फ्यूचर ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, रिलायंस को अपनी संपत्ति बेच सकेगा ग्रुप
- एमेजॉन ने 2019 में फ्यूचर ग्रुप के साथ 1
- 430 करोड़ रूपये की डील की थी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल से चले आ रहे एमेजॉन-फ्यूचर विवाद में फ्यूचर ग्रुप को राहत देते हुए अहम फैसला सुनाया है। दरअसल, फ्यूचर ग्रुप ने अपनी संपत्ति रिलायंस रिटेल को बेचने की अनुमति मांगी थी, जिसकी इजाजत सर्वोच्च अदालत ने दे दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस विवाद में दिल्ली हाईकोर्ट के पिछले सभी आदेश रद्द करने का फैसला भी दिया है।
यह पूरा मामला रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच पिछले साल अगस्त में हुई 24,713 करोड़ रुपये की डील से जुड़ा है। पिछले साल रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच डील हुई थी जिसके तहत फ्यूचर ग्रुप की रिटेल और लॉजिस्टिक कंपनियों की पूरी हिस्सेदारी रिलायंस समूह को मिलने वाली थी, लेकिन फ्यूचर ग्रुप इस डील को लेकर अमेरिका की ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन के साथ सालभर से ज्यादा समय से कानूनी विवाद में उलझा है।
इस विवाद को सुलझाने के लिए एमेजॉन ने तब दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जब ये मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा था, तब फ्यूचर ग्रुप को भी झटका लगा था। उस दौरान सिंगापुर में एमेजॉन और फ्यूचर ग्रुप के बीच मध्यस्थता कार्यवाही रोकने के लिए दाखिल फ्यूचर ग्रुप की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी।
लेकिन इसके बाद CCI का आदेश फ्यूचर ग्रुप के पक्ष में आया था, जहां अमेजन पर डील की अनुमति लेने के लिए अहम जानकारियां छिपाने को लेकर 200 करोड़ का जुर्माना लगा दिया गया था। आयोग ने एमेजॉन को दोहरा झटका देते हुए एमेजॉन और फ्यूचर ग्रुप के बीच 2019 में हुई डील को निलंबित कर दिया था।
अभी के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने एमेजॉन को 17 फरवरी तक नए दस्तावेज दाखिल करने का वक्त दे दिया गया है। दस्तावेज जमा होने के बाद डील की अनुमति पर पुनर्विचार होगा।
क्या है एमेजॉन-फ्यूचर रिटेल केस?
अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी ने 2019 में फ्यूचर ग्रुप के साथ 1,430 करोड़ रूपये की डील की थी। जिसके बाद 2021 में फ्यूचर ने रिलायंस के साथ 24,713 करोड़ रुपये की डील की थी, जिसके तहत फ्यूचर ग्रुप की रिटेल और लॉजिस्टिक कंपनियों की पूरी हिस्सेदारी रिलायंस समूह को मिलने वाली थी, तब एमेजॉन ने फ्यूचर ग्रुप पर आरोप लगते हुए यह तर्क दिया था कि फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस को खुदरा संपत्ति बेचने का निर्णय लेने में अपने 2019 सौदे की शर्तों का उल्लंघन किया है।
Created On :   1 Feb 2022 1:30 PM IST