विकास में रोड़ा बन रहे जनप्रतिनिधि- महापौर के यहां पड़ी हैं मुड़वानी डैम व मिनी स्मार्ट सिटी की फाइलें

files of mudvaani Dam and Mini Smart City lying here at the Mayors house
विकास में रोड़ा बन रहे जनप्रतिनिधि- महापौर के यहां पड़ी हैं मुड़वानी डैम व मिनी स्मार्ट सिटी की फाइलें
विकास में रोड़ा बन रहे जनप्रतिनिधि- महापौर के यहां पड़ी हैं मुड़वानी डैम व मिनी स्मार्ट सिटी की फाइलें

डिजिटल डेस्क  सिंगरौली (वैढऩ)। करीब तीन माह पहले कलेक्टर अनुराग चौधरी ने मुड़वानी डैम के विकास की मंशा जतायी थी। उसके बाद उन्होंने वहां का दौरा भी किया था और नगर निगम को निर्देश दिया था कि इसके विकास का डीपीआर तैयार करायें। इस दौरे के दौरान महापौर प्रेमवती खैरवार और नगर निगम आयुक्त शिवेन्द्र सिंह भी उपस्थित थे। इसके बाद कलेक्टर ने एनसीएल के सीएमडी से बात करके मुड़वानी डैम के पर्यटन स्थल के रूप में विकास के लिये कुछ राशि सीएसआर से देने को तैयार कर लिया है। एनसीएल पिछले तीन महीने से 4 करोड़ की राशि देने को तैयार बैठा है। चूंकि मुड़वानी डैम के विकास में ज्यादा राशि की जरूरत पड़ेगी, इसलिये कलेक्टर श्री चौधरी ने 5 करोड़ की राशि डीएमएफ से देने की तैयारी कर ली है। नगर निगम के पास भी करीब 5-6 करोड़ की राशि पार्कों के विकास के लिये पड़ी हुई है। कलेक्टर ने यह निर्देश 27 नवंबर को दिये थे, तब से अभी तक नगर निगम डीपीआर तैयार नहीं करवा पाया है। पता चला है कि डीपीआर तैयार करने की स्वीकृति प्रदान करने वाली फाइल महापौर के यहां पिछले तीन महीने से पड़ी है। उनको इतनी फुर्सत नहीं मिल पा रही है कि इतनी जरूरी फाइल को प्राथमिकता के आधार पर निराकृत करतीं। नतीजा यह होगा कि फाइल दबी पड़ी रहेगी और मुड़वानी डैम का विकास अटका रहेगा। शहरवासियों को एक अच्छा पर्यटक स्थल मिलने की उम्मीद लंबी होती जा रही है।
मिनी स्मार्ट सिटी की फाइल भी अटकी
सरकार ने उन नगर निगमों से प्रस्ताव मंगाये थे, जिन्हें स्मार्ट सिटी योजना में स्थान नहीं मिल पाया है। उनके लिये प्रदेश सरकार ने मिनी स्मार्ट सिटी योजना लागू कर इनके विकास का खाका खीचा है। सरकार ने नगर विकास के लिये जरूरी कार्यों का डीपीआर तैयार कर भेजने को कहा था। डीपीआर तैयार कराने के लिये नगर निगम ने कंसल्टेट फर्मों से टेंडर आमंत्रित किया था। मिनी स्मार्ट सिटी का डीपीआर तैयार करने के लिये सरकार ने नगर निगम को 15 लाख रूपये देने का प्रस्ताव दिया था। टेंडर में एक कंसल्टेंट ने 11 लाख के करीब राशि भरी, जिसका प्रस्ताव महापौर को भेजा गया। करीब डेढ़ महीने से यह प्रस्ताव भी उन्हीं के पास ही पेंडिंग है। इस तरह फाइलें दबी रहेंगी तो मुड़वानी डैम का विकास और मिनी स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट कभी नहीं आ पायेगा।
बिना प्रस्ताव के कैसे मिलेगा पैसा?
नगर निगम के जनप्रतिनिधि अक्सर यह आवाज उठाते रहते हैं कि डीएमएफ पर सबसे ज्यादा हक उनका है। क्योंकि उनके क्षेत्र में रहने वाले ही सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। लेकिन जब डीएमएफ कार्यालय से संपर्क किया गया तो पता चला कि नगर निगम का कोई प्रस्ताव ही पेंडिंग नहीं है। अरे जब प्रस्ताव भेजा ही नहीं जायेगा, तब पेंडिंग कैसे रहेगा। हां पानी के लिये राशि देने का प्रस्ताव जरूर भेजा गया है। इन परिस्थितियों तो यही कहा जायेगा कि जनप्रतिनिधि ही नहीं चाहते कि जिले का विकास हो। अधिकारी लगे रहते हैं कि क्या नया करा दें और जनप्रतिनिधि फाइलें दबाकर विकास कार्यों को पलीता लगा रहे हैं।

 

Created On :   7 March 2018 2:13 PM IST

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