वरयाम सिंह ने किस तरह खड़ा किया वधावन साम्राज्य (पुन: जारी)

How Varyam Singh raised the Wadhawan Empire (Reissue)
वरयाम सिंह ने किस तरह खड़ा किया वधावन साम्राज्य (पुन: जारी)
वरयाम सिंह ने किस तरह खड़ा किया वधावन साम्राज्य (पुन: जारी)

नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। करोड़ों के पीएमसी बैंक घोटाले के आरोपी वधावन परिवार के पास वे खूबसूरत मशीनें थीं जिनसे दुनिया कभी मुखातिब नहीं हुई होगी। परिवार के पास बेशकीमती रॉल्स रॉयस कारों की सबसे बड़ी फ्लीट से लेकर फॉल्कन 2000 जैसे अत्याधुनिक प्राइवेट जेट का मालिकाना अधिकार था।

अब, घोटाले की जारी जांच में खुलकर सामने आ रहा है कि वधावन परिवार ने अपना रियल एस्टेट का जो साम्राज्य खड़ा किया है, उसे बनाने में पंजाब एवं महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक के दागी हो चुके चेयरमैन वरयाम सिंह की भी खास भूमिका रही है।

शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई पुलिस से बैंक घोटाले के विवरण हासिल किए। हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) के प्रमोटर राकेश वधावन और उनके बेटे सारंग (सनी) वधावन से कुछ संदिग्ध कंपनियों के बारे में पूछताछ की गई है। इसमें प्रिविलेज एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड, जिसके पास फ्रांसीसी कंपनी दसॉ द्वारा निर्मित डीए 200 फॉल्कन जेट थे, और ब्रॉडकास्ट इनीशिएटिव प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं जो वस्तुत: वरयाम सिंह द्वारा संचालित थी। वरयाम सिंह पीएमसी बैंक के विवादित प्रमुख हैं जिन्होंने 4335 करोड़ के कर्ज घपले में वधावन परिवार को उपकृत किया है।

दस्तावेजों से पता चलता है कि प्रिविलेज एयरवेज की स्थापना 16 फरवरी 2006 को राकेश वधावन ने की थी और इसका खास लक्ष्य राजनेताओं और तमाम सेलिब्रिटी को उपकृत करना था।

वरयाम सिंह राजनेताओं और राकेश वधावन के बीच सेतु का काम करते थे। वह उसी फॉल्कन 2000 से अमूमन यात्रा करते थे। राकेश वधावन के स्वामित्व वाली प्रिविलेज पॉवर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के निदेशक वरयाम सिंह ने विभिन्न राज्य सरकारों और एचडीआईएल के बीच महाराष्ट्र में कई करोड़ की ऊर्जा परियोजनाओं के लिए संवाद कराया था।

सूत्रों ने कहा कि प्रिविलेज पॉवर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के गठन के बाद, वधावन परिवार ने अपनी निगाहें एक सेटेलाइट न्यूज चैनल को शुरू करने पर लगा दीं जिसके जरिए दिल्ली में सत्ता के गलियारों में पहुंच बनाना मकसद था।

एचडीआईएल के लिए इस उद्देश्य को हासिल करने में वरयाम सिंह के अलावा उत्तर प्रदेश कॉडर के एक आईपीएस अफसर ने खास भूमिका निभाई।

वधावन परिवार के स्वामित्व वाले चैनल के एक पूर्व संपादक ने बताया, यह वरियाम सिंह थे जिन्होंने वधावन को ब्रॉडकॉस्ट इनीशिएटिव्स लिमिटेड सीएन के ग्रहण के लिए प्रेरित किया, एक ऐसी कंपनी जिसके पास बॉलीवुड प्रोड्यूसर अधिकारी बंधुओं द्वारा संचालित एक हिंदी (राष्ट्रीय) समाचार चैनल का स्वामित्व था। चैनल शुरू करने का एकमात्र लक्ष्य सत्ता में बैठे लोगों के साथ मेलजोल बढ़ाना था।

संपादक स्तर के पूर्व टीवी पत्रकार ने कहा कि आखिरकार वरयाम सिंह ने लाइव इंडिया के राजनैतिक ब्यूरो के एक पत्रकार पर केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात के लिए दबाव बनाया।

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के रिकार्ड बताते हैं कि वरयाम सिंह को 27 सितम्बर 2010 को ब्रॉडकॉस्ट इनीशिएटिव्स लिमिटेड का निदेशक नियुक्त किया गया जो कंपनी नई दिल्ली के मंदिर मार्ग स्थित चैनल लाइव इंडिया को चलाती थी।

इससे पहले एक क्षेत्रीय चैनल मी-मराठी को मुंबई से रिलॉन्च किया गया जिसके लिए एक अलग से कंपनी मी-मराठी मीडिया लिमिटेड का गठन किया गया था। वधावन परिवार वरयाम सिंह को इस कंपनी में 13 मई 2010 को निदेशक के तौर पर लेकर आया।

वरयाम सिंह यूपीए-2 सरकार में दो कैबिनेट मंत्रियों के नजदीकी थे। एचडीआईएल की व्यापारिक संभावनाओं को बढ़ाने के लिए उनके पास बड़ी मीडिया शक्ति थी।

लेकिन, शीर्ष न्यूज एंकरों की नियुक्ति के बावजूद चैनल की टीआरपी नहीं आई। बाद में कंपनी में करोड़ों का डिस्ट्रीब्यूशन घोटाला सामने आया और एक आंतरिक वित्तीय ऑडिट के बाद राकेश वधावन ने सभी न्यूज चैनलों को महाराष्ट्र के एक चिटफंड ऑपरेटर को बेच दिया।

आईएएनएस के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक, वरयाम सिंह के पास सितंबर 2017 तक एचडीआईएल में 1.9 फीसदी का हिस्सा था। दिसंबर 2005 में एचडीआईएल बोर्ड में बतौर निदेशक शामिल होने वाले वरयाम सिंह ने 2015 में बतौर चेयरमैन नियुक्त होने के लिए वधावन की कंपनी से इस्तीफा दे दिया।

ऐसे में ताज्जुब की बात नहीं है कि एचडीआईएल और पीएमसी बैंक के बीच के संबंध की जांच कर रहे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सेंट्रल रजिस्ट्रार आफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज (केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तहत आने वाला विभाग) से इस मामले में वरयाम सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था।

आईएएनएस ने कृषि मंत्रालय में कोऑपरेटिव सोसाइटी के मामलों को देखने वाले संयुक्त सचिव से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन मंत्रालय द्वारा वरयाम सिंह के खिलाफ की गई किसी कार्रवाई के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी।

Created On :   5 Oct 2019 5:00 AM GMT

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