संकट में सोयाबीन व कपास उत्पादक , जानिए - कारण

Katol - Soybean and cotton producers in crisis, know the reason
संकट में सोयाबीन व कपास उत्पादक , जानिए - कारण
काटोल संकट में सोयाबीन व कपास उत्पादक , जानिए - कारण

 डिजिटल डेस्क, काटोल। लगातार मौसम की परेशानी के कारण किसानों को प्राकृतिक व मौसम में बदलाव से फसलों पर रोग जैसे संकट से जूझना पड़ रहा है। सरकार की गलत नीतियों के कारण सोयाबीन व कपास उत्पादक किसान त्रस्त हैं। तमाम मुसीबतों से  ली गई सोयाबीन बाजार में आने के बाद इसकी कीमतें कम हो गई है। वहीं कपास निकालने से पहले ही लाल्या रोग के प्रकोप से कपास का उत्पादन घटने के कगार पर है। ऐसी आशंका किसानों ने जताई है। तहसील में किसानों ने कपास के बाद सोयाबीन को पसंद किया। काटोल तहसील में 3900 हेक्टेयर पर बुअाई हुई है। आरंभ में अनियमित बारिश  ने किसानों को दो-तीन बार बुअाई को मजबूर किया, लेकिन बाद में हुई बारिश से फसल अच्छी हुई थी कि, लगातार बारिश से दमक वातावरण तथा खेती में पानी जमा होने के कारण कपास के पत्ते लाल होकर गलने की जानकारी तहसील कृषि अधिकारी सुरेश कन्हाके ने दी हैं। डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ अकोला से संबद्ध रामकृष्ण बजाज कृषि महाविद्यालय, पिपरी, वर्धा के अंतिम वर्ष की छात्रा यशश्री प्रफुल्ल गजभिये और सोनाली तागड़े ने कटोल तहसील के परसोड़ी गांव के किसानों को ई-फसल एप के बारे में डेमो कर मार्गदर्शन किया। इसके अलावा पिंक बॉड लार्वा प्रबंधन पर यशश्री प्रफुल गजबे, सोनाली दशरथ तागड़े ने मार्गदर्शन किया। इस अवसर पर डॉ. बी.के. सोताके, कार्यक्रम अधिकारी पीएस खोड़के, विषय विशेषज्ञ बी.पी. गिरि आदि उपस्थित थे। 
 

सिंचाई के लिए सड़क खोदकर की व्यवस्था, हो रही परेशानी

उधर मांढल में किसान परेशान हैं। कभी प्राकृतिक आपदा तो कभी मानव निर्मित आपदाओं में अपने खेतों का प्रबंधन करने को मजबूर होते हैं। किन्ही शिवणी  इलाकों में किसानों के साथ ऐसा ही हुआ है।  प्रशासन द्वारा कभी गंभीरता नहीं दिखाई गई। परिणामस्वरूप किसानों को खेत में जुताई, बुआई, आदि के लिए ट्रैक्टर से आना-जाना पड़ता है। एक खेत से दूसरे खेत में पानी ले जाने के लिए किसानों ने कॅनल की पार खोदकर पाइप ढोते हैं।  जैसे ही सिंचाई कार्य समाप्त हो जाते हैं, पाइप हटा दिए जाते हैं और खुदाई वाले क्षेत्र को मिट्टी से ढक दिया जाता है। ट्रैक्टर जैसे भारी वाहन आने और जाने से क्षेत्र गड्‌ढे में तब्दील हो गया है। फिलहाल सोयाबीन की फसल की कटाई और थ्रेसिंग बड़े पैमाने पर जारी रही है। लेकिन सड़क से प्रभावित किसान सोयाबीन की कटाई और ढेर लगा रहे हैं, क्योंकि थ्रेसिंग मशीन को खेत तक पहुंचने के लिए सड़क के सूखने का इंतजार करना होगा। दूसरी फसल बुआई का समय आ गया है, लेकिन रास्ते की समस्या चलते किसान मजबूर हैं| 

भारी वाहनों पर लगा प्रतिबंध, तैनात रहेंगे 2 पुलिस सिपाही

उधर कन्हान-तारसा रोड चौक तथा गहुहिवरा चौक से भारी वाहनों के आवागमन पर पाबंदी लगाने के साथ ही यहां पर 2 सिपाही तैनात रहेंगे। ज्ञात हो कि कन्हान-पिपरी के गहुहिवरा गांव की तरफ जाने वाले मार्ग पर भारी वाहनों का आवागमन की समस्या को लेकर विधायक एड. आशीष जयस्वाल की अध्यक्षता में 27 सितंबर को एक सभा ली गई थी। सभा में पारशिवनी के तहसीलदार, कन्हान के थानेदार, उपविभागीय पुलिस अधिकारी, प्रादेशिक परिवहन कार्यालय नागपुर के अधिकारी तथा क्षेत्र के ट्रांसपोर्टर्स उपस्थित थे। इससे पहले 17 सितंबर को शिवसेना के उपजिला प्रमुख वर्धराज पिल्ले द्वारा गहुहिवरा मार्ग पर भारी वाहनों का आवागमन पर पाबंदी लगाने की मांग की थी। पश्चात 22 सितंबर को कन्हान नगर विकास आघाड़ी के गट नेता राजेंद्र शेंदरे द्वारा गहुहिवरा क्षेत्र में नागरिकों के हस्ताक्षर का एक निवेदन कन्हान पुलिस स्टेशन में दिया गया था। 8 सितंबर को नप की साधारण सभा में मार्ग से भारी वाहनों पर पाबंदी का प्रस्ताव भी मंजूर किया गया था। गुरुवार को विधायक एड. आशीष जयस्वाल, शिवसेना उपजिला प्रमुख वर्धराज पिल्ले, नगराध्यक्ष करुणा आष्टणकर गहुहिवरा चौक पर स्वयं उपस्थित होकर भारी यातायात को रोकने लगे। विधायक जयस्वाल ने पुलिस विभाग को दो सिपाही तैनात व भारी यातायात पर पाबंदी के निर्देश दिए। इस अवसर पर उपाध्यक्ष डायनल शेंडे, नगरसेवक राजेश यादव, नगरसेवक राजू शेंदरे, दामोदर बंड, विनोद पात्रे, हरीश तिडके, चिंटू वाकुडकर, श्मशेर पुरवले, सोनू खान, शुभम येलमुले, शिवसेना कन्हान शहर प्रमुख मनीषा चिखले, लता लुंढेरे, वैशाली श्रीखंडे, लीना हारोडे, सभी राजनैतिक दल के कार्यकर्ता, गहुहिवरा चौक के व्यापारियों सहित नागरिक उपस्थित थे। 

कामठी के नया थाना में बनेगा 

वहीं नागपुर शहर पुलिस आयुक्त महिलाओं के लिए अतिसंवेदनशील होते हुए हाल ही में महिला कर्मचारियों की ड्यूटी का समय 12 घंटे से घटा कर 8 घंटे किया गया है। इससे महिला पुलिस कर्मियों को काफी हद तक राहत मिलेगी। वहीं अब इन महिला पुलिस कर्मचारियों के लिए नया थाना में जिला नियोजन समिति की ओर से तकरीबन 30 लाख रुपए की लागत से थाना इमारत से सटकर महिला विश्रामगृह बनाया जाएगा। इसका कार्य 2 अक्टूबर से शुरू किया जायेगा। महिला विश्राम गृह में महिलाओं के लिए कमरा, चेंजिंग रूम, बाथरूम व किचन जैसी सुविधा उपलब्ध रहेगी। नया पुलिस स्टेशन में वर्तमान में महिला 1 पीएसआई, 1 एएसआई, 4 एनपीसी, 10 पुलिस सिपाही ऐसे कुल 16 महिला पुलिस कर्मचारी हैं। जो नागपुर या अन्य जगहों से अपने कार्यस्थल पर आना-जाना करती हैं। नौकरी के दरम्यान परिवार को ज्यादा समय नहीं दिए जाने से पुलिस आयुक्त अमितेशकुमार ने महिलाकर्मियों के ड्यूटी का समय घटाकर 8 घंटे किया है। जल्द ही अब विश्राम गृह की सुविधा मिलेगी।

 

 

 

 

Created On :   3 Oct 2021 12:11 PM GMT

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