बच्चों में स्किल डेवलप करने पर फोकस, प्रदेश को एजुकेशन हब की पहचान देने की कोशिश

Focus on developing skills in children, trying to give identity of education hub to the state
बच्चों में स्किल डेवलप करने पर फोकस, प्रदेश को एजुकेशन हब की पहचान देने की कोशिश
शिक्षा के क्षेत्र में नए विचार बच्चों में स्किल डेवलप करने पर फोकस, प्रदेश को एजुकेशन हब की पहचान देने की कोशिश

डिजिटल डेस्क, भोपाल। सेज ग्रुप अपने स्कूल, विश्वविद्यालय और कॉलेज में विश्वस्तरीय पढ़ाई के लिए जाना जाता है। यहां अच्छी शिक्षा के साथ ही स्टूडेंट्स को देश का अच्छा नागरिक बनाने पर भी जोर दिया जाता है। सेज ग्रुप के सीएमडी और सेज यूनिवर्सिटी के चासंलर इंजीनियर संजीव अग्रवाल नए-नए आइडियाज के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में शहर को एजुकेशन हब बनाने के लिए प्रयासरत हैं। पत्रिका ने उनसे बात कर जाना कि नई शिक्षा नीति आने के बाद के कैसे स्कूल और कॉलेज स्तर पर पढ़ाई का माहौल बदलेगा। संजीव ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद एजुकेशन सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव आया है। अब स्टूडेंट्स और टीचर्स ने खुद को टेक्नोफ्रेंडली बना लिया है। हमारे स्कूल-कॉलेज देश-विदेश के टॉप इंस्टीट्यूट से जुड़कर स्टूडेंट्स को स्किल बेस्ड एजुकेशन देने पर फोकस कर रहे हैं। हमारा जोर स्टूडेंट्स को जॉब क्रिएटर बनाने का है।

- सेज इंटरनेशनल स्कूल और यूनिवर्सिटी में कैसे नई शिक्षा को लागू किया जा रहा है?
संजीव: नई शिक्षा नीति के बाद भारत एजुकेशन सेक्टर में इंटरनेशनल लेवल के कॉम्पीटिशन पर आ जाएगा। अभी तक हम अमेरिका-यूरोप के स्कूल और कॉलेजों का उदाहरण देते थे कि कैसे वहां छोटी क्लास से ही बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा दी जा रही है। बच्चे पढ़ाई के साथ अपनी हॉबी पूरी कर स्पोर्ट्स और कला के क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं। अब पूरा विश्व हमारे देश का उदाहरण देगा।

- नई शिक्षा नीति को स्कूल और कॉलेज में कैसे लागू किया जा रहा है?
संजीव: हमने स्कूल से ही बच्चों की स्किल बेस्ड ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है। सेज इंटरनेशनल स्कूल का इंडस्ट्री के साथ टाइअप किया जा रहा है। उन्हें इंडस्ट्री की विजिट कराई जा रही है। इससे उनमें उद्योग की समझ पैदा होगी। सेज यूनिवर्सिटी में तो हमने 100 प्रतिशत स्किल बेस्ड प्रोग्राम शुरू कर दिया है। यहां इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट्स के लेक्चर कराए जा रहे हैं। इससे स्टूडेंट्स में व्यावहारिक समझ विकसित होगी। इसके लिए वेदांता, स्टरलाइट जैसी बड़ी कंपनियों से टाइअप किया है। इसके बाद स्टूडेंट को ट्रेनिंग लेने की जरूरत नहीं है, वो सीधे जॉब के लिए तैयार हो सकेंगे। सेज यूनिवर्सिटी ने हॉवर्ड बिजनेस स्कूल से टाईअप भी कर रखा है। इससे स्टूडेंट्स को इंटरनेशनल एक्सपोजर मिल रहा है।

- अटल टिकरिंग लैब को लेकर क्या योजनाएं हैं।
संजीव: अटल टिंकरिंग लैब्स केंद्र सरकार के अटल इनोवेशन मिशन का हिस्सा है। सेज इंटरनेशनल स्कूल और एसआईआरटी इंजीनियरिंग कॉलेज में इसे शुरू करने का प्रस्ताव तैयार कर संबंधित विभाग को भेजा गया है। अगले तीन माह में स्कूल और कॉलेज में लैब शुरू हो जाएगी। लैब शुरू होने से स्टूडेंट्स अपने विचारों को यहां साकार कर सकेंगे। यहां बेसिक लेवल पर वे काम कर सकेंगे। जो अच्छे आइडिया होंगे, उन्हें आंत्रप्रेन्योर सेल के माध्यम से स्टार्टअप शुरू करने में मदद दी जाएगी।

- सीबीएसई 10वीं और 12वीं बोर्ड में स्कूल का सौ प्रतिशत रिजल्ट रहा। अब स्टूडेंट्स के लिए किस तरह के आइडिया पर काम किया जा रहा है?
संजीव: मेरे विचार से रिजल्ट किसी एग्जाम का फॉर्म भरने के लिए एक बिगनिंग है। अब हमारा प्रयास अगले लेवल का है। स्कूलिंग के बाद बच्चे जेईई, नीट, क्लैट जैसे एग्जाम देकर भविष्य की राह चुनते हैं। हमारा प्रयास है कि अब उन्हें स्कूल लेवल पर इनके लिए तैयार कर सकें। उनकी स्किल डेवलप करने पर फोकस है।

- इंजीनियरिंग सेक्टर में कोरोना के बाद किस तरह का बदलाव देखने को मिल रहा है?
संजीव: इंजीनियरिंग की अलग-अलग विधा को इंटरनेशनल लेवल के सेंटिमेंट प्रभावित करते हैं। जॉब के अनुसार छात्रों में अलग-अलग ब्रांच में रूझान बदलता रहता है। ये हमेशा से होता रहा है, लेकिन मेरा मानना है कि स्टूडेंट्स को धारा के विपरित चलने वाला बनाना होगा। आप सिर्फ वही ब्रांच चुनें, जिसमें आपको काम करने में दिलचस्पी है। इससे आप अपनी अलग पहचान बना पाएंगे।

- इंजीनियरिंग सेक्टर में भोपाल एजुकेशन हब बन रहा है, इसे आप कैसे देखते हैं?
संजीव: पहले भोपाल के बच्चे इंजीनियिंरग की पढ़ाई के लिए अन्य शहरों में जाते थे। अब अन्य राज्यों के बच्चे यहां पढ़ने आ रहे हैं। यहां इंटरनेशनल लेवल का इंफ्रास्ट्रक्चर, फैसेलिटी और फैकल्टी मौजूद है। जो उन्हें यहां पढ़ने के लिए आकर्षित कर रही है। अब हमारा फोकस है कि हम महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों के बच्चों को यहां पढ़ाई के लिए ला सकें। हमने कॉलेज में स्टैंडर्ड सेट कर दिए हैं, हम 60 प्रतिशत से कम अंक वाले स्टूडूडेंट्स को एडमिशन देते ही नहीं है। इससे पढ़ाई का लेवल हाई हो रहा है।

- सेज ग्रुप अब मेडिकल के क्षेत्र में आ रहा है। नए अस्पताल में किस तरह की सुविधाएं होंगी?
संजीव: हम ई-8, बावडिया कलां में ओपोलो सेज हॉस्पिटल लेकर आ रहे हैं। दिपावली तक ये प्रारंभ हो जाएगा। यहां भोपालवासियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं मिलेंगी। अभी इलाज के लिए यहां के मरीजों को दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और चैन्नई जाना पड़ता है। ऐसे में उन्हें फ्लाइट, वहां ठहरने पर भी काफी खर्च करना पड़ता है। हम पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेज भी शुरू कर रहे हैं। भविष्य में हम सेज यूनिवर्सिटी कैंपस में ही मेडिकल कॉलेज भी शुरू करेंगे।

- आप मैनिट से पासआउट हैं, सफल बिजनेसमैन बनने के लिए क्या टिप्स देंगे?
संजीव: मैं 12 घंटे अपने काम को समर्पण के साथ करता हूं। सेज ग्रुप को विश्व स्तर पर ले जाना मेरा सपना है। मेरी सफलता का राज है कि मैं हर हाल में खुश रहता हूं और दूसरों को भी खुश रखने की कोशिश करता हूं। जीवन में कई बार मुश्किल हालात होते हैं, लेकिन यदि इसमें खुद को खुश रख पाएंगे तो ही आगे बढ़ेंगे। अनुशासन, समर्पण और सब को साथ लेकर चलेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। जीवन में हमेशा अपना रोल मॉडल, एक आइडियल बनाएं और उसी के अनुसार खुद को बनाने की कोशिश करें।

 

Created On :   25 Aug 2022 10:33 AM GMT

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