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वन मित्र पोर्टल से मान्य हुआ जगन्नाथ का वनाधिकार दावा (खुशियों की दास्तां)
डिजिटल डेस्क, रीवा। रीवा वनाधिकार अधिनियम के तहत परंपरागत रूप से वनों में निवास करने वाले तथा खेती करने वाले वनवासियों को वनाधिकार पत्र प्रदान किये गये हैं। इससे उन्हें अपनी खेती की जमीन पर मालिकाना हक मिल गया है। रीवा जिले में ग्राम सभाओं द्वारा दर्ज वनाधिकार के 2700 से अधिक दावे साक्ष्य के अभाव में अमान्य कर दिये गये थे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर इन दावों का एमपी वन मित्र पोर्टल में ऑनलाइन दावा दर्ज करके पुन: सत्यापन किया गया। रीवा जिले में 721 अमान्य दावे वन मित्र पोर्टल से मान्य किये गये हैं। इनमें रीवा जिले के ग्राम मड़वा निवासी जगन्नाथ कोल भी शामिल हैं। उनके अमान्य दावे को वन मित्र पोर्टल द्वारा मान्य करते हुए वन अधिकार पत्र प्रदान किया गया है। वन अधिकार पत्र मिलने से प्रसन्न जगन्नाथ कोल ने बताया कि उनका परिवार पिछले 40 वर्षों से वन भूमि पर खेती कर रहा है। उनकी आजीविका का यही एक मात्र आधार है। वन अधिकार पत्र प्राप्त करने के लिये 2010 में ग्राम पंचायत के माध्यम से दावा दर्ज किया गया था किन्तु वन अधिकार पत्र प्राप्त नहीं हुआ था। अब वन अधिकार पत्र मिलने से वर्षों से जिस जमीन पर खेती कर रहे थे उसका मालिकाना हक मिल गया है। अब हमारे परिवार का पेट पालने वाली जमीन हमसे कोई छीन नहीं सकता है। उन्होंने वनाधिकार पत्र देने के लिये सरकार के प्रति कोटि-कोटि धन्यवाद ज्ञापित किया है।
Created On :   31 Oct 2020 3:44 PM IST