केंद्र ने कम संग्रह, सुस्त निवेश की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की
नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)। वित्त मंत्रालय ने हाल ही में किए गए कर सुधारों के बावजूद प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट और देश में निवेश की सुस्त होती रफ्तार को लेकर पैदा हुई चिंताओं को दूर करने की एक कोशिश के तहत रविवार को कहा कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट की प्रकृति अस्थायी है और यह हाल के सुधारों और कर लाभों का एक परिणाम है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मीडिया के एक वर्ग में खबरें हैं कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए प्रत्यक्ष कर सग्रह बुरी तरह गिरा है और जीडीपी की तुलना में प्रत्यक्ष कर संग्रह की आमद नेगेटिव में चली गई है।
बयान में कहा गया है कि मीडिया की ये रपटें प्रत्यक्ष कर वृद्धि के बारे में सही तस्वीर पेश नहीं करती हैं।
मंत्रालय ने कहा है कि यद्यपि वित्त वर्ष 2019-20 का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह वित्त वर्ष 2018-19 के शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह से कम है, लेकिन प्रत्यक्ष कर संग्रह में यह गिरावट अनुमान के अनुरूप है और अस्थायी प्रकृति की है। यह गिरावट किए गए ऐतिहासिक कर सुधारों और वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान जारी किए गए अधिक रिफंड के कारण है।
मंत्रालय ने कहा है, यदि हम साहसिक कर सुधारों के जरिए छोड़े गए अनुमानित राजस्व को ध्यान में रखते हुए सकल संग्रह की तुलना करें तो यह तथ्य अधिक स्पष्ट हो जाता है, जिसका वित्त वर्ष 2019-20 के प्रत्यक्ष कर संग्रह पर एक सीधा असर हुआ है।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में दिए गए कुल रिफंड की राशि 1.84 लाख करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2018-19 में दिए गए 1.61 लाख करोड़ रुपये के रिफंड से 14 प्रतिशत अधिक है।
सरकार के अनुसार, सभी मौजूदा घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर में कटौती, नई घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए प्रोत्साहन, एमएटी दर में कटौती और पांच लाख रुपये तक की आय वालों को आयकर से बाहर रखने जैसे कदमों के कारण कॉरपोरेट कर में 1.45 लाख करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ और निजी आयकर संग्रह पर 23,200 करोड़ रुपये का असर पड़ा।
कर सुधारों के बावजूद निवेश की सुस्त रफ्तार के बारे में वित्त मंत्रालय ने कहा है कि यह कहना कि निवेश नहीं बढ़ रहा है, सही नहीं है और कारोबारी दुनिया की वास्तविकता को जाने बगैर कही गई बात है।
मंत्रालय ने कहा है कि नई विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए विभिन्न कदमों की जरूरत होती है, जैसे भूमि अधिग्रहण, फैक्ट्री शेट का निर्माण, कार्यालय स्थापित करना और अन्य अवसंरचनाओं का बंदोबस्त आदि, और ये सारी गतिविधियां मात्र कुछ महीनों में पूरी नहीं की जा सकतीं, और विनिर्माण संयंत्रों का संचालन सुधारों की घोषणा के तत्काल बाद शुरू नहीं हो सकता।
वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है, कर सुधारों की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी और इसके परिणाम अगले कुछ महीनों में और आने वाले सालों में दिखाई देने की उम्मीद है। कोविड-19 के प्रकोप के कारण इस प्रक्रिया में और विलंब हो सकता है, लेकिन इन कर सुधारों के कारण उत्पादन में वृद्धि हर हाल में होना है और इसे रोका नहीं जा सकता है।
Created On :   8 Jun 2020 12:16 PM IST