फेडरल रिजर्व ने किया ब्याज दरों में इजाफा, भारत के लिए विदेशी कर्ज होगा महंगा

डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने उम्मीद के मुताबिक ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। फेड की ओर से ब्याज दरों में ये साल की तीसरी बढ़ोतरी है। चौथाई फीसद के इजाफे के साथ ब्याज दर 1.25 फीसद से 1.50 फीसद के दायरे में आ जाएगी। ब्याज दर का ये स्तर साल 2008 के बाद से अबतक का उच्चतम स्तर है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओपन कमेटी में ब्याज दरें बढ़ाने के पक्ष में 7 वोट और विपक्ष में 2 वोट डाले गए हैं। फेड का मानना है कि अर्थव्यव्स्था लगातार मजबूत हो रही है। वहीं, GDP ग्रोथ का अनुमान भी 2.1 फीसद से बढ़ाकर 2.5 फीसद कर दिया है। अमेरिका फेडरल रिजर्व का दावा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है। ब्याज दरों में इजाफे के ऐलान के साथ-साथ केन्द्रीय बैंक ने अमेरिकी जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में भी इजाफा किया है। फेड रिजर्व के मुताबिक अमेरिका में जीडीपी ग्रोथ अब 2.1 के पुराने अनुमान से तेज 2.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ेगी।
फेड की बैठक चेयरपर्सन जेनेट येलेन की अध्यक्षता में हुई है। केंद्रीय बैंक का कहना है कि ब्याज दरों में इस बढ़ोतरी के साथ बाजार, रोजगार और आर्थिक व्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है। फेड का अनुमान है कि अगले वर्ष यानी 2018 भी तीन बार ब्याज दरें बढ़ाई जाएंगी। अमेरिका में महंगाई दर 2.2 फीसद के स्तर पर पहुंच गई जो फेडरल रिजर्व के लक्ष्य से ऊपर है।
उम्मीद की जा रही है कि फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की अगली बैठक 30 और 31 जनवरी, 2018 को हो सकती है। जनवरी में होने वाली फेड की अगली बैठक चेयरपर्सन जेनेट येलेन की अध्यक्षता में होने वाली आखिरी बैठक होगी। येलेन का फेड चेयरपर्सन के रूप में चार वर्षीय कार्यकाल अगले साल 3 फरवरी को समाप्त हो रहा है। वह बतौर बोर्ड मेंबर वर्ष 2024 तक फेड से जुड़ी रह सकती थीं।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को क्या फायदा?
आर्थिक जानकारों का मानना है कि अमेरिका में ब्याज दरों में इजाफे का साफ मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर मजबूती के संकेत दे रही है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 2008 में लेहमैन ब्रदर्स संकट से आर्थिक सुस्ती के दौर में जाना पड़ा और केन्द्रीय बैंक को देश में ब्याज दरों को लगभग शून्य करना पड़ा था। लिहाजा अब 1.25 से 1.5 फीसदी पर ब्याज दरों के पहुंचने से अर्थव्यवस्था पर से संकट के बादल छट रहे हैं। वहीं आर्थिक जानकारों का दावा है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जब ब्याज दरों में बदलाव होता है तो इसके असर से दुनिया की कोई भी अर्थव्यवस्था अछूती नहीं रहती है खास तौर पर तेज भागने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका अहम असर पड़ने के आसार हैं.
अमेरिका का रुख कर सकते हैं बाहरी निवेशक
पिछले एक दशक से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में संकट के चलते बड़ी संख्या में विदेशी निवेशकों (विदेशी संस्थागत निवेशक) ने भारत का रुख किया था। अब अमेरिकी मौद्रिक नीति के सामान्य होने की स्थिति में जानकारों को उम्मीद है कि विदेशी निवेशक वापस अमेरिका का रुख कर सकते हैं। ब्याज दरों में इजाफे से निवेशकों को अमेरिका में अधिक सुरक्षा और बेहतर रिटर्न का रास्ता साफ हो जाएगा।
कर्ज होगा महंगा
अमेरिका में धीरे-धीरे बढ़ रहा ब्याज दर और 2018 में फिर बढ़ोत्तरी के संकेत से साफ है कि भारत के लिए विदेशी कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। बीते कई वर्षों से अमेरिकी और यूरोप में जारी आर्थिक संकट से कई देशों पर कर्ज का बोझ हल्का हुआ था, लेकिन अब दोनों जगह मजबूती के संकेत से कई देशों की घरेलू करेंसी दबाव में रहेगी जिसके चलते उनके विदेशी कर्ज के बोझ में इजाफे के आसार हैं।
Created On :   14 Dec 2017 12:34 PM IST