झिंगुरदह के ओबी डम्प से हो रहा भारी प्रदूषण -कई किमी तक उडकऱ जा रहे धूल,कोयले के कण

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झिंगुरदह के ओबी डम्प से हो रहा भारी प्रदूषण -कई किमी तक उडकऱ जा रहे धूल,कोयले के कण

डिजिटल डेस्क  सिंगरौली (मोरवा) । झिंगुरदह परियोजना से ओबी निष्कासन करने वाली कम्पनी के द्वारा भारी प्रदूषण किया जा रहा है। सोमवार की दोपहर की गई डम्पिंग के साथ ही भारी मात्रा में कोयला मिश्रित ओवर बर्डेन उड़ा। जिससे स्थानीय लोगों को सांस लेना भी दूभर हो गया। परियोजना के सबसे समीपी नेशनल हाइवे पर बिना चश्मा लगाए वाहन चलाना मुश्किल हो गया तो दूसरी तरफ सांस लेने में भी समस्याएं हुई। मुक्तिधाम पहुंचे सैकड़ों लोग भी घंटों तक डस्ट के प्रभाव में रहे और एनसीएल प्रबंधन को इस प्रकार सार्वजनिक तौर पर फैलाए जा रहे प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के उपाय किये जाने की जरूरत बताया। इस समस्या की चपेट में चंद्रपुर पुनर्वास बस्ती, शासकीय प्राथमिक शाला से लेकर गुल्लाडांड, चटका, भूसा मोड़ और पिड़ताली तक का एक बड़ा एरिया रहा। इन स्थानों में रहने वाली बड़ी आबादी को स्वच्छ वातावरण नहीं मिल पा रहा है। लगातार इस समस्या की शिकायतें की जा रही है, खुले मैदान में खड़े होने पर ही कुछ ही देर बाद कपड़ों में कोयला मिश्रित धूल जमा होने लग जाती है। जिसका प्रभाव कुछ देर वाहनों के खड़े करने पर उनकी सीट में धूल जमा हो जाती है। 
डंपिंग कंपनी बरत रही लापरवाही
सूत्रों की मानें तो झिंगुरदह परियोजना में ओवर बर्डेन निष्कासन करने वाली जब भी कोल फेस का ओबी उठाकर डम्प करती है तो कोयले का भारी भरकम गुबार हवा में ऊपर उठ जाता है। सैकड़ों फीट ऊपर तक उड़ता कोयला कई किमी के दायरे को अपनी चपेट में ले लेता है। दोपहर के समय यह समस्या और भी बढ़ जाती है क्योंकि निजी कम्पनी बिना वॉटर स्प्रिंकलिंग किये ही ओवर बर्डेन को डम्प में उड़ेलना शुरू कर देती है। बताया जा जा रहा है कि झिंगुरदह में मेसर्स बघेल इन्फ्रा प्रा.लि. के द्वारा ओबी निष्कासन और डम्पिंग में बरती जा रही लापरवाही का खामियाजा आम लोग उठा रहे हैं।
नॉन स्टाप चलता है क्रम
ओबी निष्कासन के लिये 24 घंटे कार्य किया जाता है। जिससे जब तक तक एक डम्पर का कोयला जमीन में सटल होता है तब तक दूसरा डम्पर कोल मिक्स ओबी उड़ेल देता है। इस प्रकार नेशनल हाइवे के किनारे पहुंच चुके डम्पिंग यार्ड से आम जनजीवन को खतरा पहुंच रहा है। एनसीएल प्रबंधन भारी प्रदूषण को रोकने के  लिये पुख्ता इंतजाम करे। सैकड़ों फीट की ऊंचाई से गिरने वाली ओबी और कोयले के कारण हवा में फैलकर हर समय प्रदूषण उत्पन्न करते हंै। जिसके साथ ही आसपास लगी नर्सरी और पौधों को भी नुकसान पहुंच रहा है।
हड़ताल का असर
झिंगुरदह परियोजना प्रबंधन ने बताया कि सोमवार को कर्मियों की हड़ताल का असर रहा है। जिससे जरूरी वॉटर स्प्रिंलिंग नहीं हो पायी है। दूसरी ओर कबाडिय़ों के द्वारा केबल काट कर पम्प हाउस को नुकसान पहुंचाया गया है। जिसके कारण वाटर पम्प चलाने में समस्या आ रही है, ओबी व ओबी डम्प पर वॉटर स्प्रिंकलिंग के वैकल्पिक इंतजाम किये गये हैं। जिससे कि ओबी के उडऩे और फैलने पर नियंत्रण पाया जा सके। देर शाम तक इसे काफी हद तक कम कर लिया गया था, कोशिश जारी है कि स्थानीय लोगों को ओबी डस्ट से समस्या न हो।
 

Created On :   24 Sept 2019 2:37 PM IST

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