GST व्यवस्था में बदलाव: इन दो सेस को जोड़ने की तैयारी में केंद्र सरकार, लागू होने पर तंबाकु, सिगरेट जैसे उत्पादों की बढ़ सकती कीमतें

इन दो सेस को जोड़ने की तैयारी में केंद्र सरकार, लागू होने पर तंबाकु, सिगरेट जैसे उत्पादों की बढ़ सकती कीमतें
  • केंद्र सरकार करने जा रही जीएसटी व्यवस्था में बदलाव
  • लागू होते ही इन वस्तुओं के बढ़ेंगे दाम
  • 'मुआवजा सेस' की जगह 'हेल्थ सेस' और 'क्लीन एनर्जी सेस' हो सकते लागू

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की आर्थिक स्थिति को ठीक से बनाए रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें एक प्रकार का कर (टैक्स) लगती है, जिसे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के नाम से जाना जाता हैं। इसी में केंद्र सरकार एक बड़ा बदलाव करने जा रही है, जिससे राज्यों में होने वाले नुकसान की भरपाई की जाए। फिलहाल सरकार की योजना में "मुआवजा सेस" (राज्यों को जीएसटी में लागू करने से हुए नुकसान की भरपाई) लागू हैं। इसको सरकार अब दो नए सेस में बांटने की सोच रही है। जो पहला 'हेल्थ सेस' और दूसरा 'क्लीन एनर्जी सेस' में अलग हो जाएगा तो इसका सीधा असर सिगरेट, कोल्ड ड्रिंक, महंगी कारें और कोयले जैसे उत्पादों पर पड़ेगा। जैसे ही इसका प्रस्ताव पास होता है तो इसका असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा।

हेल्थ सेस का असर इन हानिकारक चीजों पर पड़ेगा

हेल्थ सेस उन चीजों पर लगेगा जो आमतौर पर मानव से जुड़े हानिकारक चीजें होती हैं, जैसे तंबाकु उत्पाद, सिगरेट और शुगर वाली ड्रिंक्स को शामिल किया जा सकता है। ये जीएसटी के 28 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में आती हैं। अगर यह टैक्स लागू होता है तो लोगों को अतिरिक्त टैक्स देना पड़ेगा। इसका मकसद है कि लोगों को इन बुरी आदतों से दूर रखना। साथ ही सरकार को अतिरिक्त राजस्व भी मिलेगा।

क्लीन सेस इन उत्पादों पर लगेगा

दूसरा 'क्लीन एनर्जी सेस' का मुख्य उद्देश्य अधिक कीमत वाले वाहनों और कोयले जैसे प्रदूषण फैलाने वाले ईंधनों पर टैक्स अधिक लगाकर कम करना है। इससे प्रदूषण को कम किया जाएगा और पर्यावरण को स्वच्छ करने की तरफ बढ़ने की कोशिश की जाएगी। इस टैक्स को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'हरित भारत' मिशन से जोड़कर देखा जा रहा है। इससे इलेक्ट्रिक और कम प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों में बढ़ावा मिलेगा।

12 फीसदी जीएसटी स्लैब खत्म करने पर विचार

केंद्र सरकार इन दो सेस के अलावा 12 फीसदी जीएसटी स्लैब को समाप्त करने पर विचार कर रही हैं। अगर यह स्लैब खत्म होती है तो इसमें आने वाली वस्तुएं कुछ 5 प्रतिशत स्लैब में चली जाएगी और कुछ 18 प्रतिशत स्लैब में शामिल हो जाएगी। हालांकि, शुरूआत में केंद्र सरकार पर करीब 50,000 करोड़ रूपए बोझ पड़ सकता हैं। लेकिन सरकार का मानना है कि वस्तुओं के दाम घटने से खपत में तेजी आएगी, जिससे राजस्व बढ़ेगा।

Created On :   2 July 2025 7:39 PM IST

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