कोर्ट की नाराजगी: छात्रों के खिलाफ आदेश पारित कर प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का हो रहा उल्लंघन : हाई कोर्ट

छात्रों के खिलाफ आदेश पारित कर प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का हो रहा उल्लंघन : हाई कोर्ट
  • सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने का मामला
  • हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलगुरु को लगाई फटकार
  • शपथपत्र दायर करने के दिए आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के संदर्भ में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के मामले में निष्कासित किए गए छात्र ने याचिका दायर की है। इस मामले में बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। कोर्ट ने हिंदी विवि के रजिस्ट्रार द्वारा दायर शपथपत्र पर असंतोष जताते हुए कुलगुरु को फटकार लगाते हुए कहा कि कुलगुरु दिनप्रति-दिन छात्रों के खिलाफ आदेश पारित करके प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का घोर उल्लंघन कर रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले में कुलगुरु को शपथपत्र दायर करने के आदेश दिए।

सुनवाई का अवसर नहीं दिया : याचिकाकर्ता छात्र का नाम विवेक मिश्रा है। वह हिंदी विश्वविद्यालय में थिएटर एंड ड्रामेटिक्स पाठ्यक्रम में पढ़ाई कर रहा है। छात्र पर सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट वायरल करने का आरोप लगाया गया है। आरोप में 27 जनवरी 2024 को इस छात्र को विश्वविद्यालय से निष्कासित किया गया, इसलिए छात्र ने रजिस्ट्रार को एक निवेदन दिया। इसमें छात्र ने कहा कि ‘मैंने सोशल मीडिया पर जो पोस्ट वायरल की है, वह दिखाएं’। छात्र ने यह दावा किया है कि निष्कासित करने से पहले विवि द्वारा उसे सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया। 27 जनवरी को छात्र को हॉस्टल से भी निकाल दिया गया। इसके खिलाफ छात्र ने 1 फरवरी से विवि परिसर में भूख हड़ताल शुरू कर दी। 7 फरवरी को छात्र की हालत बिगड़ गई और उसे वर्धा के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। 9 फरवरी को छात्र को नागपुर के मेडिकल में भर्ती कराया गया। छात्र को 10 फरवरी को मेडिकल से अवकाश दिया गया।

परीक्षा में बैठने का आदेशदिया था : जब छात्र अस्पताल में भर्ती था, तब 7 फरवरी को उसे विश्वविद्यालय से स्थायी रूप से निष्कासित कर दिया गया। छात्र की परीक्षा 9 फरवरी से शुरू हो चुकी है, इसलिए छात्र ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने हिंदी विश्वविद्यालय के कुलगुरु और रजिस्ट्रार को नोटिस जारी करते हुए छात्र को परीक्षा में बैठने देने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता की ओर से एड. नीरज करडे ने पैरवी की। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 6 मार्च को रखी है।


Created On :   29 Feb 2024 7:18 AM GMT

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