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7 साल में खंडहर हो गई 17 करोड़ की कलेक्ट्रेट बिल्डिंग, घटिया निर्माण उजागर
![Collectorate building of 17 crore rupees converted into ruin in 7 years Collectorate building of 17 crore rupees converted into ruin in 7 years](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2018/08/collectorate-building-of-17-crore-rupees-converted-into-ruin-in-7-years_730X365.png)
डिजियल डेस्क, सिंगरौली (वैढ़न)। 17 करोड़ की लागत से 7 साल में बना कलेक्ट्रेट भवन महज 3 साल के अंदर खंडहर में बदल गया है। घटिया निर्माण कार्य ने ठेकेदार की मनमानी को बेनकाब कर दिया है। सरकारी अफसरों की कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के चलते कलेक्ट्रेट की बिल्डिंग में अभी से दरारें आ गई हैं। ऊपरी तल के पिलर में क्रैक आने कई सरकारी दफ्तरों की दीवारें टूट गई हैं। घटिया निर्माण कार्य के चलते कलेक्ट्रेट के प्रवेश द्वार से लेकर चारों तरफ की दीवारों में लगी टाइल्स सूखे पत्तों की तरह झड़ रही हैं। कलेक्टर की वाहन पार्किंग के चंद कदमों की दूरी पर पूरी दीवाल ही ढह चुकी है। पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने इस पर नई कहानी गढ़नी शुरू कर दी है। इसी कहनी के अनुसार पीडब्ल्यूडी के अफसर तत्कालीन कलेक्टर के मौखिक आदेश पर बिल्डिंग के हिस्से को खुद विभाग के द्वारा तोड़ने की बात कह रहे हैं। पीडब्ल्यूडी के अफसर ऐसी दलीलों के जरिए न सिर्फ ठेकेदार की करतूत पर पर्दा डालने की कोशिश में हैं, बल्कि क्लीयरेंस देने वाले कार्यपालन यंत्री व अन्य की गर्दन बचाने में लगे हैं।
8 का स्टीमेंट 17 करोड़ तक पहुंचा
कलेक्टेट के निर्माण के लिए पहले पीडब्ल्यूडी ने पहले 8 करोड़ का एस्टीमेंट तैयार किया था। बताया जाता है कि निर्माण कार्य में देरी से लागत बढ़ गई और इसे बढ़ाकर 14 करोड़ कर दिया गया है। पीडब्ल्यूडी के अफसरों की सरपरस्ती में ठेकेदार की शुरूआती दौर में ही मनमानी से एक बार फिर लागत को बढ़ाकर 17 करोड़ कर दिया गया। लोक निर्माण विभाग की शुरू से लापरवाही के चलते 7 साल में कलेक्ट्रेट बन पाया है।
सीएम ने किया था भूमि पूजन
नवीन कलेक्ट्रेट भवन का 24 मई 09 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रभारी मंत्री राजेन्द्र शुक्ल, सांसद गोविंद मिश्र, विधायक रामलल्लू वैश्य, आशोक शाह, रामचरित्र, विश्वामित्र पाठक, कुंवर सिंह टेकाम की मौजूदगी में भूमि पूजन किया था। भूमि पूजन के बाद लोक निर्माण विभाग ने एसके कांस्ट्रक्शन कंपनी सीधी के ठेकेदार शंकर सिंह को दिया। ठेका हथियाने के बाद ठेकेदार पीडब्ल्यूडी के अफसरों की सह पर मनमानी कर 24 मई 16 में काम पूरा कर पाया।
आंख मूंदकर जारी किया क्लीयरेंस
सूत्रों का कमीशनखोरी के चलते पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने आंख मूदकर बिल्डिंग की क्लीयरेंस जारी कर दी। इसी के चलते अब घटिया निर्माण कार्य की असलियत सामने आने लगी है। इस पूरे मामले में कार्यपालन यंत्री डीके सिंह की भूमिका संदिध बताई जा रही है। चर्चा है कि कार्यपालन यंत्री के संरक्षण में ठेकेदार ने घटिया निर्माण कर 17 करोड़ की मोटी रकम का भुगतान प्राप्त कर लिया है।
ईई ने चुप्पी साधी
कलेक्ट्रेट के घटिया निर्माण कार्य की वजह से जगह जगह दरारें आने के सवाल पर पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री डीके सिंह ने चुप्पी साध ली है। बताया जाता है कि ठेकेदार पर कार्रवाई करने की वजाय ईई कलेक्टर समेत वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह कर रहे हैं। इतना ही नहीं कलेक्ट्रेट के निचले और उपरी तल की दीवारों में आई दरारें भी पीडब्ल्यूडी के अफसरों को दिखाई नहीं पड़ रही है। इसके चलते तीन साल के अंदर ही कलेक्ट्रेट भवन धीरे-धीरे खंडहर होता जा रहा है।
टूटी टाइल्स का लगा अंबार
दीवारों से पत्ते की तरह झड़ रही टाइल्स का जमीन पर अंबार लगने लगा है। चारों तरफ से टाइल्स के झड़ने से कलेक्ट्रेट की रौनक में ग्रहण लगता जा रहा है। बताया जाता है कि दीवारों में दरार आने से बारिश का पानी दफ्तरों में टपकने लगा है। इसके चलते सरकारी रिकार्डों के खराब होने के आसार बनते जा रहे हैं। कलेक्ट्रेट की दीवारों में क्रेक आने के बाद उनमें सीमेंट पोत कर ढंकने की कोशिश जारी है।
कलेक्टर ने सौंपी एडीएम को जांच
कलेक्ट्रेट के घटिया निर्माण कार्य पर मूवमेंट लेते हुए कलेक्टर अनुराग चौधरी ने पूरे मामले की जांच एडीएम को सौंपी है। भास्कर से चर्चा के दौरान कहाकि ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड करने के साथ पूरे मामले की बारीकी से जांच कराई जाएगी। कलेक्टर ने कहाकि जांच के दौरान यह पता लगाया जाएगा कि यह निर्माण कार्य पीडब्ल्यूडी के किस अधिकारी के कार्यकाल में हुआ है। जांच में यह पता लगाया जाएगा कि इस निर्माण कार्य की क्लीयरेंस किस अधिकारी ने दी। कलेक्ट्रेट भवन के निर्माण में लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने दावा किया है कि दोषी किसी भी सूरत में बख्शे नहीं जाएंगे।
Created On :   9 Aug 2018 8:48 AM GMT