आज से से मप्र के अंदर माल के परिवहन पर नहीं लगेगा ई-वे बिल

भास्कर ब्यूरो, भोपाल । 1 अप्रैल से मप्र के अंदर सभी प्रकार के माल के परिवहन पर अब ई-वे बिल नहीं लगेगा। इस संबंध में वाणिज्यिक कर आयुक्त राघवेन्द्र सिंह ने सेन्ट्रल टैक्स के चीफ कमिश्नर से परामर्श कर इस प्रावधान को नोटीफाई कर दिया है। ज्ञातव्य है कि गत 30 जनवरी,2018 को वाणिज्यिक कर विभाग ने प्रावधान किया था कि ग्यारह आईटम के प्रदेश के अंदर परिवहन पर ई-वे बिल लगेगा बशर्ते इनकी कीमत 50 हजार रुपए से ज्यादा हो।
ये ग्यारह आईटम थे :
पान मसाला, कन्फेक्शनरी, पलयवुड एण्ड लिमिनेट शीट, आईरन एण्ड स्टील, एडीबल आईल्स, आटो पाट्र्स, सिगरेट/टोबेको एण्ड टोबेको प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रिक एण्ड इलेक्ट्रानिक गुड्स, फर्नीचर, लुब्रीकेंट्स तथा टाईल्स-सिरेमिक गुड्स, सिरेमिक ब्लाक्स-सिरेमिक पाईप्स, लेकिन अब इस प्रावधान का अधिक्रमण कर दिया गया है तथा 1 अप्रैल से सभी प्रकार के माल, वे चाहे कितनी ही कीमत के हों, के मप्र राज्य के अंदर परिवहन पर ई-वे बिल नहीं लगेगा।
इनका कहना है :
एसडी रिछारिया उप सचिव वाणिज्यिक कर का कहना है कि ‘‘मप्र राज्य के अंदर समस्त प्रकार के मालों के परिवहन पर 1 अप्रैल से ई-वे बिल नहीं लगेगा। 30 जनवरी 2018 की अधिसूचना को हटा दिया है।’’
क्या है ई-वे बिल?
ई-वे बिल दरअसल एक दस्तावेज है, जो 50 हजार रुपए से अधिक मूल्य के कंसाइनमेंट के परिवहन के लिए वाहन के प्रभारी के पास कंसाइनमेंट के इन्वाइस या बिल ऑफ सप्लाई के साथ होना चाहिए। किसी भी व्यवसायी को ई-वे बिल जनरेट करने से पहले ई-वे पोर्टल पर अपना पंजीयन कराना होगा।
क्या है इसके तथ्य?
ई-वे बिल का निर्धारित प्रारूप फार्म ईडब्लूबी-01 है। इसमें इलेक्ट्रानिक माध्यम से जानकारी भरकर तैयार की जाती है। इसके दो भाग हैं- पहला भाग ए, दूसरा बी।
पार्ट ए में माल के प्राप्तकर्ता का जीएसटीआईन, डिलीवरी का स्थान, बीजक एवं ट्रांसपोर्टर का इनरोलमेंट नंबर या ट्रांसपोर्ट का डाक्यूमेंट नंबर (रेल, वायु या जहाज से परिवहने करने पर) भरा जाता है। पार्ट बी में केवल वाहन का नंबर भरना होगा। पार्ट ए एवं बी भरने के बाद ही ई-वे बिल मान्य होगा।
Created On :   1 April 2018 9:44 AM IST