कुमार मंगलम बिड़ला होंगे वोडाफोन-आइडिया के नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । दो दिग्गज कंपनी आइडिया सेल्यूलर और वोडाफोन ग्रुप ने विलय का फैसला किया है। इस मर्जर से बनने वाली नई कंपनी की नई टीम की घोषणा कर दी गई है। जिसमें कुमार मंगलम बिड़ला नई कंपनी के नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन होंने। वहीं बालेश शर्मा नयी इकाई के सीईओ यानी मुख्य कार्याधिकारी होंगे। वो इस विलय वाली इकाई के एकीकरण के काम को भी देखेंगे। बता दें शर्मा इस समय वोडाफोन इंडिया के चीफ ऑरेटिंग ऑफिसर हैं। आइडिया सेल्यूलर ने कहा है, "आइडिया सेल्यूलर और वोडाफोन इंडिया की मौजूदा नेतृत्व टीमें अपने अलग अलग कारोबारों का प्रबंधन जारी रखेंगी और विलय के प्रभावी होने तक प्रत्येक कंपनी के परिचालनगत निष्पादन के लिए जिम्मेदार होंगी।"
गौरतलब है कि दोनों कंपनियों ने पिछले साल ही अपने कारोबार के विलय की घोषणा की। नई कंपनी देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी होगी जिसकी बाजार भागीदारी 35 प्रतिशत होगी।
आइडिया सेल्यूलर के उप प्रबंध निदेशक अम्बरीश जैने सीओओ होंगे। शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा गया है कि आदित्य बिड़ला समूह का इरादा आइडिया सेल्युलर के मौजूदा प्रबंध निदेशक हिमांशु कपाणिया को विलय के बाद बनने वाली इकाई का गैर कार्यकारी बोर्ड सदस्य बनाने का है। वोडाफोन इंडिया के सीईओ सुनील सूद वोडाफोन समूह एएमएपी (अफ्रीका, पश्चिम एशिया और एशिया प्रशांत) की नेतृत्व वाली टीम का हिस्सा बनेंगे। हाल में वोडाफोन इंडिया में सीएफओ बनने वाले मनीष दावर एकीकरण योजना, संचालन और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संभालेंगे।
अस्तित्व में आएगी देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी
आपको बता दें कि ब्रिटेन के वोडाफोन समूह ने पिछले साल जनवरी में ही कहा था कि उसकी भारतीय इकाई आदित्य बिड़ला समूह की आइडिया सेल्युलर के साथ विलय पर बातचीत कर रही है। ये पूर्ण शेयर सौदा होगा और इससे देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी अस्तित्व में आएगी, जो रिलायंस जियो से मिल रही चुनौती का मुकाबला कर सकेगी। विलय के बाद बनी कंपनी मोबाइल दूरसंचार क्षेत्र में एयरटेल को पीछे छोड़ते हुए देश की सबसे बड़ी इकाई होगी।
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल नेटवर्क परिचालक वोडाफोन समूह के भारतीय कारोबार का देश की तीसरी सबसे बड़ी सेल्युलर ऑपरेटर से विलय के बाद एक ऐसी कंपनी अस्तित्व में आएगी जिसके ग्राहकों की संख्या 38.7 करोड़ होगी। ये दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक में शुमार होगी।
भारत में 2007 में प्रवेश के साथ वोडाफोन देश की दूसरे नंबर की ऑपरेटर बन गई थी। हालांकि, उसे कर संबंधी उलझनों का भी सामना करना पड़ रहा था। हचिसन से भारत में उसके मोबाइल कारोबार के 2007 के अधिग्रहण के सौदे को लेकर कर विभाग की पिछली तारीख से दो अरब डॉलर से अधिक की मांग को लेकर सरकार के साथ वोडाफोन का विवाद चल रहा था।
Created On :   23 March 2018 12:05 PM IST