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बंजारे लगा गए सर्राफा व्यवसायियों को 35 लाख का चूना !
डिजिटल डेस्क सिंगरौली वैढऩ। आमतौर पर माना जाता है कि आप किसी को भी अपनी चतुराई से मात दे सकते हैं लेकिन सर्राफा कारोबारी को नहीं। किंतु, जहां शाम ढले वहीं डेरा बनाने वाले बंजारों ने वैढऩ, मोरवा से लेकर शक्तिनगर के नामचीन सर्राफा व्यापारियों की बुद्धिमत्ता पर भी ऐसा पर्दा डाला कि वे उनके सामने अपनी तिजोरी खोलते चले गए।बंजारों ने जो जेवर रहन याने गिरवी रखे थे उनमें से ज्यादातर पीतल और पीतल-तांबा मिक्स थे। इन पर सोने की पॉलिश चढ़ी थी। पॉलिश भी ऐसी कि सोने के जानकार भी चकमा खा गए। जेवरों को डिजाइन भी परंपरागत जेवरों जैसा था, जिससे व्यापारियों को कहीं कोई शक नहीं रहा। और अब मूल तो छोडि़़ए ब्याज भी वापस न आने पर जब रहन रखे सामान की जांच-परख की तो सबके तोते उड़ गए। पुलिस के पास जाने की बजाए कई कारोबारी अब भाड़े के लोगों की मदद से उनके ठिकाने तलाश करवा रहे हैं तो कुछ को उम्मीद है कि बंजारे, शायद फिर आएंगे। इस तरह दर्जन भर व्यापाररियों केा 35 लाख का चूना लग गया ।
जानकारी के अनुसार पिछले साल ठंड के सीजन में आए बंजारों के एक दल ने वैढऩ, मोरवा, देवसर, जयंत और शक्तिनगर के सर्राफा व्यापारियों को ऐसा चूना लगाया कि व्यापारियों के बोल नहीं फूट रहे। मार्च से अप्रैल माह की अवधि में बंजारों ने जेवरात गिरवी रखकर लंबी रकम उठाई और रफूचक्कर हो गए। मियाद अवधि निकल जाने के बाद भी जब बंजारे कहीं नजर नहीं आए तब व्यापारियों के होशफाख्ता हो गए। नोटबंदी के बाद जीएसटी से परेशान चल रहे सर्राफा कारोबारियों को जब अपने लुट जाने का होश आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
ऐसा जीता दिल- एक सराफा व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जो बंजारा उनके पास पहले आता था, उसने सोने के भारी जेवर दिखाकर छोटी-छोटी रकम उधार ली। निर्धारित समय से पहले ही रकम लौटा दी। ऐसा तीन-चार बार हुआ। जब उसने देखा कि विश्वास जम गया है तो सोने के काफी जेवरात लाकर ढाई लाख रूपए मांगे। जेवरों को देखकर रकम उधार देना कोई घाटे का सौदा नहीं लगा। सो, तत्काल उसे पूरी रकम दे दी। अप्रैल माह में रकम लेकर गया युवक जब मई माह में भी नहीं आया तब जाकर हमारा माथा ठनका। पता किया तो इसी बीच में बंजारे कई सर्राफा व्यापारियों का पैसा लेकर नदारद हो चुके थे।
मोबाइल भी बंद- व्यापारी का कहना है कि जो बंजारा रकम लेकर गया है, उसका मोबाइल नंबर भी बंद आ रहा है। तंग आकर हमने बंजारे द्वारा बताए गए राजस्थान के ठिकानों की पतासाजी शुरू कर दी है। उम्मीद है कि उनका जल्द ही पता ठिकाना मिल जाए। व्यापारी के मुताबिक एक बार सुराग मिलने पर पुलिस को पूरी जानकारी से अवगत कराया जाएगा।
ये रही मजबूरी- बंजारों के हर सामान को चेक न करने के पीछे रहन के सामान से कोई छेड़छाड़ न किए जाने का प्रावधान सर्राफा व्यापारियों के आड़े आ गया। पहले उन्होंने जो जेवर दिखाए थे वो तीस, चालीस हजार से कम नहीं थे। अपनी पारखी नजरों और व्यक्तिगत अनुभव के साथ उन्होंने दूसरे व्यापारियों से भी पूछा। इन जेवरों के बदले पहले दौर में बंजारे लोगों ने कभी पांच हजार तो कभी दो हजार रूपए लिए। इसके बाद तीस से पचास हजार की राशि ज्यादा जेवर देकर मांगी गई। लेकिन जब उन्होंने दो- ढाई लाख रूपए मांगे तब तक व्यापारियों को इतना भरोसा हो गया था कि उन्होंने पूछताछ करने की जरूरत ही नहीं समझी।
Created On :   6 Oct 2017 12:59 PM IST