Akola News: गौ-प्रेम - तीसरी मंजिल पर बनाई गौशाला, देश की नामचीन प्रजाति की 21 गायों का पालन

गौ-प्रेम - तीसरी मंजिल पर बनाई गौशाला, देश की नामचीन प्रजाति की 21 गायों का पालन
  • बीमार गायों के उपचार की भी विशेष व्यवस्था
  • तीसरी मंजिल पर बनाई गौशाला

Akola News. सुभाष वैद्य | घर के सामने गाय का होना सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। शहरों में गौपालन की जगह न होने के कारण इच्छुक लोग मन मसोस कर रह जाते हैं। ऐसे में एक परिवार ने घर की तीसरी मंजिल की छत पर तीन हजार स्क्वेयर फीट में गौशाला बना दी। इसमें देश की नामचीन प्रजाति की कुल 21 गायें हैं। जठारपेठ निवासी दिशा उदगीरकर ने 2020 में घर की तीसरी मंजिल पर गायों का पालन शुरू किया। राजस्थान से विख्यात गायें खरीदकर लाई गईं। इन गायों के शुद्ध दूध की मांग अधिक होती है, इसलिए दिशा उदगीरकर ने गौशाला के बाजू में ही डेयरी में दूध व दुग्ध पदार्थों की बिक्री भी शुरू कर दी। इन गायों को कैल्शियम युक्त खाद्य मिलता है। उनसे प्राप्त दूध का व्यवसाय कर दिशा आत्मनिर्भर बन गई हैं। इन गायों के दूध से तैयार उत्पाद धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शुद्ध और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। इसलिए यहां के दूध की मांग बढ़ती जा रही है।


बीमार गायों के उपचार की भी विशेष व्यवस्था

इस गौशाला में खापरटर, साहीवाल प्रजाति की गायें हैं। छत पर गायों की चिकित्सा की व्यवस्था है। कृषि विश्वविद्यालय के पशु-चिकित्सक यहां आकर गायों के स्वास्थ्य की जांच करते हैं। बीमार गायों के उपचार के सभी साधन यहां उपलब्ध हैं। इसलिए गायों को नीचे आने की जरूरत नहीं पड़ती। दिशा उदगीरकर राजस्थान से खरीदी गई अनेक गायों में से अब तक करीब तीन हजार गायों को बेच चुकी हैं। गायों की देखभाल पर उनका काफी पैसा खर्च होता है, लेकिन पीढ़ी-दर-पीढ़ी से चली आ रही परम्परा को यह परिवार खंडित नहीं करना चाहता। वे किफायती दामों में शुद्ध दूध और दुग्ध पदार्थ उपलब्ध कराते हैं।


यह भी पढ़े -अहमदाबाद विमान हादसे में आगरा के नीरज लवानिया और पत्नी की मौत, भाई को फोन कर कहा था '12 घंटे बाद करेंगे बात'

कैसे बनी यह गौशाला?

दिशा उदगीरकर के पति दिलीप उदगीरकर का भरा-पूरा परिवार है। ये लोग जठारपेठ चौराहे पर अपार्टमेंट में रहते हैं। परिवार का मुख्य व्यवसाय खेती है। बोरगांव मंजू पुलिस स्टेशन अंतर्गत डोंगरगांव में उनका खेत है। पुराना मकान ढहाकर उसकी जगह तीन मंजिला इमारत बनाने के बाद गौशाला के लिए जगह बची नहीं। उदगीकर परिवार शहर से दूर खेत में गायों को रखना नहीं चाहता था। इसलिए तीसरी मंजिल की छत पर गौशाला बनाई गई। इसके लिए मकान की सीढ़ियों को चौड़ा रखना पड़ा। इन सीढ़ियों से गायों को तीसरी मंजिल पर लाया जाता है। बेची गई गायों को मकान के नीचे उतारा जाता है।



Created On :   30 Jun 2025 6:51 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story