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कलयुगी बेटों ने जिन्दा मां-बाप को पहुंचाया श्मशानघाट, लगने लगे थे बोझ
डिजिटल डेस्क, वर्धा। बचपन में पढ़ा था कि त्रेता युग का एक बेटा श्रवण कुमार था, जिसने अपने बेबस मां-बाप को कांधों पर उठाया था। श्रवण के माता-पिता अंधे थे, कहते हैं कि उन्होंने श्रवण को कई मुसीबतों से पाला था। उस युग की कहानी भले ही सुनने वाले हर शख्स को भावुक कर देती है, लेकिन इस कलयुग में बापू की नगरी में जो हुआ, उसे जानकर दिल सिहर जाएगा, जहां मां-बाप को उनके बेटों ने जिन्दा ही श्मशानघाट पहुंचा दिया, क्योंकि बूढ़े मां-बाप जब पैरालिसिस का शिकार हो गए, तो बेटों को बोझ लगने लगे।
खबर की तरफ बढ़ने से पहले एक बात बता दें, कि त्रेता युग का पुत्र श्रवण रोजाना सुबह उठकर सबसे पहले अपने माता-पिता को स्नान कराने तालाब से पानी भरकर लाता था। फिर जंगल की ओर लकड़ियां बीनने जाता था। लकड़ियां आने के बाद चूल्हा जलता, और माता-पिता के लिए खाना बनाता था,
यहां ऐसा कुछ नहीं था। 85 के महादेव कोंडीबा अलाट और 68 साल की उनकी पत्नी मंजूला महादेवराव अलाट ने जिन बेटों को पाल-पोसकर बड़ा किया, उन्हीं ने दोनो को जिंदा श्मशानघाट पहुंचाया दिया, हालांकि कुछ जागरुक लोगों सहित अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद, राष्ट्रीय महिला परिषद और पुलिस ने मिलकर मामला सुलझा दिया।
साेमवार को समतानगर श्मशान भूमि में बैठे समाजसेवकों ने पुलिस की मदद से वृद्ध दंपति को फिर बेटों के पास पहुंचाया और बेटों को दोबारा ऐसा न करने के लिए काफी समझाया, लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था, दूसरे दिन घर के बड़े बेटे ने उन्हें फिर बाहर निकाल दिया। इस बार जब पुलिस को सूचना मिली तो फिर उन्हें बड़े बेटे के पास पहुंचाया गया।
वृद्ध पिता चल नहीं सकते और मां बोल तक नहीं सकती। दो बेटे हैं सुनील और अनिल। सुनील बड़ा बेटा है और अनिल छोटा। इसके अलावा दो बेटियां हैं, जिनका विवाह हो चुका है। दोनों बेटे मजदूरी करते हैं, उन्हें शराब की लत भी है। दोनों अपने माता-पिता का ध्यान नहीं रखते।
माता-पिता को बोझ समझकर छोटे बेटे ने उन्हें रविवार 21 अगस्त की रात के 7.30 बजे समता नगर इलाके की श्मशान भूमि में पहुंचा दिया। जैसे ही घटना की जानकारी लगी राष्ट्रीय महिला परिषद की कार्यकर्ता ने मदद के उद्देश्य से तहसील अध्यक्ष शीतल बघेल को जानकारी दी।
सभी श्मशान भूमि पहुंचे, तो वहां शव जलानेवाले टीन शेड के नीचे वृद्ध दंपति दिखाई दिए। महिला कार्यकर्ताओं और पुलिस की सहायता से दोनो को उनके घर पहुंचाया गया। उस वक्त राष्ट्रीय महिला परिषद तहसील अध्यक्ष शीतल बघेल, राष्ट्रीय महिला परिषद शहर उपाध्यक्ष उमा वाघमारे, राष्ट्रीय महिला परिषद सर्कल अध्यक्ष सरला वाडनकर, राष्ट्रीय महिला परिषद शाखा अध्यक्ष वरुड सेवाग्राम, सुनेना भिलाला, शकुंतला एंडाले मौजूद थे और सावंगी मेघे पुलिस नेे कार्रवाई की।
मरने से पहले ही माता-पिता के जला दिए कपड़े
बड़े बेटे अनिल ने वृद्ध दंपत्ति के कपड़ों को जला दिया था। जबकि हिंदू धर्म के अनुसार माता-पिता के मरने के बाद उनके कपड़ों को जलाया जाता है। वृद्ध पिता रेलवे विभाग में एक टैंकर पर ड्राइवर के रूप में कार्यरत थे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पेंशन मिलती थी।
फिर से निकाला घर से बाहर
महिला कार्यकर्ताओं ने वृद्ध दंपति को घर पहुंचाने के बाद दोबारा जब घर जाकर देखा, तो वहां कोई नहीं दिखाई दिया। इसके बाद उनकी तलाश की गई। कुछ समय बाद वे एक कार्यालय के पास छोटे बेटे अनिल के साथ बैठे हुए पाए गए। पूछने पर वृद्ध दंपति ने बताया कि उन्हें बड़े बेटे सुनील ने फिर से घर के बाहर निकाल दिया। पुलिस ने कार्रवाई कर फिर बड़े बेटे के पास पहुंचाया और समझाया।
क्या कहता है हमारा कानून
आपको बतादें वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा करना या घर से निकाल देना एक गंभीर अपराध है। इसके लिए पांच हजार रुपए का जुर्माना या तीन महीने की कैद या दोनों हो सकते हैं
इसके अलावा वरिष्ठ नागरिक या माता पिता दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के प्रावधान के तहत न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी के न्यायालय में भरण पोषण का आवेदन पेश कर सकते हैं।
Created On :   23 Aug 2022 9:21 PM IST