सिंगरौली के विकास में जीएसटी का रोड़ा, फंसे 4.5 करोड़ के टेंडर!

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सिंगरौली के विकास में जीएसटी का रोड़ा, फंसे 4.5 करोड़ के टेंडर!
सिंगरौली के विकास में जीएसटी का रोड़ा, फंसे 4.5 करोड़ के टेंडर!

 डिजिटल डेस्क  सिंगरौली (वैढऩ)। लोग कह रहे हैं कि विकास पागल हो गया है, लेकिन नगर निगम का विकास जीएसटी के फेर में फंस गया है। नगर निगम के बिजली विभाग ने करीब छह माह पूर्व 4.5 करोड़ के टेंडर जारी किये थे। किस्तों में जारी किये गये इन टेंडरों को कई फर्मों ने बिलो रेट डालकर हासिल कर लिया था। उसके बाद जुलाई में जीएसटी लागू हो गया। जिसके बाद इन फर्मों ने एग्रीमेंट न कराने में ही भलाई समझी है। उन्होंने जमानत राशि डूब जाने में ही संतोष कर लिया है, क्योंकि करीब 25 से 28 फीसदी तक टेंडर बिलो डाला था, जिसके कारण उन्हें टेंडर मिल गया। अब 12 से 18 फीसदी के बीच जीएसटी देना है। नये कार्यों के लिये तो शासन से निर्देश प्राप्त हो गये हैं कि नगर निगम जीएसटी देगा, लेकिन जो कार्य पूर्व में स्वीकृत थे, उनके लिये कोई दिशा निर्देश नहीं दिये गये हैं। जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है। 40 फीसदी बिलो रेट में काम करने का मतलब साफ है कि घर से पैसा लगाना होगा। इसलिये ठेकेदार एग्रीमेंट ही नहीं करा रहे हैं। नगर निगम की ओर से बार-बार नोटिस दिये जा रहे हैं लेकिन ठेका प्राप्त करने वाले ठेकेदार एग्रीमेंट कराने ही नहीं आ रहे हैं। जिसको देखते हुए नगर निगम ने दो फर्मों के करीब 50 लाख के कार्यों को निरस्त कर उनकी अमानत राशि जप्त कर ली है। इसके साथ ही उनको एक वर्ष के लिये ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। जिससे वह एक वर्ष तक नगर निगम के किसी भी टेंडर में भाग नहीं ले पायेंगे।
इन पर हुई कार्यवाही
नगर निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार मेसर्स रूचि मिश्रा रीवा का वार्ड-39 में लिया गया काम निरस्त कर दिया गया है। 18.92 लाख रूपये के इस कार्य के लिये पुन: टेंडर आमंत्रित किया जायेगा। इसके साथ ही इस फर्म ने करीब 80 लाख के और कार्य ले रखे थे, जिन्हें भी निरस्त करने की कार्यवाही की जा रही है। इससे पूर्व मेसर्स एमआर इलेक्ट्रिकल्स इंदौर का भी काम निरस्त कर दिया गया था। एमआर ने भी करीब 1 करोड़ के टेंडर लिये थे। उपरोक्त फर्मों को एक साल के लिये प्रतिबंधित कर दिया गया है। इन फर्मों ने 28 फीसदी बिलो में टेंडर प्राप्त किया था। इससे भी पूर्व ग्रीन एनर्जी भोपाल को भी प्रतिबंधित किया गया था। सूत्र बताते हैं कि करीब 2.5 करोड़ के टेंडर और हैं जिनमें ठेकेदारों द्वारा एग्रीमेंट नहीं कराया जा रहा है। इनके खिलाफ भी कार्यवाही प्रारंभ कर दी गयी है।
एक साल पीछे हो गया विकास
ठेकेदारों का गणित था कि वह किसी तरह इस रेट में कार्य करवा देंगे, लेकिन टेंडर लेने के बाद वह हाथ खड़े कर रहे हैं। जिसके कारण जो कार्य अब तक हो जाना चाहिये था, वह अगले साल  में हो पायेगा। जिसके कारण विद्युत विभाग के बजट का आधा काम एक वर्ष के लिये पिछड़ गया है। नगर निगम के बिजली विभाग का कुल बजट ही करीब 10 करोड़ है। उसमें से भी इस बार पूरा बजट परिषद ने पास नहीं किया है। ऐसे में इतने सारे कामों का इस तरह से अटक जाना अपने आप में काफी दुखद है। इन कार्यों में माजन मोड़ से इंदिरा चौक तक सेंट्रल बर्ज की स्थापना एवं साइड में लाइन की सिफ्टिंग का काम भी शामिल था। अब निगम द्वारा उपरोक्त फर्मों द्वारा लिये गये अन्य टेंडरों को निरस्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी है, यह प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद नये सिरे से टेंडर आमंत्रित किये जायेंगे।

 

Created On :   12 Oct 2017 1:48 PM IST

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