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कोरोना संकट-390 मेडिकल स्टोर पर होगी प्रशासन की नजर

डिजिटल डेस्क सिंगरौली वैढऩ। कोरोना संक्रमण के कारण गले में खराश, खांसी व बुखार जैसे लक्षण वायरल व अन्य बीमारियों में कॉमन हैं। इस तरह के संक्रमण से पीडि़त लगभग सत्तर फीसदी मरीज सीधे ही मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक, एंटीइनफ्लेमेटरी व एंटी एलर्जी दवाएं खरीद कर खा रहे हैं। अब मेडिकल स्टोर इस तरह की दवाएं खरीदने वालों की जानकारी प्रतिदिन एक फॉर्मेट से संबंधित जिले के सीएमएचओ कार्यालय में भेजेंगे।
चेकअप से डर रहे मरीज
सर्दी, खांसी, बुखार के मरीज सरकारी व निजी अस्पतालों में जाने से डरते हैं कि कहीं उन्हें कोरोना संदिग्ध मानकर अस्पताल में भर्ती न कर लिया जाए। इस कारण वे सीधे मेडिकल स्टोर संचालक को अपनी बीमारी बताकर दवा ले लेते हैं। ऐसे में वे कोरोना संदिग्ध सरकार की नजर से दूर हो रहे हैं जिन्हें कोरोना जैसे लक्षण हैं या वह कोरोना के संदिग्ध मरीज हैं। इसी के साथ सर्दी, खांसी व बुखार के मरीज घर पर ही आयुर्वेद जड़ी-बूटी व काढ़ा पीकर अपना इलाज कर रहे हैं।
यह है आदेश
आदेश में बताया गया है कि रिटेल मेडिकल स्टोर संचालक को सर्दी, खांसी, बुखार के मरीज की पूरी जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। संचालक को एफबीएएमपीऑनलाइन डॉट जीओवी डाट इन पर जाकर लॉगिन करना होगा। इसके बाद संचालक को पासवर्ड व आईडी स्क्रीन पर शो हो जाएगी। इस साइट पर वह हर रोज सर्दी, खांसी व सांस के मरीजों के पर्चे से पूरी जानकारी भरेगा। इसमें मरीज का नाम व पता शामिल होगा। इसी जानकारी के आधार पर स्वास्थ्य विभाग की टीम एक हफ्ते बाद उस मरीज के घर जाकर जानकारी लेगी कि वह किस स्थिति में है। इसी के साथ ड्रग इंस्पेक्टर ने रिटेल मेडिकल स्टोर संचालकों को यह भी निर्देश दिए गए कि ऐसे मरीज को बिना डॉक्टर के पर्चे के दवा न लें।
झोलाछाप डॉक्टर बने सिरदर्द
सिंगरौली में झोलाछाप डॉक्टर्स की बड़ी संख्या भी प्रशासन के लिए सिरदर्द बनी हुई है। मेडिकल टीम की लापरवाही से भी इन डॉक्टर्स के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी है। दरअसल आयुर्वेद, होम्योपैथ और नेचरोपैथी के नाम पर कुछ फर्जी चिकित्सक थोक में जेनेरिक दवाएं खरीद कर गांव व शहर के कुछ इलाकों में इलाज कर रहे हैं। ये डॉक्टर पर्चे पर लिखने के बजाए मरीज को सीधे क्लीनिक से ही दवा देकर पैसे ले लेते हैं। ये दवाएं डॉक्टर, दवा विक्रेताओं से काफी कम रेट पर थोक में दवाएं खरीदते हैं और एमआरपी पर मरीजों को बेचते हैं। ज्यादा मुनाफा होने की वजह से यह मरीज को मेडिकल स्टोर जाने नहीं देते हैं। ये सभी डॉक्टर जेनरिक या प्रोपेगेंडा कंपनियों की एंटी बायोटिक, एंटी एलर्जिक व एंटीइनफ्लेमेटरी दवा मरीज को देते हैं।
कलेक्टर साहब निकालेंगे ऑर्डर
हमने मौखिक तौर पर मेडिकल स्टोर संचालक जिनकी संख्या सिंगरौली जिले में लगभग 390 है, को बता दिया है कि हर सर्दी, खांसी, बुखार के मरीज की पूरी जानकारी एक प्रपत्र में भरकर महीने के एक दिन हमें दे। इसमें मरीज का नाम व पता शामिल होना जरूरी है। इस संबंध में विधिवत आदेश कलेक्टर साहब ही निकालेंगे। उनसे एक दो दिन में चर्चा कर ली जाएगी।
- डॉ. आरपी पटेल, सीएमएचओ
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Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।