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400 अवैध कालोनियों भविष्य अधर में, प्रशासन के पास नहीं है कालोनियों कि जानकारी
डिजिटल डेस्क रीवा । नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत अवैध कालोनियों के मामले में शासन के नियम कायदों को अनदेखा करते हुए कालोनाइजरों ने मनमानी को अंजाम दिया है । शहर मुख्यालय में मौजूद अवैध कालोनियों की सटीक जानकारी नगर निगम प्रशासन के पास मौजूद नहीं है । जिस जानकारी को नगर निगम में शासन स्तर पर भेजने का काम किया है वह वर्ष 2007 के सर्वे पर आधारित है । ऐसी स्थिति में सवाल यह उठता है कि नगर निगम प्रशासन ने लंबे समय से शहर मुख्यालय में जिन अवैध कालोनियों का सर्वे नहीं किया है उनका भविष्य क्या होगा । सूत्र बताते हैं कि कालोनाइजरों और नगर निगम प्रशासन के अधिकारियों की मिलीभगत से इस शहर के अंदर अवैध कालोनियों की बाढ़ सी आ गई है । यदि नगर निगम के जानकारों के दावे को सही माने तो मौजूदा समय में रीवा शहर के अंदर 1 से लेकर 45 वार्ड की सीमा में मौजूद अवैध कालोनियों की संख्या 6 सैकड़ा से कहीं ज्यादा है । इसकी जानकारी नगर निगम कार्यालय के किसी भी दस्तावेज में नहीं है । ऐसा इसलिए है क्योंकि नगर निगम प्रशासन की तरफ से अवैध कालोनियों के मामले में सर्वे की प्रक्रिया को पहले वर्ष 2005 और उसके बाद वर्ष 2007 में ही पूरा किया गया । इसके बाद से नगर निगम प्रशासन ने अवैध कालोनियों की चिंता करना छोड़ दिया जिसका भरपूर फायदा उठाते हुए कालोनाइजरों ने पूरे रीवा शहर में अवैध कालोनियों की भरमार कर दी । अभी हाल ही में शासन ने एक आदेश जारी किया है जिसके तहत वर्ष 2012 के पहले की बनी अवैध कालोनियों को वैध करने का पावर ग्रामीण इलाकों के लिए कलेक्टर और नगर निगम क्षेत्र के लिए आयुक्त को दिया गया है । इसी वजह से रीवा शहर मैं बनी करीब 4 सैकड़ा अवैध कालोनियों का भविष्य पूरी तरह से मझधार में अटक गया है
124 कॉलोनी
रीवा नगर निगम प्रशासन ने मध्यप्रदेश शासन को तकरीबन 7 से 8 माह पहले अवैध कालोनियों को लेकर जो जानकारी भेजी है उसमें वास्तविकता को छिपाने का काम किया गया है । नगर निगम प्रशासन ने वर्ष 2005 और वर्ष 2007 के सर्वे को आधार बनाकर मात्र 124 कॉलोनियों की सूची मध्य प्रदेश शासन के पास भेजी जबकि अकेले रीवा शहर के अंदर 6 सैकड़ा से अधिक अवैध कालोनियां मौजूद हैं । इसके बावजूद रीवा नगर निगम प्रशासन ने कालोनियों के मामले में शासन स्तर पर बैठे जिम्मेदार अधिकारियों को सरासर गुमराह करने का काम किया है । सूत्र बताते हैं कि नगर निगम में जितनी कालोनियों की सूची शासन को भेजी थी सिर्फ उन्हीं को वैध करने की प्रक्रिया पर काम किया जा सकता है । इसका मतलब 4 सैकड़ा से अधिक अवैध कालोनियों में रहने वाले लोगों के लिए परेशानी का सिलसिला अभी समाप्त नहीं हुआ है ।
कलेक्टर और आयुक्त को पावर
मध्यप्रदेश शासन 1 दिन पूर्व आदेश जारी करते हुए अवैध कालोनियों को वैध करने का पावर जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को प्रदान कर दिया है । इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश के अंदर नगर निगम क्षेत्र में बसी अवैध कालोनियों को आयुक्त वैध कर सकेंगे जबकि जिले के ग्रामीण इलाकों में और परिषद क्षेत्र में बनी अवैध कालोनियों को वैध करने का पावर जिला कलेक्टर को दिया गया है । यह आदेश जारी होने के बाद रीवा नगर निगम कार्यालय के अधिकारी कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया में जुट गए हैं । शासन ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर सिर्फ वर्ष 2012 के पहले निर्मित अवैध कालोनियों को ही वैध कर पाएंगे इस अनिवार्यता का सीधा असर रीवा शहर की 4 सैकड़ा से अधिक अवैध कालोनियों में रहने वाली आम जनता पर पड़ेगा यह कॉलोनी आप कभी वैध हो पाएंगी यह कह पाना फिलहाल संभव नहीं है ।
अधिकारी और कॉलोनाइजर का खेल
रीवा शहर के अंदर अवैध कालोनियों के मामले में नगर निगम कार्यालय के तथाकथित अधिकारियों का कालोनाइजरों को भरपूर समर्थन रहा है । नगर निगम के सूत्र बताते हैं कि कॉलोनाइजरों को उपकृत करने के लिए ही नगर निगम प्रशासन के तथाकथित अधिकारियों ने जानबूझकर वर्ष 2007 के बाद अवैध कालोनियों के मामले में किसी तरह का सर्वे करना जरूरी नहीं समझा । जबकि शासन का आदेश है की समय समय पर क्षेत्र में बनने वाली कालोनियों का सर्वे किया जाए लेकिन दोनों हाथों से लक्ष्मी कमाने के चक्कर में नगर निगम के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को भूल गए और वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2017 तक अवैध कालोनियों को लेकर किसी तरह का सर्वे नहीं किया गया । जबकि इन 10 वर्षों में रीवा शहर के अंदर सैकड़ों अवैध कॉलोनियों का निर्माण करा दिया गया
Created On :   17 March 2018 1:36 PM IST