छुट्टी की अर्जी लगा दशकों से गायब हैं कई शिक्षिकाएं, मेडिकल लीव का खेल जारी

Many government teachers are absent from school from the decades
छुट्टी की अर्जी लगा दशकों से गायब हैं कई शिक्षिकाएं, मेडिकल लीव का खेल जारी
छुट्टी की अर्जी लगा दशकों से गायब हैं कई शिक्षिकाएं, मेडिकल लीव का खेल जारी

डिजिटल डेस्क, सिंगरौली (वैढ़न)। शासकीय स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं। वहीं कई शिक्षक एवं अध्यापिकाएं छुट्टी की अर्जी लगाकर सालों से गायब चल रही हैं। लेकिन उनके विरूद्ध विभागीय कार्रवाई नहीं की गई और न ही उनके जगह पर किसी अन्य अध्यापक की नियुक्ति करने की प्रक्रिया ही शुरू की गई। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि छुट्टी की अर्जी लगाकर ड्यूटी से गायब रहने का ये खेल दशकों से चल रहा है। 

इस खेल में शिक्षक तो शामिल हैं ही सबसे ज्यादा गायब रहने वालों की सूची में शिक्षिकाएं ही हैं। जो नगर निगम क्षेत्र के कई स्कूलों में पदस्थ रहते हुए दूसरे शहरों में पदस्थ अपने पतियों के साथ रहती हैं। हैरत करने वाली बात यह है कि जिन स्कूलों से शिक्षिकाएं सालों से गायब चल रही हैं, वे सभी नगर निगम क्षेत्रांतर्गत आते हैं। लेकिन जिला शिक्षा विभाग एवं नगर निगम के ठीक नाक के नीचे शिक्षकों के गायब रहने का खेल सालों से खेला जा रहा है। गायब शिक्षिकाएं रसूखदार हैं अथवा शिक्षा अधिकारियों की कृपापात्र। इसके अलावा कई शिक्षक केवल वेतन लेने के लिए आते हैं। उनके जगह दूसरा कोई स्कूलों में पढ़ा रहा है। बदले में शिक्षक द्वारा टोकन अमाउंट उसे दिया जाता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्कूलों पर सवाल
नगर निगम क्षेत्रान्तर्गत स्कूलों से शिक्षिकाएं सालों से गायब रहते हुए नौकरी में बरकार हैं। तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित शासकीय स्कूलों की स्थिति तो और भयावह हो सकती है। क्योंकि दूरस्त क्षेत्रों में कोई अधिकारी जांच करने जाता ही नहीं है। बताया जाता है कि शासकीय माध्यमिक विद्यालय गड़हरा में बंगाल निवासी एक शिक्षक पदस्थ है, जिनके बदले वहां पर कोई बेरोजगार युवक पढ़ाता है। जब शिक्षक वेतन लेने आते हैं तो उस युवक को मेहनताने के तौर कुछ पैसा थमाकर फिर बंगाल चले जाते हैं।

केस नं-1
शाहपुर शाउमावि में पूजा सहायक अध्यापक के पद पर पदस्थ हैं। लेकिन वो सालों से गायब चल रही हैं। कुछ दिनों पहले चर्चा चली थी कि उन्होंने जिला पंचायत सीईओ के समक्ष इस्तीफा लिखकर दे दिया है। जब इस संबंध में जिला शिक्षा विभाग स्थित स्थापना शाखा प्रभारी से जानकारी ली गई, तो उन्होंने बताया कि सुना तो मैं भी था लेकिन इस्तीफे की कापी आज तक हमारी शाखा में नहीं आई। इसलिए उनका नाम सहायक शिक्षिका के रूप में पोर्टल पर दर्ज है।

केस नं-2
दूसरा केस भी शाउमावि शाहपुर का ही है। जहां पर पूनम सहायक अध्यापक के पद पर पदस्थ हैं। लेकिन वे भी बगैर छुट्टी के नदारद चल रही हैं। प्रधानाध्यापक ने बताया कि हमारे पास छुट्टी का आवेदन तो उन्होंने ने नहीं दिया है। लेकिन सुनते हैं कि मेडिकल लगाकर अपने पति के पास दूसरे शहर में रहती हैं। 

केस नं-3
तीसरा केस शासकीय विद्यालय कन्या वैढ़न का है। जहां पर सहायक अध्यापिका के रूप में स्वाति पदस्थ हैं। लेकिन मुंबई अपने पति के पास रहती है। जो पिछले 18 वर्षो से स्कूल की छुट्टियों के समय दो चार दिनों के लिए आती हैं। 

केस नं- 4
नौगढ़ स्थित शासकीय विद्यालय में सुषमा सहायक अध्यापक के रूप में पदस्थ हैं। लेकिन स्कूल में पढ़ाने कभी नहीं आती। वे दिल्ली में अपने पति के साथ रहती है। 

इनका कहना है
अभी तक हमारे संज्ञान में नगरनिगम क्षेत्रांतर्गत शाहपुर शापूमावि का मामला आया है। जिसमें से सहायक अध्यापक पूजा अपना इस्तीफा दे चुकी हैं। पूनम को शोकाज नोटिस जारी किया गया है। जैसे ही उनका जवाब मिलता है। उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
रोहिणी प्रसाद पांडेय, जिला शिक्षा अधिकारी


नगर निगम सीमा क्षेत्र के स्कूल  निगम आयुक्त के अन्तर्गत आते हैं। जहां तक ग्रामीण स्कूलों का सवाल है वहां शिक्षकों की अनुपस्थिति संबंधी कोई जानकारी हमारे संज्ञान में नहीं आई है। यदि आती है तो उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।
प्रियंक मिश्रा, मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत

Created On :   28 July 2018 2:08 PM IST

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