जगजीत सिंह ने अपनी पढ़ाई जालंधर के डीएवी कॉलेज से की थी। वे वहां हॉस्टल में रहते थे, लेकिन उनके साथ कोई कमरे में रहना पसंद नहीं करता था। क्योंकि जगजीत सिंह सुबह पांच बजे उठ कर दो घंटे रियाज करते थे। वे न खुद सोते थे, न बगल में रहने वाले लड़कों को सोने देते थे। बहुत कम लोग ही इस बात को जानते होंगे कि ऑल इंडिया रेडियो के जालंधर स्टेशन ने उन्हें उपशास्त्रीय गायन की शैली में फेल कर दिया था।
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Remembering Jagjit Singh: गूंजती रहेगी 'जग जीत' ने वाली आवाज, कुछ ऐसे थे गजल सम्राट

डिजिटल डेस्क, मुम्बई। गजल सम्राट नाम से मशहूर जगजीत सिंह उर्फ जगजीत दादा की मखमली आवाज का जादू आज भी लोगों पर चढ़ा हुआ है। जब भी गजलों का जिक्र होता है जगजीत सिंह का नाम सबसे पहले याद किया जाता है। उन्होंने ही लोगों को गजलों से अवगत करवाया था। उनकी गजलों को लोग तो बहुत पसंद करते थे, लेकिन गज़ल का ज्ञान रखने वाले लोगों ने उन पर आरोप लगाए कि उन्होंने इसके शास्त्रीय रूप के साथ छेड़छाड़ की है। हालांकि इन सब बातों का जगजीत दादा पर कोई असर नहीं हुआ और वे गजल गाने में मशगूल रहे। 10 अक्टूबर 2011 में जब 70 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा तो हर कोई यही कह रहा था कि ''चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौनसा देश, जहां तुम चले गए...'' आज गजल सम्राट की डेथ एनिवर्सरी पर जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें।


गजलों को गाने का जगजीत सिंह का एक अलग ही तरीका था, जिसे गजल का ज्ञान रखने वाले लोग कम ही पसंद करते थे। उन्हें शास्त्रीय शैली में बी ग्रेड के गायक का दर्जा दिया गया।

जगजीत सिंह हर दो साल में एक एलबम रिलीज करते थे। उनका मानना था कि सुनने वालों को थोड़ी प्रतीक्षा करवानी चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार जब जगजीत सिहं को पहली बार दिल का दौरा पड़ा तो उन्हें मजबूरी में सिगरेट छोड़नी पड़ी। उन्हें इसके कारण अपनी कुछ अन्य आदतों को भी छोड़ देना पड़ा। मसलन अपने गले को गर्म करने के लिए स्टील के ग्लास में थोड़ी-सी रम पीना।

एक बार जब मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह पाकिस्तान इंटरनेशनल (पीआईए) के विमान से करांची से दिल्ली लौट रहे थे। तब विमान कर्मियों को जगजीत सिंह के बारे में पता चला तो उन्होंने उनसे अनुरोध किया कि वे उन्हें कुछ गजलें सुनाएं। लोगों के अनुरोध के बाद जगजीत जी इस बात के लिए राजी हो गए।

प्लेन में जगजीत सिंह ने तब तक गजल सुनाई, जब तक विमान के पायलट ने कंट्रोल रूम से संपर्क कर कहा कि वो विमान को आधे घंटे तक हवा में ही रखेंगे। उस दिन पाआईए के विमान ने दिल्ली के हवाई अड्डे पर निर्धारित समय से आधे घंटे देर से लैंडिंग की। ऐसा इसलिए किया गया ताकि उन्हें जगजीत के साथ अधिक से अधिक समय बिताने का मौका मिल सके।
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