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दस घंटे बासा मिलता है आंगनवाड़ी के बच्चों का भोजन!
![District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli! District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/no-post.png)
डिजिटल डेस्क सिंगरौली (मोरवा) । जिले के महिला बाल विकास के खेल निराले हैं। एक तरफ बच्चों को तिरंगा भोजन, ताजा खाना, पौष्टिक खाना दिये जाने के लिए उपदेश दिया जाता है। दूसरी तरफ बच्चों को 7 से 8 घंटे का बना हुआ भोजन परोसा जा रहा है। ऐसी स्थिति इस लिए बनी हुई है क्योंकि भोजन वितरण में लगे हुए समूहों का एक सिंडीकेट वर्षों से काम कर रहा है जो एक नहीं 50 से अधिक आंगनवाड़ी केन्द्रों को भोजन वितरण करने का ठेका ले रखा है। आलम यह है कि वैढऩ के गनियरी, बलियरी रोड में बना कर मोरवा के पिड़ताली, सीईटीआई और झिंगुरदा सहित लगभग 33 आंगनवाड़ी केन्द्रों में बासी भोजन परोसा जा रहा है। जिला मुख्यालय से 50 किमी की दूरी तक भोजन पहुंचाने की प्रक्रिया इतनी लचर है कि रास्ते में भोजन के डिब्बे खुल जाते हंै। उनमें सडक़ से उठाकर पॉलीथीन लगाकर टाइट कर दिया जाता है। भोजन का परिवहन करने वाले टेम्पों या छोटे हाथी वाहन खाने को किसी वेस्ट सामान को ढोते हुए केन्द्रों तक बड़ी हनक के साथ पहुंचा रहे हैं। इतना ही नहीं वाहनों का हार्न बजाकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या सहायिका को बुलाकर दूर से ही खाना देकर चले जाने की रस्म अदायगी की जा रही है। इस प्रकार की लापरवाही से बचा हुआ पूरा खाना देकर जाने वाले युवकों से समूह और खाना लाए जाने का स्थान पूछा गया तो उन्होंने वैढऩ के अलावा कुछ भी बताने से इंकार कर दिया और रसूख वाले व्यक्ति का नाम बताकर कुछ न पूछने के लिए मना करने लगे।
मीनू का पता नहीं
गुरूवार को बच्चों को पीला खाना कढ़ी, चावल और रोटी दी जानी थी। लेकिन सिर्फ चावल और पानी जैसी कढ़ी और एक बाल्टी खिचड़ी परोसी गयी। युवकों से जब पूछा गया कि कितने बच्चों का खाना लाए है तो उनके पास कोई जवाब नहीं था क्योंकि वे एकीकृत बाल विकास परियोजना सिंगरौली शहरी मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र परेवानाला वार्ड-1 आंगनवाड़ी नर्सरी स्कूल तक कभी नही गये थे।
सुबह 5 बजे तैयार होता है खाना
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 50 से अधिक आंगनवाड़ी केन्द्रों में भोजन बांटने के लिए सुबह 5 बजे भोजन बनाना शुरू कर दिया जाता हैै। वैढऩ से मोरवा की ओर 9 से 10 बजे के बीच चलते हैं। सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों में खाना पहुंचाते हुए डेढ़ से दो बज जाते हैं। जबकि केन्द्रों में सुबह 10 बजे तक खाना मिल जाना चाहिए, वह भी ताजा। लेकिन लचर व्यवस्था के कारण बच्चों को 7 से 8 घंटे पहले बना हुआ भोजन परोसा जा रहा है।
Created On :   8 Feb 2020 9:05 AM GMT