नागनदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए ‘जिका’ की टीम नागपुर पहुंची

नागनदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए ‘जिका’ की टीम नागपुर पहुंची

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-24 08:14 GMT
नागनदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए ‘जिका’ की टीम नागपुर पहुंची

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागनदी प्रदूषण निर्मूलन प्रकल्प’ विकास प्रारूप के लिए राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय (एनआरसीडी) द्वारा 1252.33 करोड़ रुपए की मान्यता मिली है। इस प्रकल्प के लिए जापान की वित्तीय संस्था ‘जिका’ आर्थिक सहायता करेगी। इस बाबत 28 नवंबर 2018 को ‘जिका’ (जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी) और मनपा में करार पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

प्रकल्प संदर्भ में ‘जिका’ मुख्यालय की दक्षिण एशिया विभाग-1 के (भारत, भूटान) के उपसहायक संचालक झावझा अंग व कोयामा हरूका ने मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर से चर्चा की। ‘नागनदी प्रदूषण निर्मूलन प्रकल्प’ नियोजन कार्य के क्रियान्वयन संदर्भ में ‘जिका’ द्वारा निप्पॉन कोई इंजीनियरिंग कंस्ल्टेंट की नियुक्ति की गई है। इस टीम का 9 जनवरी से मनपा में कार्य शुरू है। इस कार्य की भी प्रतिनिधियों ने समीक्षा की है। 

इस अवसर पर अतिरिक्त आयुक्त व ‘नागनदी प्रदूषण निर्मूलन प्रकल्प के अध्यक्ष राम जोशी, तकनीकी सलाहकार (नदी व सरोवर) मो. इसराइल, जिका द्वारा नियुक्त किए निप्पॉन कोई इंजिनियरिंग कंस्ल्टेंट के ताकामासा निशिकावा, एनजेएस के प्रकल्प सलाहकार विद्याधर सोनटक्के, नागनदी प्रकल्प क्रियान्वयन टीम के सदस्य डॉ. प्रणिता उमरेडकर, मो. शफिक, संदीप लोखंडे, श्री जीवतोडे, उद्यान अधीक्षक अमोल चौरपगार, आर.डी. राऊत, श्री संगीडवार उपस्थित थे। 

लघु उद्योग महामंडल के खिलाफ 100 करोड़ की मानहानि का दावा
उद्योगपति मनीष मेहता ने राष्ट्रीय लघु उद्योग महामंडल के खिलाफ कोर्ट की शरण ली है। उन्होंने महामंडल के खिलाफ निचली अदालत में 100 करोड़ रुपए की मानहानि का मुकदमा दायर किया है। उनका आरोप है कि महामंडल ने बीते कुछ वर्षों में उन्हें बगैर किसी कारण के विविध मुकदमों में प्रतिवादी बनाया, जिससे उनकी मानहानि हुई है।

मामले में अर्जदार का पक्ष सुनकर कोर्ट ने महामंडल को नोटिस जारी करते हुए 26 अप्रैल तक जवाब मांगा है। महामंडल ने वर्ष 2001 में नागपुर फाउंड्रिज कंपनी के खिलाफ  चेक बाउंस का केस दायर किया था। इस मामले में मेहता को कंपनी संचालक के रूप में प्रतिवादी बनाया गया था। अर्जदार का दावा है कि उनका इस कंपनी से कोई संबंध नहीं था, इसके बाद भी जानबूझ कर परेशान करने के लिए उन्हें इससे जोड़ा गया। ऐसे ही अन्य कई मामलों में उन्हें प्रतिवादी बनाया गया, जिसमंे निर्णय मेहता के पक्ष में आया। अब इस मानहानि की याचिका में मेहता का आरोप है कि महामंडल ने उनकी बदनामी की है। आगे से महामंडल को सावधानी बरतने के आदेश दिए जाएं। याचिकाकर्ता की ओर से एड. विनोद सिंह ने पक्ष रखा।

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