विदिशा: नरवाई नही जलाने की किसानो से अपील

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विदिशा: नरवाई नही जलाने की किसानो से अपील

डिजिटल डेस्क, विदिशा। विदिशा खेतों में धान फसल अवशेषों (नरवाई) को कदापि न जलायें। पर्यावरण एवं जनजीवन को बचायें। कलेक्टर महोदय विदिशा डॉ. पंकज जैन, उप संचालक कृषि पी.के. चौकसे ने किसानों को सलाह देते हुये कहा की धान फसल की कटाई के बाद फसल अवशेषों को न जलायें इससे पर्यावरण को प्रदूषण के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य एवं जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। फसल अवशेष जलाने से वातावरण में कार्बनडाई ऑक्साईड़, मिथेन, कार्बन मोनोऑक्साईड आदि गैसों की मात्रा बढ़ जाती है। मृदा की सतह का तापमान 60-65 डिग्री सेन्टीग्रेट हो जाता है, ऐसी दशा में पाये जाने वाले लाभदायक जीवाणु जैसे वैसीलस, सबटिलिस, स्यूडोमोनास, ल्यूरोसेन्स, एग्रोवैक्टीरियम, रेडियोबैक्टर, राईजोवियम प्रजाति एजोटोबैक्टर प्रजाति, एजोस्प्रिलम प्रजाति, सेराटिया प्रजाति क्लेब्सीला प्रजाति, वैरियोवेरेक्स प्रजाति आदि नष्ट हो जाती है। ये सूक्ष्म जीवाणु खेतों में डाले गये खाद एवं उर्वरक को तत्व के रूप में घुलनशील बनाकर पौधों को उपलब्ध कराते है। अवशेषों को जलाने से ये सभी सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते है। इन्ही सूक्ष्म जीवों के नष्ट हो जाने से खेतों में समुचित रूप से खाद एवं उर्वरकों की आपूर्ति पौधों को न हो पाने के कारण उत्पादन प्रभावित होता है। अतः किसान भाईयों से अपील है कि धान फसल की कटाई के बाद फसल अवशेषों पुआल /नरवाई को रोटावेटर व कृषि यंत्रों के माध्यम से जुताई कर खेत में मिला दे फसल अवशेष पर वेस्ट डिकम्पोजर कचरा अवघटक या वायोडायजेस्टर के तैयार घोल का छिडकाव करें या फसल की कटाई के बाद घास फूस पत्तियॉ फसल अवशेषों को सडाने के लिये 20-25 किलो ग्राम नत्रजन प्रति हेक्टर की दर से बिखेर कर नमी की दशा में कल्टीवेटर या रोटावेटर की मदद से मिटटी में मिला देना चाहिये। इस प्रकार अवशेष खेतों में विघटित होकर मिटटी में मिल जाते है। और जीवाणु के माध्यम से हा्ूमस में बदलकर खेत में पौषक तत्व (नत्रजन, फास्फोरस, पोटास, सल्फर आदि) तथा कार्बन तत्व की मात्रा को बढा देती है। हमारे खेतो में ये हा्ुमस तथा कार्बन ठीक उसी प्रकार काम करते है, जैसे हमारे खून में रक्त कडिकायें, इसीलिए किसान भाई फसल अवशेष प्रबंधन को अपना कर पर्यावरण को सूरक्षित बनाने में सहयोग प्रदान करें।

Created On :   3 Nov 2020 3:27 PM IST

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