कोण्डागांव : ’’नंगत पीला’’ कार्यक्रम में 56 हजार से अधिक बच्चो की हुई पोषण स्तर की जांच

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कोण्डागांव : ’’नंगत पीला’’ कार्यक्रम में 56 हजार से अधिक बच्चो की हुई पोषण स्तर की जांच

डिजिटल डेस्क, कोण्डागांव। 31 अगस्त 2020 जिले से कुपोषण को पूर्ण रूप से समाप्त करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत जिले मे अभिनव प्रयोग के तहत कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के मार्ग दर्शन में जिले में वृहद स्तर पर ’’नंगत पीला’’ (स्वस्थ बच्चा) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के प्रारंभिक चरण में नंगत पीला कार्यक्रम द्वारा जिले के 1827 आंगनबाड़ी केन्द्र में दर्ज 57000 बच्चो को इससे जोड़ा गया है। इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन एवं महिला स्व-सहायता समुहो के द्वारा सभी 6 माह से 6 वर्ष के बच्चो का 5 जुलाई 2020 से 30 जुलाई 2020 तक वजन लिया गया। चूकिं पूर्व में वजन त्यौहार 2019 के पश्चात बच्चो में कुपोषण के स्तर की जांच हेतु वजन त्यौहार दोबारा नही मनाया गया था। इसलिए जुलाई 2020 में कलेक्टर के आदेश पर सुपोषण अभियान के अतंर्गत नंगत पीला कार्यक्रम की कार्ययोजना तैयार कर वर्तमान में कुपोषण की स्थिति की जानकारी हेतु सभी बच्चो का वजन लिया जा रहा है। पूर्व में वजन त्यौहार 2019 के अनुसार जब 57000 बच्चो का वजन लिया गया था उसमें लगभग 19975 बच्चो कुपोषित पाये गये थे परंतु वर्तमान में नंगत पीला कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 56000 से अधिक बच्चो का वजन लिया गया है। जिसमें 43990 बच्चे सामान्य पोषण स्तर पर पाये गये वहीं 10650 बच्चे मध्यम कुपोषित एवं 2052 बच्चे गंभीर कुपोषित पाये गये है। इस कार्यक्रम के संचालन हेतु जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक आंगनबाड़ी में एमयुएसी टेप, हाईट चार्ट एवं वजन की मशीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु डीएमएफ फण्ड से सहायता प्रदान की जा रही है। कुछ आंगनबाड़ी केन्द्रो में वजन मशीन की अनुपलब्धता को देखते हुए वजन मशीन को खरीदे जाने का कार्य आगामी दिनो में पूर्ण कर लिया जायेगा। 26 अगस्त से मध्यम एवं कुपोषित बच्चो के स्क्रीनिंग टेस्ट का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इस कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा 18 अगस्त को कार्यशाला आयोजित कर जिले के समस्त स्वास्थ्य से जुड़े मेडिकल आॅफिसर, आयुष डाॅक्टर, चिर्यायु दल एवं आरएमए डाॅक्टर्स को कार्यक्रम हेतु आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया गया था। इन स्वास्थ्य अधिकारियांे द्वारा प्रत्येक कुपोषित बच्चो की स्वास्थ्य जांच निकटतम जांच केन्द्र मे लाकर की जा रही है। इन बच्चो की जांच के दौरान बच्चो के परिजनो एवं स्वय बच्चे से विशेषज्ञो द्वारा तैयार प्रश्नावली के आधार पर कुपोषण के संभावित कारणो का पता लगाने का प्रयास किया जायेगा। इस प्रश्नावली के साथ बच्चो की वर्तमान फोटो एवं बायोडाटा का भी लिया जायेगा। इस प्रश्नावली के माध्यम से बच्चे में कुपोषण के सामाजिक, व्यवहारिक, परंपरागत एवं आर्थिक कारणो पर जोर दिया जायेगा इस प्रश्नावली में कुपोषण के मुख्य कारणो जैसे माता-पिता का कम उम्र में विवाह होना 2 बच्चो के बीच जन्म का अन्तर ना होना, माता-पिता के आर्थिक ठीक नही होने से पौष्टिक भोजन का ना मिलना, मौसमी बीमार होने पर उचित देखभाल ना होना, स्थानीय स्तर पर स्वच्छ पानी का उपलब्ध ना होना पर जोर देने के साथ व्यवहारिक कारणों जैसे खान-पान सही समय पर न करना, माता-पिता मे मद्यपान की आदते, रात्रि मे बिना खाये सोने की आदत, नवजात शिशु को प्रारंभ में स्तनपान ना कराने जैसी आदतो को भी इस प्रश्नावली मे शामिल किया गया है। कारणो का पता लगाने के पश्चात बच्चो में कुपोषण के कारणो के अनुरूप उन्हे दवाई एवं सलाह के साथ पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जावेगा। यह कार्य ग्राम की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, मितानिनो एवं स्थानीय स्व-सहायता समुहों के माध्यम से किया जायेगा। इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत मे प्रशासन द्वारा एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जायेगी। जो माह में कम से कम दो बार उक्त पंचायत के आंगनबाड़ी केन्द्र का निरीक्षण करेगा एवं शासन द्वारा हितग्राहियों को उपलब्ध कराये जा रहे योजना एवं सेवाओं का समीक्षा करेगा। जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों के बैठक मे अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा। यह योजना माह सितम्बर 2020 से मार्च 2021 तक संचालित किया जायेगा और अन्त में पुनः सभी बच्चो की स्क्रिीनिंग टेस्ट की जायेगी। इस प्रकार एक समावेशी प्रयास के माध्यम से जिले को कुपोषण के दंश से मुक्ति दिलाने का एक प्रयास नंगत पीला कार्यक्रम बनकर उभरेगा। इस कार्यक्रम से कई बच्चे कुपोषण को मात देकर उत्तम भविष्य को पा सकेंगें। क्रमांक/478/गोपाल

Created On :   1 Sep 2020 9:11 AM GMT

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