हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में प्रवासी रचनाकारों से संवाद

Interaction with overseas creators on the occasion of Hindi Day at Rabindranath Tagore University
हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में प्रवासी रचनाकारों से संवाद
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में प्रवासी रचनाकारों से संवाद

डिटिजल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केन्द्र, वनमाली सृजन पीठ, मानविकी एवं उदार कला संकाय का ‘प्रवासी रचनाकारों से संवाद’ का आयोजन किया गया। इस मौके पर बतौर विशिष्ट अतिथि सुश्री मारला ईरमला, वरिष्ठ लेखिका, जर्मनी, कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री संतोष चौबे, वरिष्ठ कवि, कथाकार, निदेशक, विश्व रंग एवं कुलाधिपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, श्री कपिल कुमार, वरिष्ठ रचनाकार, बेल्जियम, श्री रोहित कुमार हेप्पी, वरिष्ठ रचनाकार, न्यूजीलैंड, डॉ जवाहर कर्णावत जी, श्री कमल ताउरी, डॉ. संगीता जौहरी, प्रति कुलपति आरएनटीयू उपस्थित थे।

सुश्री मारला ईरमला ने संबोधित करते हुए बताया कि संस्कृत तो सभी भाषाओं की मां है और संस्कृत का जन्म भारत में हुआ है। मैं आपकी आभारी हूं जो मुझे आज इस मंच पर आने का अवसर मिला। मुझे खुषी है कि मैं आपके साथ हूं। हमें मिल कर हिन्दी के वैश्वीकरण के लिये काम करना है।

इस मौके पर श्री संतोष चौबे जी ने कहा कि टैगोर, विवेकानंद और अरविंद पर फोकस कर उनके दृष्टिकोण को लेकर पूरे विष्व में भारतीय भाषा पर काम करना होगा। समुद्र के किनारे खडे होने पर तैरना नहीं आएगा वैसे ही ये सभी लोग अपने अपने क्षेत्र में कूद पड़े और आज पूरे विश्व में अपने काम से जाने जाते हैं। हमें भी हिन्दी भाषा को लेकर कुछ ऐसा ही प्रयास करना होगा। और ये प्रयास विश्वविद्यालय अपने स्थापना वर्ष से ही प्रारंभ कर चुका है। उन्होंने आगे कहा कि हिन्दी भाषा को विश्व पटल पर अंकित करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है।  

श्री जवाहर जी ने कहा कि प्रवासी भारतीय वो लोग हैं जो विदेषों में हिन्दी भाषा, साहित्य और संस्कृति को स्थापित करने का काम किया है। विश्वविद्यालय के प्रवासी केन्द्र में यूरोप और आस्ट्रेलिया महाद्वीप के रचनाकारों ने संवाद किया है।
 
श्री कपिल कुमार जी ने संबोधित करते हुए कहा कि जब आप ज्यादा भाषाएं पढ़ते हैं तो आपका ज्ञान और आपका विजन भी आगे बढ़ता है। बेल्जियम के कानून पढ़ कर हमने दो साल में एक हिन्दू फोरम बनाया फिर हमारी भाषा, साहित्य और संस्कृति पर आगे बढ़े। उन्होंने अपनी रचना ‘छानी है खाक मैने सारे जहान की..’ भी सुनाई।  

श्री रोहित कुमार हेप्पी ने अपनी रचना ‘तुमने शब्द गढ़े जिये नहीं तुम कवि तो हुए कबीर नहीं..’ ’भारत में आया हूं अपनी मां के पास आया हूं..’ सुना कर सभी को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि हम सब चाहते हैं हिन्दी वैष्विक स्तर पर जाए। वे बताते हैं न्यूजीलैंड इंटरनेट पर पहली हिन्दी पत्रिका "भारत दर्शन" सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है।

श्री कमल ताउरी जी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज सबको पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। हमें आगे बढ़ने के लिए कदम उठाना होगा।

इस मौके पर विद्यार्थियों ने प्रष्न भी किए। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रति कुलपति डॉ. संगीता जौहरी के स्वागत उद्बोधन से हुआ। मंच का संचालन डॉ. मौसमी परिहार ने किया वहीं आभार श्री अरुणेश शुक्ल ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार, फैकल्टी और विद्यार्थी उपस्थित थे।  

Created On :   13 Sep 2022 7:51 AM GMT

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