GST से खत्म हो सकता है 12-18% टैक्स स्लैब, जेटली ने दिए संकेत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। GDP ग्रोथ रेट में आए सुधार के बाद अब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी में भी सुधार के संकेत दिए हैं। जटेली ने कहा है कि जीएसटी की 12-18% की दरों को मिलाया जा सकता है। इससे जीएसटी दरों की संख्या घटकर तीन रह जाएगी। जिसके बाद सिर्फ दो ही स्लैब बचेंगे। इसी के ही साथ जीएसटी की 28% वाली उच्चतम दर बनी रहेगी। हालांकि इसमें मौजूद वस्तुओं की संख्या बेहद कम हो जाएगी।
एचटी (HT) लीडरशिप समिट में जेटली ने कहा, "नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की शुरुआती अनेक दरों के साथ की गई ताकि कर भार को कमोबेश जीएसटी से पहले के स्तर पर ही रखा जा सके। उन्होंने कहा कि देश धीरे-धीरे ऐसी प्रणाली की ओर बढ़ेगा, जिसमें दो ही दर वाली जीएसटी होगी। हालांकि, यह कितनी जल्दी होगा यह सरकार को मिलने वाले राजस्व की स्थिति पर निर्भर करेगा।" बता दें कि सरकार ने जीएसटी को 1 जुलाई से लागू किया था। बता दें कि इसमें फिलहाल चार टैक्स स्लैब 5, 12, 18 और 28% है।
28% टैक्स स्लैब में से बहुत से आइटम को किया गया है कम
जेटली ने कहा कि हमने 28% टैक्ट वाली लिस्ट को काफी कम किया है और आने वाले समय में इसे और कम कर सकते हैं। एक स्तर पर यह लग्जरी और अहितकारी वस्तुओं तक सीमित हो सकती है। उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रहण में सुधार के साथ सरकार देखेगी कि क्या 12-18% टैक्स स्लैब को एक किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि 12-18% टैक्स स्लैब को मिलाने का मतलब होगा कि 12% दायरे वाले कुछ उत्पादों को 5% टैक्स दायरे में भेजा जाएगा। इसके साथ ही 28% के सबसे ऊंचे टैक्स स्लैब में उत्पादों की बहुत छोटी सूची होगी।
टैक्स की एक दर देश में संभव नहीं
जटेली ने सबसे सवाल किया कि क्या मर्सिडीज कार और हवाई चप्पल पर एक बराबर टैक्स लगाया जा सकता है। यह सामाजिक तौर पर बिल्कुल भी स्वीकार नहीं होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि पहली जुलाई को जीएसटी लागू होने से पहले जियोमेट्री बॉक्स, रबड़ बैंड, कॉपियों पर 31 फीसद टैक्स वसूला जा रहा था। इसीलिए हमने अस्थायी तौर पर उन सभी वस्तुओं को 28 फीसद जीएसटी वाले स्लैब में डाल दिया था।
अब इनमें से अधिकांश को उम्मीद से पहले ही 12-18% के स्लैब में लाया जा चुका है। छोटे व मझोले उद्यमों पर टैक्स अनुपालन का बोझ घटाने की जरूरत थी। जीएसटी प्रणाली में 95% टैक्स उन चार लाख करदाताओं से आता है जो समय पर कर चुकाते हैं। .
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि जरूरत इस बात की है कि बाकी का पांच फीसदी चुकाने वालों पर वास्तव में अनुपालन का बोझ घटाना होगा। मेरा मानना है कि यह आवाज पूरी तरह से वैध है। इसलिए यह बोझ कम करना जरूरी है।"
Created On :   1 Dec 2017 11:23 AM IST