कृषि विधेयकों पर किसानों की आशंकाओं का तोमर ने बताया समाधान, एमएसपी जारी रखने का वादा

Tomar said solution to farmers fears on agricultural bills, promise to continue MSP
कृषि विधेयकों पर किसानों की आशंकाओं का तोमर ने बताया समाधान, एमएसपी जारी रखने का वादा
कृषि विधेयकों पर किसानों की आशंकाओं का तोमर ने बताया समाधान, एमएसपी जारी रखने का वादा
हाईलाइट
  • कृषि विधेयकों पर किसानों की आशंकाओं का तोमर ने बताया समाधान
  • एमएसपी जारी रखने का वादा

नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद के चालू मानसून सत्र में लोकसभा द्वारा पारित कृषि से जुड़े तीन विधेयकों को किसानों के लिए लाभकारी बताया है। उन्होंने इन तीनों विधेयकों पर किसानों की आशंकाओं का समाधान बताते हुए शनिवार को फिर स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से फसलों की खरीद पहले की ही तरह जारी रहेगी और आगामी रबी फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा जल्द की जाएगी।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने एक बयान में कहा कि इन विधेयकों में सिर्फ और सिर्फ किसानों के हितों का संरक्षण किया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक में कृषि उत्पाद की बिक्री के महज तीन दिनों के भीतर किसानों को भुगतान करने का प्रावधान है। तोमर ने कहा कि कृषि उत्पादों के विपणन पर शुल्क या कर का बोझ कम होने से किसानों को उनके उपज का ज्यादा दाम मिलेगा।

कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पर गुरुवार को लोकसभा की मंजूरी मिलने के बाद पंजाब, हरियाणा समेत देश के अन्य राज्यों में भी किसान और व्यापारी का विरोध-प्रदर्शन तेज हो गया है। उनके मन में राज्यों के कृषि उपज विपणन समिति कानून के तहत संचालित मंडियों के समाप्त होने, विधेयक में एमएसपी का जिक्र नहीं समेत कई आशंकाएं हैं, जिन्हें दूर करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस बयान के जरिए समाधान बताए हैं।

कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020

मुख्य प्रावधान:

- किसानों को उनकी उपज के विक्रय की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना, जहां किसान एवं व्यापारी कृषि उपज मंडी के बाहर भी अन्य माध्यम से भी उत्पादों का सरलतापूर्वक व्यापार कर सकें।

- राज्य के भीतर एवं बाहर देश के किसी भी स्थान पर किसानों को अपनी उपज निर्बाध रूप से बेचने के लिए अवसर एवं व्यवस्थाएं प्रदान करना।

- परिवहन लागत एवं कर में कमी लाकर किसानों को उत्पाद की अधिक कीमत दिलाना।

- ई-ट्रेडिंग के जरिये किसानों को उपज बिक्री के लिए ज्यादा सुविधाजनक तंत्र उपलब्ध कराना।

- मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, कोल्डस्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण यूनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्रता।

- किसानों से प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का सीधा संबंध, ताकि बिचैलिये दूर हों।

किसानों और व्यापारियों की आशंकाएं:

- न्यूनतम मूल्य समर्थन (एमएसपी) प्रणाली समाप्त हो जाएगी।

- कृषक यदि पंजीकृत कृषि उत्पाद बाजार समिति-मंडियों के बाहर बेचेंगे तो मंडियां समाप्त हो जाएंगी।

- ई-नाम जैसे सरकारी ई ट्रेडिंग पोर्टल का क्या होगा ?

समाधान:

- एमसपी पूर्व की तरह जारी रहेगी, एमएसपी पर किसान अपनी उपज विक्रय कर सकेंगे। रबी की एमएसपी अगले सप्ताह घोषित की जाएगी।

- मंडिया समाप्त नहीं होंगी, वहां पूर्ववत व्यापार होता रहेगा। इस व्यवस्था में किसानों को मंडी के साथ ही अन्य स्थानों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प प्राप्त होगा।

- मंडियों में ई-नाम ट्रेडिंग व्यवस्था भी जारी रहेगी।

- इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्मों पर कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा। पारदर्शिता के साथ समय की बचत होगी।

कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020

के मुख्य प्रावधान-

-कृषकों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ना। कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उपज के दाम निर्धारित करना। बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन। दाम बढ़ने पर न्यूनतम मूल्य के साथ अतिरिक्त लाभ।

- बाजार की अनिश्चितता से कृषकों को बचाना। मूल्य पूर्व में ही तय हो जाने से बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल प्रभाव किसान पर नहीं पड़ेगा।

- किसानों तक अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि उपकरण एवं उन्नत खाद-बीज पहुंचाना।

- विपणन की लागत कम करके किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करना।

- किसी भी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा 30 दिवस में स्थानीय स्तर पर करना।

- कृषि क्षेत्र में शोध एवं नई तकनीकी को बढ़ावा देना।

आशंकाएं:

- अनुबंधित कृषि समझौते में किसानों का पक्ष कमजोर होगा,वे कीमत निर्धारित नहीं कर पाएंगे

- छोटे किसान कैसे कांट्रेक्ट फामिर्ंग कर पाएंगे, प्रायोजक उनसे परहेज कर सकते हैं।

- किसान इस नए सिस्टम से परेशान होगा।

- विवाद की स्थिति में बड़ी कंपनियों को लाभ होगा।

समाधान:

- किसान को अनुंबध में पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी, वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेचेगा। उन्हें अधिक से अधिक 3 दिन के भीतर भुगतान प्राप्त होगा।

- देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह निर्मित किए जा रहे हैं। ये एफपीओ छोटे किसानों को जोड़कर उनकी फसल को बाजार में उचित लाभ दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे।

- अनुबंध के बाद किसान को व्यापारियों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी। खरीदार उपभोक्ता उसके खेत से ही उपज लेकर जा सकेगा।

- विवाद की स्थिति में कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने की आवश्यक्ता नहीं होगी। स्थानीय स्तर पर ही विवाद के निपटाने की व्यवस्था रहेगी।

आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक -2020

मुख्य प्रावधान-

- अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज एवं आलू आदि को अत्यावश्यक वस्तु की सूची से हटाना।

- अपवाद की स्थिति, जिसमें कि 50 प्रतिशत से ज्यादा मूल्य वृद्धि शामिल है, को छोड़कर इन उत्पादों के संग्रह की सीमा तय नहीं की जाएगी।

- इस प्रावधान से कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

- कीमतों में स्थिरता आएगी, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा शुरू होगी।

- देश में कृषि उत्पादों के भंडारण एवं प्रसंस्करण की क्षमता में वृद्धि होगी। भंडारण क्षमता वृद्धि से किसान अपनी उपज सुरक्षित रख सकेगा एवं उचित समय आने पर बेच पाएगा।

शंकाएं एवं समाधान-

आशंकाएं -

- बड़ी कंपनियां आवश्यक वस्तुओं का भंडारण करेगी। उनका हस्तक्षेप बढ़ेगा।

- कालाबाजारी बढ़ सकती है।

समाधान-

- निजी निवेशकों को उनके व्यापार के परिचालन में अत्यधिक नियामक हस्तक्षेपों की आशंका दूर हो जाएगी। इससे कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ेगा।

- कोल्ड स्टोरेज एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ने से किसानों को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्च र मिल पाएगा।

- फसल खराब होने की आंशका से किसान दूर होगा। वह आलू-प्याज जैसी फसलें ज्यादा निश्चितता से उगा पाएगा।

- एक सीमा से ज्यादा कीमते बढ़ने पर सरकार के पास पूर्व की तरह नियंत्रण की सभी शक्तियां मौजूद।

-इंस्पेक्टर राज खत्म होगा, भ्रष्टाचार समाप्त होगा।

पीएमजे/एएनएम

Created On :   19 Sep 2020 2:31 PM GMT

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