अडानी ग्रुप में डैमेज कंट्रोल जारी, निवेशकों का भरोसा वापस पाने के लिए ग्रुप ने समय से पहले ही चुकाया 2.65 बिलियन डॉलर का लोन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से गिरावट का सामना कर रहे अडानी ग्रुप में अभी भी डैमेज कंट्रोल जारी है। हाल ही ग्रुप ने अपने इन्वेस्टर्स का भरोसा जीतने के लिए समय से पहले ही प्रीपेमेंट प्रोग्राम के तहत बकाया 2.65 बिलियन डॉलर लोन का भुगतान कर दिया है। अडानी ग्रुप की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने 2.15 बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाया जो शेयरों को गिरवी रखकर लिया गया था। इसके अलावा अंबुजा सीमेंट के अधिग्रहण के लिए समूह द्वारा लिया गया 700 मिलियन डॉलर का कर्ज भी चुका दिया गया है।
अदानी ग्रुप ने कहा कि 203 मिलियन डॉलर का ब्याज के रूप में भुगतान किया गया है। इसके अलावा क्रेडिट अपडेट में, समूह ने बताया कि चार सूचीबद्ध समूहों के शेयरों को GQG पार्टनर्स को 1.87 बिलियन डॉलर में बेचने की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने लगाए थे गंभीर आरोप
मौजूदा साल की 24 जनवरी को शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कर अडानी ग्रुप को हिलाकर रख दिया था। हिंडनबर्ग ने समूह पर बड़े पैमाने पर स्टॉक मूल्य में हेरफेर करने, अपनी संपत्ति के मूल्य को गलत तरीके से बढ़ाने और समूह द्वारा नियंत्रित विभिन्न अपतटीय शेल संस्थाओं के माध्यम से अपने 75% से अधिक शेयरों को नियंत्रित करने का आरोप लगाया था। इसके बाद अडानी ग्रुप से निवेशकों ने तेजी से हाथ पीछे खींचने शुरू कर दिए थे और देखते ही देखते गौतम अडानी दुनिया के सबसे दूसरे अमीर शख्स के पायदान से खिसकर टॉप-20 की लिस्ट से भी बाहर हो गए थे।
145 अरब डॉलर का हो चुका है नुकसान
रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद से अभी तक समूह की दस सूचीबद्ध कंपनियों के संयुक्त बाजार पूंजीकरण में 145 अरब डॉलर तक की गिरावट देखी जा चुकी है। हालांकि, समूह ने शेयर की कीमत में हेराफेरी के आरोपों को यह कहते हुए सिरे से खारिज कर दिया था कि वह नियमों के मुताबिक काम करता है। इसके साथ ही उन्होंने निवेशकों का विश्वास फिर से हासिल करने के लिए अपने कर्ज का समय से पहले भुगतान करना भी शुरू कर दिया था।
इसके अलावा हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा किए गए दावों को खारिज करते हुए, मॉरीशस के सांसद ने भी मॉरीशस में अडानी समूह की शेल कंपनियों की मौजूदगी के दावों को झूठा और निराधार बताया था। शॉर्ट-सेलर ने अपनी रिपोर्ट में मॉरीशस, यूएई और कैरिबियाई द्वीपों में अडानी ग्रुप की शेल कंपनियों की मौजूदगी का आरोप लगाया था।
Created On :   5 Jun 2023 9:56 PM IST