तारीख पर तारीख, 2.93 लाख से अधिक आपराधिक मामले लंबित

Date to date, more than 2.93 lakh criminal cases pending
तारीख पर तारीख, 2.93 लाख से अधिक आपराधिक मामले लंबित
नागपुर जिले का हाल तारीख पर तारीख, 2.93 लाख से अधिक आपराधिक मामले लंबित

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  न्यायपालिका को लेकर बड़ी मशहूर कहावत है "जस्टिस डीलेड इज जस्टिस डिनाइड"। यानी देरी से न्याय मिलना न्याय न मिलने जैसा है। असंख्य मुकदमों के बोझ तले दबी हमारी न्यायपालिका दिन रात पेंडेेंसी (लंबित) कम करने में जुटी है, फिर भी लंबित मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे। अधिकांश मामलों में आरोपी का फरार होना या वकील का उपलब्ध नहीं होना, पेंडेंसी का मुख्य कारण दिख रहा है। यही कारण है कि जिले में 2,93,204 से अधिक सिविल और आपराधिक मामले लंबित हैं। भास्कर द्वारा खंगाले गए आंकड़ों के अनुसार, नागपुर शहर में एक ऐसा भी मुकदमा है, जो 58 साल से न्यायालय में विचाराधीन है। 

58 साल से चल रहा है मुकदमा, 6 अप्रैल को सुनवाई
नागपुर का सबसे पुराना एक मामला पिछले 58 वर्षों से विचाराधीन है। जानकारी के अनुसार, वर्ष 1965 में शहर के सदर पुलिस थाने में दन्नी हीरा माली और मोहन लाल माली के खिलाफ भादवि 420 के तहत मामला दर्ज हुआ था। तब से यह मामला विचाराधीन है। हाल ही में जेएमएफसी न्यायालय में हुई सुनवाई में अनुपस्थित रहने वाले आरोपी को कोर्ट ने समन जारी करके 6 अप्रैल काे सुनवाई रखी है। 

शस्त्र से हमला, 55 साल से लंबित, अभी भी पड़ताल
वर्ष 1967 को शहर के लकड़गंज पुलिस में बशीर शाह नाजिर शाह के खिलाफ भादवि 324 के तहत शस्त्र से हमला करने का मामला दर्ज हुआ था। फिलहाल जेएमएफसी न्यायालय में केस के सबूतों और गवाहों की पड़ताल जारी है।

धोखाधड़ी का मामला
53 साल से लंबित
वर्ष 1969 में शहर के लकड़गंज थाने में ज्ञानसिंह बेदी और ओमप्रकाश नस्सला के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में भादवि 420, 467 और 468 के तहत आपराधिक मामला दर्ज हुआ था। तब से इस मामले का निपटारा नहीं हुआ है।

2.93 लाख मामले लंबित
-नागपुर जिले में स्थित विविध जिला न्यायालयों और तहसील न्यायालयों में कुल 2,93,204 मामले लंबित हैं। 
- इसमें सिविल मामलों की संख्या 73,091 हैं, तो वहीं लंबित आपराधिक मामलों की संख्या 2,20,113 हैं। 
-चौंकाने वाली बात यह है कि कुल 5557 आपराधिक मामले ऐसे हैं, जो 30 से भी अधिक वर्षों से लंबित हैं।

ये है पेंडेंसी के प्रमुख कारण
32,592 लंबित मामले के आरोपी या सह-आरोपी फरार।
26179 मामले वकील की अनुपलब्धता के कारण लंबित हैं। 
3256 मामले महत्वपूर्ण गवाह की अनुपलब्धता के कारण लंबित हैं। 

सिर्फ 101 जजों पर दारोमदार, 1 जज पर औसतन 2665 मामलों की जिम्मेदारी
न्यायालय में लंबित 2,93,204 मामलों की सुनवाई सिर्फ 110 जजों के जिम्मे है। यानी एक जज पर औसतन 2665 मामलों की सुनवाई की जिम्मेदारी है। हालांकि न्यायालय के कार्यक्षेत्र और स्वरूप के अनुसार उन्हें असाइनमेंट दिए जाते हैं।

• जिला न्यायाधीश-28
• वरिष्ठ दीवानी न्यायाधीश- 21
• प्रथम श्रेणी न्यायाधीश- 26
• तहसील न्यायाधीश- 22
• स्माल कॉज न्यायाधीश- 2
• अस्थायी कोर्ट न्यायाधीश- 3

अदालतों की संख्या बढ़ाएं 
पेंडेंसी के लिए किसी को दोष देना ठीक नहीं है। सबसे ज्यादा पेंडेंसी तो ऐसे मामलों में हैं, जहां आरोपी जमानत पर हैं। कई मामलों मंे गवाह अधिक होते हैं, जिसके कारण वक्त लगता है। इसका एक समाधान यही है कि अदालतों की संख्या बढ़ाई जाए, जिससे निपटारे में तेजी आए। 
-फौजदारी मामलों के अधिक्ता एड.आर.के.ितवारी

Created On :   30 March 2022 8:26 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story