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खजुराहो डांस फेस्टिवल - श्रीविद्या अंगरा, ईनाक्षी सिन्हा, पवित्र कृष्ण भट्ट ने दीं प्रस्तुतियां
डिजिटल डेस्क छतरपुर । 47वें खजुराहो डांस फेस्टिवल की आखिरी शाम चार प्रस्तुतियां हुईं। नृत्य कलाकारों के तीर्थ के नाम से विख्यात मुक्ताकाशी मंच पर आखिरी शाम बेहद शानदार प्रस्तुतियां हुईं। इनमें सबसे खास बात यह रही कि बुंदेलखंड में जन्मी और छतरपुर में नृत्य की बारीकियां सीखने वालीं अमिता खरे और उनके साथियों ने भी कथक की शानदार प्रस्तुति दी। यहां एक प्रस्तुति उनकी रचना पर भी आधारित रही।
अमिता खरे की रचना में भगवान श्रीकृष्ण और राधा के श्रंगार की प्रस्तुति में जो प्रकृति चित्रण किया गया है वह बुंदेलखंड की प्रकृति से मेल खाता है। ऐसे में इन प्रस्तुतियों में बुंदेलखंड की संस्कृति, प्रकृति और लोक जीवन की छटा देखने को मिली।
कूचिपूडि़ से हुई आखिरी शाम की शुरुआत
मुक्ताकाशी मंच पर बुधवार को पहली प्रस्तुति श्रीविद्या अंगरा सिन्हा द्वारा प्रस्तुत कूचिपूडि़ नृत्य की हुई। इस नृत्य में श्रीविद्या अंगरा सिन्हा ने बेहद शानदार अभिनय करते हुए दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक श्रीविद्या अंगरा सिन्हा पिछले 25 साल से कूचिपूडि़ नृत्य कर रही हैं। इस मंच पर दूसरी शानदार प्रस्तुति ईनाक्षी सिन्हा द्वारा प्रस्तुत ओडिसी नृत्य की हुई। मूल रूप से कोलकाता की ईनाक्षी सिन्हा भारतीय शास्त्रीय नृत्य ओडिसी की प्रमुख एवं प्रतिभाशाली नृत्यांगना हैं। इनके द्वारा ओडिसी नृत्य में जिस तरह से ईश आराधना प्रस्तुत की उसे खूब सराहना मिली।
भगवान शिव को समर्पित रही पहली प्रस्तुति
खजुराहो नृत्य समारोह के आखिरी दिन अमिता खरे की पहली प्रस्तुति भगवान शिव की आराधना पर आधारित रही। यहां शिव प्रस्तुति अहीर भैरव में निबद्ध रही। नृत्य की संरचना अमिता खरे द्वारा की गई। अमिता खरे और उनके साथियों द्वारा प्रस्तुत कथक की शानदार प्रस्तुति में सितार पर अमरीश गंगराडे, तबले पर शहनवाज हुसैन, हरमोनिया पर मुनी मालवीय रहे। यहां गायन फेसल खान और वारुणी शर्मा ने किया। कथक नृत्य की प्रस्तुति देने के लिए खजुराहो पधारी अमिता खरे ने कहा कि एक बुंदेलखंडी होने के नाते खजुराहो नृत्य महोत्सव में शामिल होना मेरे लिए गौरव का क्षण है। बांदा में जन्मी और छतरपुर में अपनी शिक्षा ग्रहण करने वाली अमिता खरे ने नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा अपने घर से ही अपने सगे मौसा जी जो कि पद्मश्री बिरजू महाराज के शिष्य रहे हैं उन से प्राप्त की। इसके बाद गांधी आश्रम में आपने रामकृष्ण चौरसिया से इस नृत्य की विधिवत शिक्षा ग्रहण की। अमिता खरे की माताजी छतरपुर आकाशवाणी में उदघोषक रहीं हैं। वर्तमान में भोपाल के एक निजी स्कूल में संगीत एवं नृत्य की शिक्षा दे रही हैं। फिलहाल खजुराहो में अपने ग्रुप के साथ नृत्य की प्रस्तुति देने के लिए आई हुई हैं। अमिता खरे ने कहा कि वर्तमान युग में जिस तरह हमारे देश के युवा-युवतियों पाश्चात्य संगीत की ओर जा रही हैं उन्हें अपनी भारतीय कला, संस्कृति, नृत्य एवं संस्कारों पर गर्व होना चाहिए एवं इन्हें अंगीकार करना चाहिए।
पवित्र कृष्ण भट्ट नेे दी भरतनाट्यम की प्रस्तुति
भरतनाट्यम के प्रख्यात गुरु दीपक मजूमदार के शिष्य पवित्र कृष्ण भट्ट ने खजुराहो में भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी। नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा कलांजलि से वासन्धा के मार्गदर्शन में ली। पवित्र कृष्ण भट्ट नृतक के साथ-साथ अच्छे कोरियोग्राफर भी हैं। इनके द्वारा प्रस्तुत किए गए भरतनाट्यम को खूब सराहा गया। इसके साथ ही खजुराहो में मणिपुरी नृत्यांगना सिनम बासु सिंह ने मणिपुरी नृत्य की प्रस्तुति दी। मणिपुर की लोक शैली पर आधारित इस नृत्य में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करते हुए उनके शुद्ध प्रेम को परीलक्षित किया। प्रख्यात मणिपुरी ढ स्व. सिनम बोकुल सिंह की पोती दूरदर्शन दिल्ली की ए श्रेणी की कलाकार हैं। इनके द्वारा मुक्ताकाशी मंच पर प्रस्तुत किए गए मणिपुरी नृत्य को देखकर दर्शक भाव विभोर हो उठे।
Created On :   27 Feb 2020 3:27 PM IST