दी में था और पिस्टल दबाये हुये था नारायण लोहार को तलाशी लेने का निर्देश दिया जहां पर वाहन में कुछ भी अवैध सामान न होने की बात कही गई। इसके बाद वर्दीधारी ने उन्हें थाने चलने केा कहा और बोलेरो से चाभी निकाल लिया। प्रतिवाद करने पर संत बहादुर के टांग में तेज से प्रहार किया गया जिस कारण वे जमीन पर गिर गये जहां दोनों ने उन्हें उठाकर अपने सफारी वाहन में ले जाकर पटक दिया। इतना ही नहीं उनका हाथ भी बांध दिया और आंख में पट्टी बांध दी थी। अपहरणकर्ताओं ने उन्हें कुछ पेय पदार्थ पिलाया जिससे उल्टी हो गई और कुछ ही देर बाद मुंह दबाकर फिर से नशे की दवा पिलाई जिससे  वे बेहोश हुये तो 48 घंटे बाद ही होश आ सका है।

फिरौती के लिये मांगे नंबर
मोहनिया घाटी से अपहरण के बाद संत बहादुर को मुजफ्फरपुर जिला, वरूराज थाना मनोहर छपरा गांव ले जाकर खालिद मियां के घर में रखा गया था। काल कोठरीनुमा बने कमरे में रखने के बाद जब उन्हें होश आया तब अपहरणकर्ताओं ने उनसे उनके परिजनों के नंबर मागें थे। पहला नंबर उन्होंने अपने जीजा का दिया जहां उन्हीं के मोबाइल से 40 लाख के फिरौती की मांग की गई थी। इसके बाद उनके दूसरे परिजनों और पिता से फिरौती की बात की जाती रही किंतु नंबर पाने के बाद उन्हें फिर से बेहोश कर दिया जाता । संतबहादुर बताते हैं कि सुबह एक बड़े से कप में बंदूक की नोक पर चाय पीने को कहा जाता था और चाय पीते ही वे होश गंवा बैठते थे। जिस कोठरी में उन्हें रखा गया था वहां दो तीन रोटी और एक वाटल पानी रखा रहता था । जिसे वे होश आने के बाद भी खा नही पाते थे। पानी तो ऐसा था कि जैसे केरोसीन मिलाकर रखा गया है। रूखी सूखी रोटी गले नही उतर पाती थी, अगर एकाध टुकड़ा गया भी तो उल्टी होने लगती थी। होश आने के समय वे जानबूझकर किसी तरह की गतिविधि नही करते थे कि कहीं पिस्टलधारी अपहरणकर्ता उन्हें मौत की नींद न सुला दें।

पुलिस और भगवान का किया सुक्रिया
संत बहादुर ने 47 दिन मौत के साये में गुजारे हैं।  दुर्दांत अपहरणकर्ता कब मौत की नींद सुला देंगे कह पाना मुश्किल था। यह तो ईश्वर और पुलिस की कृपा रही है कि वे सही सलामत मौत के मुहाने से लौटकर चले आये हैं। संत बहादुर को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाने के लिये 6 राज्यो की पुलिस लगी रही है। सबसे बड़ा योगदान वे रीवा आईजी , एसपी के साथ यूपीएसटीएफ  सहित 6 राज्यों की पुलिस का मानते हैं। वे कहते हैं- पुलिस ने जिस तरह से अपराधियों की योजना पर पानी फेरा है और उन्हें सकुशल बचाकर परिजनो से मिलाया है ऐसा ईश्वर की कृपा से ही संभव हो सका है। परिजनों और शुभचिंतकों का आशीर्वाद भी उनके साथ रहा है। इसीलिये वे इन सबका सुक्रिया करते हैं।

 

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