त्यौहारों से पहले ऑडिटर गायब, कैसे होगा मजदूरों का पेमेंट?

Before the festivals, the auditor disappears, how will the workers pay?
त्यौहारों से पहले ऑडिटर गायब, कैसे होगा मजदूरों का पेमेंट?
त्यौहारों से पहले ऑडिटर गायब, कैसे होगा मजदूरों का पेमेंट?

डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)।  दो दिन बाद होली का त्यौहार है, हर कोई इस उम्मीद में है कि पेमेंट हो जाये तो पर्व मन जाये। नगर निगम के ठेकेदार अपने-अपने बिल तैयार करके बैठे रहे कि ऑडिटर साहब से फाइल करायेंगे और एकाउंट में भेज देंगे, ताकि मंगलवार को पेमेंट हो जाये। इसी तरह कार्यालय में डेली वेजेस पर काम करने वाले श्रमिकों को होली से पहले पेमेंट दिलाने के लिये फाइलें तैयार हो गयी हैं। लेकिन ऑडिटर साहब के न रहने से हंगामा मच गया। बिना उनकी स्वीकृति के पेमेंट नहीं होगा, जब पेमेंट नहीं होगा तो त्यौहार कैसे मनेगा? परेशान अधिकारी, ठेकेदार निगमायुक्त की प्रतीक्षा करते रहे, कि साहब आयें तो उन्हें समस्या बतायें ताकि वह कोई इंतजाम करवायें। वर्ना उनका तो त्यौहार जैसे तैसे मन जायेगा, लेकिन ठेकेदारों के अंडर में काम करने वाले तमाम श्रमिकों और डेलीवेजेज वाले मजदूरों का क्या होगा? त्यौहार है तो पैसे देने ही होंगे, हजार दो हजार हों तो जेब से दे देंगे, लेकिन लाखों की जरूरत है वह कैसे पूरी होगी? सब इसी उम्मीद में हैं कि यदि ऑडिटर आ जायेंगे तो बुधवार तक बैंक खुलेगा, पेमेंट होने की पूरी उम्मीद है। लेकिन वह नहीं आये तो फिर कहीं मुंह छुपाकर ही बैठना पड़ेगा, क्योंकि इतने पैसे तो किसी के पास भी नहीं होंगे।
फोन तक नहीं उठा रहे
सुबह 11 बजे तक सीनियर ऑडिटर बीएन पाठक नहीं आये तो लोगों ने फोन लगाना शुरू कर दिया। एक-दो के फोन तो उन्होंने उठाये और बता दिया कि अब वह 4 मार्च को ही कार्यालय आयेंगे। उसके बाद जिसने भी फोन किया, किसी का भी फोन ही नहीं उठाया। अब लोगों की समझ में नहीं आ रहा है क्या करें। चूंकि निगमायुक्त दिन भर कलेक्ट्रेट में बैठकों में ही व्यस्त रहे, इसलिये वह शाम को ही कार्यालय गये होंगे। यदि उन्हें किसी ने सूचित किया होगा तो वह कोई प्रबंध करेंगे वर्ना ठेकेदारों और उनके श्रमिकों की होली फीकी ही रहने वाली है।
घर में बुलाते हैं फाइलें
ऑडिटर श्री पाठक के बारे में प्रसिद्ध है कि कोई फाइल करानी हो तो उनके घर लेकर चले जाइये। 10 मिनट में फाइल हो जाती है। सिंगरौली में रहते भी हैं तो वह अपने कार्यालय में बैठने में असुविधा महसूस करते हैं। करीब-करीब सभी बाबू या ठेकेदार उनकी इस आदत से परिचित हैं और फाइल लेकर सीधे नगर निगम कॉलोनी में ही स्थित उनके घर पहुंच जाते हैं। लेकिन नया और अपरिचित आदमी उनको ढूंढता ही रहता है। जब बाबू उसे साहब की आदत के बारे में बताते हैं और घर का रास्त दिखा देते हैं तो वह भी पहुंचने लगते हैं।

 

Created On :   27 Feb 2018 8:35 AM GMT

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