पूर्व CAG विनोद राय को बैंक बोर्ड ब्यूरो के चीफ पद से हटाया, भानु प्रताप शर्मा ने संभाला पद

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने पूर्व सीएजी प्रमुख विनोद राय को बैंक ब्यूरो बोर्ड (बीबीबी) के चेयरमैन पद से हटा दिया है। भानु प्रताप शर्मा अब इसके नए चेयरमैन होंगे। वहीं सरकार ने तीन नए सदस्यों को भी नियुक्त किया है। इनमें वेदिका भंडारकर, पी प्रदीप कुमार और प्रदीप पी शाह शामिल हैं। इस पद पर अभी तक रहे विनोद राय का कार्यकाल 31 मार्च को पूरा हो गया। सरकार ने ब्यूरो का पुनर्गठन उस समय किया है जब बैंकिंग उद्योग बढ़ते एनपीए (फंसे कर्ज) और घोटालों से परेशान है। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने गुरुवार को कहा कि पुनर्गठित बैंक्स बोर्ड ब्यूरो ( बीबीबी) अपने पूर्ववर्ती विनोद राय के जरिए दी गयी मानव संसाधन संबंधी कुछ सिफारिशों को आगे बढ़ाएगा।
सरकार ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के पूर्व सचिव बीपी शर्मा को इस सलाहकार बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त किया है। उनका कार्यकाल दो साल का रहेगा।
कुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा, "मैंने ( बोर्ड के पुनर्गठन संबंधी ) अपने संवाद में भी कहा था कि राय की अगुवाई वाले पूर्ववर्ती बोर्ड की सभी सिफारिशों को आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने बहुत अच्छी नींव रखी है। "उन्होंने कहा, "प्रशिक्षण व मानव संसाधन सहित विभिन्न विषयों पर सिफारिशें बीबीबी के समक्ष रखी जाएंगी और उन्हें आगे बढाया जाएगा।"
राजीव कुमार ने अपने एक ट्वीट में कहा, "सरकार सार्वजनिक बैंकों (पीएसबी) में शीर्ष स्तर की नियुक्तियों में हस्तक्षेप न करने की प्रतिबद्धता का नवीनीकरण किया है।"
राय ने किया निराश
सूत्रों ने कहा कि जिस काम के लिए राय को सरकार ने बीबीबी का चेयरमैन बनाया था, उसमें उन्होंने काफी निराश किया है। बीबीबी को पब्लिक सेक्टर बैंकों के एमडी और सीईओ को चुनने की जिम्मेदारी दी गई थी।
इसके अलावा अन्य सीनियर पदों पर भी सही लोगों को चुनने के लिए कहा गया था। वहीं उन पर सभी पीएसयू बैंकों में एचआर के द्वारा टेक्नीकल अपग्रेडेशन और स्टाफ की ट्रेनिंग को कराने के लिए कहा गया था, जिसमें वो पूरी तरह से फेल हो गए थे। माना जा रहा है कि वित्त मंत्रालय ने बोर्ड के साथ काम करने से इनकार कर दिया है।
इसलिए गिरी विनोद राय पर गाज
पीएनबी सहित अन्य बैंकों में उजागर हुए घोटाले के बाद से ऐसी खबरें सामने आ रहीं थी कि राय को उनके पद से हटाया जा सकता है। वैसे भी राय का कार्यकाल 31 मार्च को खत्म हो गया था। राय को सरकारी बैंकों में प्रबंधन स्तर के अधिकारियों में कार्यशैली विकसित करने के लिए सरकार को सलाह देने का जिम्मा सौंपा गया था। दरअसल ब्यूरो सरकारी बैंकों में कर्मचारियों की गुणवत्ता सुधारने की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाया।
प्रोबेशन अधिकारियों के लिए घटी ट्रेनिंग की अवधि
पीएनबी और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे सरकारी बैंकों ने प्रोबेशनरी अधिकारी के लिए सेवा में प्रशिक्षण की अवधि 24 महीने से घटाकर 1 वर्ष कर दी है। पीएनबी ने तो अपने ट्रेजरी और विदेशी मुद्रा परिचालन अधिकारियों को लंबे समय से रिफ्रेशर प्रशिक्षण के लिए ही नहीं भेजा है।
बैंक के एक उच्चाधिकारी ने कहा कि ऐसा नहीं है, ये अपना काम नहीं जानते हैं। लेकिन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सूचना के आदान-प्रदान से बैकअप अधिकारी तैयार हो जाते हैं।
Created On :   13 April 2018 1:54 PM IST