बड़े शहरों में सीखी पेशेवर बारीकियां, अब बदल रहे जिले की तासीर -उच्च शिक्षित युवाओं ने शुरू किये अपने स्वतंत्र व्यवसाय

Learned professional specifics in big cities, now changing the district - started independent business
बड़े शहरों में सीखी पेशेवर बारीकियां, अब बदल रहे जिले की तासीर -उच्च शिक्षित युवाओं ने शुरू किये अपने स्वतंत्र व्यवसाय
बड़े शहरों में सीखी पेशेवर बारीकियां, अब बदल रहे जिले की तासीर -उच्च शिक्षित युवाओं ने शुरू किये अपने स्वतंत्र व्यवसाय

 डिजिटल डेस्क  सिंगरौली (मोरवा)। प्राथमिक शिक्षा एक साथ प्राप्त करनेे के बाद उच्च शिक्षा के लिए देश के अलग अलग शहरों में पहुंचे। वहां पर अपनी पढ़ाई पूरी की, अलग अलग विधाओं में प्रशिक्षण लिया और जॉब भी किया। लेकिन कोई न कोई जरूरत उन्हें एक बार फिर उन्हें अपने जिले में खींच लायी है। किसी का लक्ष्य भी था कि वे अपनी पढ़ाई पूरी करने और जॉब एक्सपीरियंस लेने के बाद अपने जिले में ही अपना कैरियर संवारेंगे तो किसी के सामने पारिवारिक दायित्व उन्हें वापस ले आए। ऐसे ही आधा दर्जन युवाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए शहर की तासीर बदलने का कार्य कर रहे हैं। वे सभी अपने जॉब में रम गये हैं या फिर उसे ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तत्पर हैं। सबसे अच्छी बात है यह है कि से सभी एलकेजी से 10 प्लस 2 तक साथ पढ़ रहे थे। उसके बाद एक दशक बाद फिर वापस आ मिले हैं। एक दूसरे के व्यवसाय में मदद कर रहे हंै तो कुछ समय के लिये सबकुछ भूल कर पुराने दिनों में लौट जाते हैं। बदलते जमाने और बदलती फिजा के साथ युवा अपनी जिम्मेदारियों को आगे बढ़ा रहे हैं। जिनमें एमबीए, सीए, इंजीनियरिंग, मार्केटिंग और आर्थिक गतिविधियों को धार देने वाले वाले ऑनलाइन पेशेवर भी हैं। भास्कर ने मोरवा के एक ऐसे ही कुछ युवाओं से बात की। उनके समक्ष कोरोना के संकट और जॉब की समस्याओं पर भी चर्चा की। जिससे कुछ ऐसे तथ्य सामने आए कि आज का युवा अपने अपने कैरियर को लेकर कितना संवेदनशील हंै। उसे सुरक्षित भविष्य की रेखाएं खुद बनानी आती हंै। भले ही उनके गार्जिंयंस कितना भी चिंतित क्यों न हो लेकिन वे एक प्रोफेशनल के रूप में अपने आप को मजबूत खड़ा पाते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना के बाद जॉब और व्यवसायों में बड़ा बदलाव आया है। लेकिन कुछ युवाओं ने इस संकट का भी मुकाबला भी बड़ी दिलेरी के साथ किया है। उन्होंने अपने आपको परिस्थितियों के अनुसार ढाला है और तटस्थ खड़े हैं जो आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा हो सकते हैं।
और समय के साथ संभल गया बिजनेश
इंजीनियरिंग और कम्प्यूटर साइंस का कोर्स करने के बाद नोयडा की एक नामीगिरामी कम्पनी में बतौर लीड इंजीनियर जॉब किया। आईटी सेक्टर में काम करते हुए आराम नहीं मिला। जॉब के समय गांव, घर, परिवार और दोस्त सब छूट गये। कई बार जॉब छोडकऱ स्वतंत्र बिजनेस का ख्याल आया। पूरे पांच वर्ष ऐसे ही गुजारे, रह रह कर सिंगरौली याद आता रहा, कुछ सेविंग भी नहीं हो रही थी। इसी बीच पिता जी नहीं रहे, व्यवसायिक पृष्ठभूमि थी। अपना पुस्तैनी लोहे का व्यवसाय था। सबकुछ छोडकऱ अब उसे संभाल रहे हैं। पूरी स्वतंत्रता है, यहां के लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। काफी संतुष्टि है।
.....अविनाश सिंह, युवा व्यवसायी
सीखे फाइनेंस मार्केटिंग के गुर
एमबीए फाइनेंस मार्के टिंग के लिए 2013 से शुरूआत की। इस दौरान इंदौर में रहकर पेशे की बारीकियों को समझा। कई वर्ष बिड़ला गु्रप में जॉब किया। 2015 के बाद से मेरी अपनी फर्म है, मैं इक्विटी और कमोडिटी के लिए मार्के टिंग करता हूॅ। इस कार्य में काफी पेंचीदगी है, बिना जानकारी सिर्फ नुकसान ही होता है। लेकिन जानकारी जैसे जैसे बढ़ती जाती है,आर्थिक आजादी भी बढ़ती जाती है। अब ट्रेडिंग के लिए अपनी फर्म है, स्वयं इन्वेस्ट कीजिए और स्वयं अर्न कीजिए। अपने घर में रहकर व्यवसाय करने का आनंद ही कुछ और है।
...राहुल शुक्ला, युवा व्यवसायी
बड़े शहरों की जरूरतें पूरा करने का प्रयास
मैने एमबीए किया, बड़े शहर में जॉब किया। पांच वर्ष पहले बरगवां में होटल व्यवसाय की शुरूआत की। लगा की यह ग्रामीण अंचल है यहां पर कुछ अधिक मेहनत करने की जरूरत है। उसे किया और उसके साथ ही मोरवा में एक अलग सेटअप तैयार किया जा रहा था। मैं उसमें इन्वाल्व हो गया, देशी विदेशी मेहमानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने हुनर का उपयोग कर रहा हूॅ। जिले में संभावनाएं कम नहीं हैं। बरगवां और सिंगरौली के होटलों की देररेख के साथ यहां आने वाले लोगों की जरूरते पूरी की जाती हैं। काफी रोचक और अनुभव मिलता है, साथ ही परिवार के साथ रहने का मौका भी मिलता है। जो बड़े शहरों में जॉब करते हुए संभव नहीं था।
.... सुमित श्रीवास्तव, युवा व्यवसायी
 

Created On :   19 Aug 2020 9:51 AM GMT

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