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लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से होगी बाघों की गणना, लगेंगे कैमरे
![Forest Department will set up CCTV cameras to calculate tigers Forest Department will set up CCTV cameras to calculate tigers](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2018/01/forest-department-will-set-up-cctv-cameras-to-calculate-tigers_730X365.jpg)
डिजिटल डेस्क छतरपुर । बाघों की गणना के लिए वन विभाग लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेगा। जंगल में बाघ की मौजूदगी के कैमरे की रिकॉर्डिंग से प्रमाण लिए जायेगे। डीएफओ अनुपम सहाय ने बताया कि कान्हा में ट्रेनिंग के बाद बाघ कि गणना की प्रक्रिया अपडेट होगी । बाघ के जंगल में मूवमेंट का पता लगाने के लिए बीट गार्ड भी प्रत्यक्ष प्रमाण एकत्रित करेंगे।
एसडीओ करेंगे मॉनीटरिंग
बाघ, तेदुआ, हिरण, बारहसिंघा सहित अन्य जंगली जानवरों की गणना रिपोर्ट व जंगलों में सीसीटीवी लगाये जायेंगे। वनविभाग केअधिकारियों ने बताया कि एक ही स्थान में करीब 15 दिन तक सीसीटीवी कैमरे से जानवरों की निगरानी की जायेगी। कैमरो में रिकार्ड होने वाले फुटेज की जांच करने के बाद निष्कर्ष निकाला जायेगा कि किस क्षेत्र में कितने जानवर देखे गए।एसडीओ इसकी निगरानी करेंगे।
ऐसे होगी निगरानी
जंगल में रहने वाले सभी जानवरों की गणना के साथ साथ जंगल में उनके रहवास की भी निगरानी गणना टीम द्वारा की जायेगी। बताया जा रहा है, कि टीम इस बात का पता लगायेगी कि रहवास क्षेत्र में जानवरों को किस चीज की जरूरत है।और किस तरह से जानवर रह रहे है। रहवास की रिपोर्ट आने के बाद शासन स्तर पर रहवास क्षेत्र में सुधार किये जाने पर विचार किया जा रहा है। जंगलों में मिले बाघ के साक्ष्य वन विभाग अधिकारियों की माने तो पिछले करीब दो वर्षो में जिले के आस पास के वन क्षेत्रों में बाघ के होने के साक्ष्य मिले है। हलाकि अधिकारी यह भी कह रहे है,कि किसी ने बाघ को देखा नहीं है। लेकिन जो साक्ष्य मिले है। उससे अनुमान लगाया जा रहा है। कि जिले के लंगल में बाघ है। अधिकारियों काकहना है, कि जंगल में बाघ है या नहीं यह तो गणना के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा। वैसे जिले के जंगलों में तेदुआ, हिरण, चीतल, सहित अन्य जंगली शाकाहारी और मांशाहारी जानवर कई बाद देखे गए है।
इनका कहना है
बाघों की लेटिस्ट टेक्नालाजी से गणना के लिए जंगल में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। टाइगर के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रमाण के लिए फुट प्रिंट भी लिए जाएंगे।
डॉ. अनुपम सहाय, डीएफओ
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Created On :   16 Jan 2018 7:53 AM GMT