प्लास्टिक वेस्ट से बन रही सरपट सडक़ जिनकी उम्र दूसरी सडक़ों से कई वर्ष ज्यादा

Gallop road being made of plastic waste whose age is many years more than other roads
प्लास्टिक वेस्ट से बन रही सरपट सडक़ जिनकी उम्र दूसरी सडक़ों से कई वर्ष ज्यादा
जिले में बन रही सडक़ों पर कचरे से निकल रही पॉलीथिन का उपयोग प्लास्टिक वेस्ट से बन रही सरपट सडक़ जिनकी उम्र दूसरी सडक़ों से कई वर्ष ज्यादा

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। पर्यावरण के लिए खतरा बनी सिंगल यूज वेस्ट प्लास्टिक को एकत्र कर इसका उपयोग सडक़ निर्माण में किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ विभाग जिले में तकरीबन 18 सडक़ें प्लास्टिक वेस्ट की कतरन से बना रहा है। वैसे तो देश के दूसरे हिस्सों में आठ साल पहले से यह नवाचार शुरू हो चुका है लेकिन जिले में वर्ष 2015 से इसकी शुरूआत हुई है जिसके बाद अब सडक़ दिखने लगी है। विभाग भी 80 किमी सडक़ बनाने का लक्ष्य प्लास्टिक वेस्ट से बनाने का रख चुका है। जिले में ऐसे बन रही सडक़: पीएमजीएसवाय के अधिकारियों के अनुसार सडक़ बनाने के लिए डामर में प्लास्टिक वेस्ट की कतरन को मिलाया जाता है। डामर के साथ तकरीबन आठ फीसदी प्लास्टिक वेस्ट मिलाया जाता है। फिलहाल जिले में प्लास्टिक वेस्ट कतरन नहीं बनती है इसलिए जबलपुर से इसे लाया जाता है जहां डामर में मिलाकर सडक़ बनाई जाती है।
ननि क्षेत्र से इतनी निकली प्लास्टिक
आंकड़ों के अनुसार शहर के कचरा घर में प्रतिदिन औसतन 65 टन कचरा आता है, जिसका 25 फीसदी हिस्सा सूखा कचरा होता है। नगरनिगम के रिकार्ड अनुसार इस सूखे कचरे में से 15 से 20 टन पॉलीथिन होती है।
ऐसे होता है प्लास्टिक कचरे का उपयोग
प्लास्टिक कचरे को जमा किया जाता है। इसे एक विशेष प्रकार की मशीन में डालकर 2 से 4 मिलीमीटर आकार के टुकड़े बनाए जाते हैं। इन प्लास्टिक टुकड़ों को सडक़ निर्माण में प्रयोग होने वाली गिट्टी में डालकर 150 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है। करीब एक घंटे की इस प्रक्रिया के बाद प्लास्टिक के टुकड़े गिट्टी के साथ उसी के आकार में चिपक जाते हैं। इसके बाद इस गिट्टी को तारकोल में मिलाया जाता है। फिर इसे सडक़ पर बिछाया जाता है। इस तरह प्लास्टिक के टुकड़े गिट्टी और तारकोल के बीच दोगुनी क्षमता के साथ पकड़ बनाए रखता है।
इन सडक़ों के यह फायदे
सडक़ की मजबूती बढ़ती है।
जल भराव के प्रति रजिस्टेंस बढ़ता है।
लोड सहने की क्षमता बढ़ती है।
मेंटेनेंस कॉस्ट में कमी आती है।
रोड की लाइफ  काफी बढ़ जाती है।
जिले में इतनी सडक़ें
बिछुआ से सारंगबिहरी तक 14 किमी।
लोहांगी से देवगढ़ तक 8.88 किमी।
देवगढ़ से कलकोट तक 5.70 किलोमीटर।
मोहगांव खुर्द रोड 3.90 किमी।
काराघाट कामठी से पलाशपानी 2.5 किलोमीटर।
सिलोटाकला से चारगांव 1.9 किमी।
तुमड़ागड़ी से डोडाखापा तक 3.2 किलोमीटर।
सुर्रेखानी से पथराकला 0.75 किमी।
बिछुआ लोधीखेड़ा रोड से घोराड़ 2 किलोमीटर।
माड़ई से जठारी 3.10 किमी।
इनका कहना है
प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग कर सडक़ बनाई जा रही है। जिले में तकरीबन 18 सडक़ें बन रही है। इसके लिए डामर के साथ तकरीबन आठ फीसदी हिस्सा प्लास्टिक वेस्ट की कतरन को मिलाया जाता है। इस सडक़ की लाइफ ज्यादा रहती है।
- अनिल पाठक डीएम, प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना
 

Created On :   11 Oct 2021 3:12 PM IST

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