वोडाफोन आइडिया के नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन पद से, कुमार मंगलम बिड़ला ने इस्तीफा दिया

Kumar Mangalam Birla steps down as non-executive chairman of Vodafone Idea
वोडाफोन आइडिया के नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन पद से, कुमार मंगलम बिड़ला ने इस्तीफा दिया
वोडाफोन आइडिया के नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन पद से, कुमार मंगलम बिड़ला ने इस्तीफा दिया
हाईलाइट
  • कंपनी ने बुधवार को एक एक्सचेंज फाइलिंग में इसकी जानकारी दी
  • कुमार मंगलम बिड़ला का इस्तीफा
  • वोडाफोन आइडिया के नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चेयरमैन का पद छोड़ा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कुमार मंगलम बिड़ला ने वोडाफोन आइडिया के नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के पद को छोड़ दिया है। कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने बिड़ला का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया है। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) ने आदित्य बिड़ला ग्रुप के नॉमिनी हिमांशु कपानिया को नया नॉन-एक्जीक्यूटिव चेयरमैन चुना है। वर्तमान में हिमांशु कंपनी में नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं। कंपनी ने बुधवार को एक एक्सचेंज फाइलिंग में इसकी जानकारी दी।

वहीं नए नॉन-एक्जीक्यूटिव चेयरमैन कपानिया टेलीकॉम इंडस्ट्री के दिग्गज हैं। उन्हें 25 साल का एक्सपीरियंस है, जिसमें ग्लोबल स्तर पर टेलीकॉम कंपनियों में बोर्ड एक्सपीरियंस शामिल है। उन्होंने ग्लोबल जीएसएमए बोर्ड में भी दो साल काम किया है और दो साल तक वह सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के अध्यक्ष भी रहे हैं। कंपनी के बोर्ड ने आदित्य बिरला ग्रुप के नॉमिनी सुशील अग्रवाल को एडिशनल डायरेक्टर (नॉन एक्जीक्यूटिव एंड नॉन इंडिपेंडेंट) भी नियुक्त किया है।

बिड़ला का ये इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब कंपनी कर्ज में डूबी हुई है और खुद को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है। हाल ही में आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़लाने भारी कर्ज में डूबी टेलिकॉम कंपनी में अपनी हिस्सेदारी छोड़ने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि वह अपनी हिस्सेदारी सरकार या किसी अन्‍य कंपनी को देने को तैयार हैं। वोडाफोन इंडिया पर करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। उन्होंने कहा था अगर सरकार ने जल्द ही जरूरी कदम नहीं उठाए, तो वोडाफोन आइडिया को वजूद खतरे में पड़ सकता है।

डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस ने बताया था कि कंपनी पर करीब 58,000 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया बताया था जिसमें से वह 7,900 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट का एजीआर पर फैसला सिंतबर 2019 में आया था। सरकार का पक्ष यह था कि टेलीकॉम कंपनियों की सालाना एजीआर की गणना करने में गैर टेलीकॉम कारोबार से होने वाली आय को भी जोड़ा जाए। कोर्ट ने सरकार के पक्ष को मंजूरी दी थी। सालाना एजीआर के ही एक हिस्से का भुगतान टेलीकॉम कंपनी लाइसेंस और स्पेकट्रम शुल्क के रूप में करती है। इस फैसले का सबसे बुरा असर वोडाफोन इंडिया लिमिटेड पर पड़ा।

पिछले साल 23 जुलाई को, वोडाफोन ग्रुप के सीईओ निक रीड ने भी स्वीकार किया था कि स्थिति काफी तनाव भरी है। उन्होंने ये भी कहा था कि यूके की कंपनी वोडाफोन आइडिया में एडिशनल इक्विटी नहीं डालेगी। यहां हम आपको ये भी बता दें कि वोडाफोन आइडिया ने 31 अगस्त, 2018 को अपने मर्जर के बाद से अब तक क्वार्टरली प्रॉफिट रिपोर्ट नहीं किया है।

Created On :   4 Aug 2021 3:54 PM GMT

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