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आरोग्य विभाग की रिपोर्ट से हुआ बाल मृत्यु का खुलासा, 1 साल में 934 बच्चों की मृत्यु

डिजिटल डेस्क, अकोला। जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बालमृत्यु के नए आंकड़े चौकानेवाले है। पिछले 1 वर्ष में 934 अर्भक, बालक व जन्म लेते ही मौत होने के मामले सामने आए हैं। बालमृत्यु दर रोकने शासन की ओर से विभिन्न उपक्रम चलाए जाते है। किन्तु यह योजनाएं कारगर साबित नहीं हो रही है। यही वजह है कि विगत 12 माह में 934 बालकों ने अपनी जान गंवाई है। अकोला में बालमृत्यु दर रोकने के लिए आरोग्य विभाग की ओर से हर संभव प्रयास तो किए जा रहे हैं लेकिन बावजूद इसके बाल मृत्यु दर बढ़ ही रही है। जनवरी 2021 से लेकर जनवरी 2022 तक 934 बालकों ने जन्म लेने से पूर्व तथा जन्म लेने के बाद अर्थात ५ वर्ष से कम उम्र के बालकों ने दम तोड़ा है। बालकों के जीवन की रक्षा के लिए विभिन्न योजनाएं तो चलाई जा रही है। लेकिन इन योजनाओं पर पूरी तरह नियंत्रण रखने उचित पहल नहीं की जा रही है। यही कारण है कि हर साल अकोला जिले में जन्म लेने वाले 0 से 5 वर्ष की आयु वाले सैकड़ों बच्चे दम तोड़ देते है।
चिकित्सकों की माने तो इन बीमारियों के चलते ५ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को जान गंवाना पड़ी है। इसके प्रमुख चार कारण समय पूर्व जन्म की विविध जटिल समस्याएं, निमोनिया, डायरिया और सेप्सिस के अलावा कुपोषण, टीकाकरण व शुध्द पेयजल की कमी, समय से पूर्व जन्म लेनेवाले बालक अधिक सेहतमंद नहीं होने, अंग परिपक्व नहीं होने, इसके कारण जटिलताएं निर्माण होने से शिशु की मौत हो जाती है। अनुवांशिकता के अलावा संक्रमण व उपचार के दौरान हुई गड़बड़ी भी कारण होती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार निमोनिया जैसे संक्रमण से जान गंवानेवाले बालकों की संख्या जिले में अधिक है। इसी तरह से डायरिया भी जानलेवा होता है। जलजन्य बीमारियों से बालक आसानी से लड़ नहीं पाता। सेप्सिस रक्त संक्रमण से होनेवाली बीमारी है जो शिशुओं के लिए मौत का कारण बनती है।
मृत बालकों के आंकडे इस प्रकार है
माह बालक बालिका
जनवरी 21 33
फरवरी 43 41
मार्च 25 26
अप्रैल 30 17
मई 31 23
जून 31 16
जुलाई 38 21
अगस्त 47 106
सितम्बर 28 15
अक्टूबर 52 30
नवम्बर 37 30
दिसम्बर 42 39
जनवरी 22 49
कुल (934) 486 448
Created On :   22 Feb 2022 5:07 PM IST