कोर्ट में सेंध: 5 करोड़ रुपए की संपत्ति हड़पने किया फर्जीवाड़ा, हाईकोर्ट को पता चला, तो पीड़ित को दी राहत

5 करोड़ रुपए की संपत्ति हड़पने किया फर्जीवाड़ा,  हाईकोर्ट को पता चला, तो पीड़ित को दी राहत
  • जगदीश जैस्वाल की गैंग के रोज हो रहे हैं नए-नए खुलासे
  • पुलिस ने फरार आरोपियों की तलाश तेज की
  • डमी वकील खड़ा कर कोर्ट में उठाया था फायदा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जगदीश जैस्वाल गैंग के रोज नए-नए कारनामे सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में एक ऐसा कारनामा सामने आया जिसमें 5 करोड़ की जमीन हथियाने के लिए जैस्वाल और उनके साथी रंजीत सारड़े ने जिला कोर्ट में ऐसा जाल बुना कि 1982 में बेची संपत्ति 2018 में अपने नाम कर ली और जमीन का कब्जा लेने पहुंच गए, जब मूल मालिक को पता चला। तब इस मामले में पीड़ित सीधे हाई कोर्ट पहुंचा और इस कारनामे की जानकारी दी। हाई कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए तत्काल जिला कोर्ट के आदेश पर स्टे दे दिया।

26 एकड़ जमीन को हड़पने ऐसे किया खेल : 1982 में 26 एकड़ जमीन खरीदी : छबीबाई बिलसे ने 1980 और 1982 के बीच पांचनौरी गांव बाजारगांव में 26 एकड़ जमीन प्रभाकर मोदी से खरीदी। इसकी रजिस्ट्री भी हो गई और उनके परिवार का नाम भी 7/12 में चढ़ गया। 2003 में इसी जमीन को छबीबाई ने अपने भाई श्याम धारुरक, मां कसाबाई धारुरक और बेटा खेमाजी धारुरक के नाम कर दी। उनकी भी रजिस्ट्री हुई और सभी सरकारी कागजों पर नाम भी चढ़ गया।

जमीन पर पड़ी गैंग की नजर : जगदीश जैस्वाल गैंग की नजर इस जमीन पर 2016 में पड़ी। उन्हाेंने इसे हड़पने के लिए योजना बनाई। जो जमीन 1980-82 में बिक चुकी थी, उसे बेचने वाले प्रभाकर मोदी के वारिशों से एक पॉवर ऑफ अटार्नी बनाई और उसके आधार पर 7.50 लाख में जगदीश जैस्वाल और उनकी पत्नी ममता जैस्वाल ने जमीन खरीदना बता दी।

कोर्ट के आदेश से हुए मंसूबे ध्वस्त : जब दोनों पार्टियों ने आपस में समझौता कर लिया आैर कोर्ट में पेश किया तो कोर्ट ने जमीन पर कब्जा देने का फैसला न देकर मोदी के वारिशों को साढ़े 7 लाख रुपए मय ब्याज के लौटाने के आदेश दे दिए। इससे गैंग के मंसूबे ध्वस्त हो गए। क्योंकि असली कहानी तो जमीन हड़पने के लिए रची गई थी।

फैसले के खिलाफ फिर अपील की : इस मामले में जगदीश जैस्वाल ने जिला कोर्ट के आदेश पर अपील की और उसमें जमीन का पजेशन मांगा। इसमें बताया गया कि दोनों पार्टियों का समझौता हो गया है, दूसरी पार्टी जमीन पर कब्जा देने को तैयार है। इस पर 28 जनवरी 2017 को कोर्ट ने जमीन का पजेशन जगदीश और ममता को देने का फैसला कर दिया।

जगदीश पूरी गैंग लेकर कब्जा करने पहुंचा : कोर्ट का आदेश लेकर कई गाड़ियों में गुंडे भरकर जगदीश बाजारगांव की जमीन पर कब्जा लेने पहुंचा, तब जाकर धारुरकर परिवार को मामले की जानकारी लगी। हालांकि वह कब्जा नहीं ले पाया और गांव वालों ने उन्हें भगा दिया।

हाईकोर्ट के सामने पहुंचा फर्जीवाड़ा : इस मामले में खेमाजी धारुरक सीधे हाई कोर्ट में मामले को ले गए और वहां वकील के माध्यम से सारी आप बीती सुनाई। इसकी अपील में यह भी मुद्दा अाया कि निचली कोर्ट ने सरकारी रिकाॅर्ड नहीं देखे जिसमें संपत्ति किसके नाम है ताकि उसका पता चल सके। हाई कोर्ट ने पूरे मामले में नाराजगी जताते हुए तत्काल धारुरक परिवार को स्टे दिया जो अभी भी कायम है।

इसके बाद वही पुराने पैटर्न पर जिला कोर्ट में केस लगाया : इसके बाद जगदीश जैस्वाल गैंग इसी जमीन पर कब्जा देने के लिए अपने पुराने पैटर्न पर केस लगाया। केस में वही उनके साथी रंजीज सारडा वकील के रूप में खड़े हुए। इसमें खास बात यह है कि जगदीश ने अपने जूनियर वकील दिलीप अरमरकर को मोदी की तरफ से खड़ा किया। इसमें भी वही हुआ बीच केस में दोनों पार्टियों का समझौता हो गया। इस मामले में भी यही हुआ कि जो जगदीश जैस्वाल की जमीन हड़पने की पैटर्न है। कुछ माह केस चलने के बाद दोनों पार्टियां जो पहले से ही एक थीं, ने आपस में कोर्ट में समझौता कर लिया।

पुलिस ने जैस्वाल की तलाश तेज की : इस मामले में एक माह पहले ही हुड़केश्वर थाने में 13.12.23 को एफआईआर क्रमांक 957/ 2023 दर्ज हुई थी। जिसमें जगदीश जैस्वाल और रंजीत सारडा का नाम था। आरोपी अभी फरार हैं। जिसकी पुलिस ने तलाश तेज कर दी है। उन्हें सभी संभावित जगहों पर ढूंढा जा रहा है। इस मामले में जो भी शामिल हैं उन्हें जल्द ही पकड़ा जाएगा। शुभांगी देशमुख, पीआई, हुड़केश्वर थाना

Created On :   16 Jan 2024 7:18 AM GMT

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