नागपुर मध्यवर्ती कारागृह अधीक्षक ने की कोर्ट की अवमानना, 7 दिन की जेल

Nagpur Intermediate Jail Superintendent commits contempt of court, jailed for 7 days
नागपुर मध्यवर्ती कारागृह अधीक्षक ने की कोर्ट की अवमानना, 7 दिन की जेल
कोर्ट नाराज नागपुर मध्यवर्ती कारागृह अधीक्षक ने की कोर्ट की अवमानना, 7 दिन की जेल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने नागपुर मध्यवर्ती कारागृह अधीक्षक अनूप कुमरे को हाईकोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया है।  अपने फैसले में न्यायमूर्ति विनय देशपांडे और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कुमरे को 7 दिन की जेल और 5000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। दरअसल, हाईकोर्ट जेल अधीक्षक की कार्यशैली से सख्त नाराज है। हाईकोर्ट ने अधीक्षक को सर्वोच्च न्यायालय की शरण लेने के लिए ़10 सप्ताह का समय दिया है। तब तक हाईकोर्ट का यह आदेश लागू नहीं होगा। इसके पूर्व मंगलवार को हाईकोर्ट ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव को अधीक्षक के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए 3 माह का समय दिया था। 

यह है मामला : कोरोना काल में जेल में बंद कैदियों के लिए राज्य सरकार ने आपातकालीन पैरोल का नियम लाया था। हनुमंत पेंदाम नामक एक कैदी ने पैरोल खत्म होने के बाद कारागृह पहुंच कर समर्पण का प्रयास किया, लेकिन उसके पास कोरोना निगेटिव प्रमाण-पत्र न होने का हवाला देते हुए उसे लौटा दिया गया। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। फिर इस कैदी की इसलिए आपातकालीन पैरोल नकार दी गई कि उसने पिछली बार स्वयं समर्पण नहीं किया। कारागृह के इस अजीबो-गरीब कार्यप्रणाली के खिलाफ कैदी ने याचिका दायर की। जब अदालत को पता चला कि यह एकमात्र मामला नहीं, ऐसे अनेक मामले हैं, जिसमें कुमरे अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। ऐसे में हाईकोर्ट ने अधिवक्ता फिरदौस मिर्जा को न्यायालयीन मित्र नियुक्त करके कुमरे पर अवमानना का मुकदमा शुरू किया। 

बार-बार दोहराई गलती
-हाईकोर्ट ने पाया कि कई मामलों में कुमरे का ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा है। बीते कुछ महीनों में कुमरे कई बार अदालत में झूठ बोलने और आदेश न मानने के लिए दोषी पाए गए हैं। 
-सर्वप्रथम 25 नवंबर 2020 को हाईकोर्ट ने कुमरे को चेताया था कि वे कोर्ट में प्रस्तुत शपथ-पत्र में झूठी जानकारी देकर अदालत को गुमराह करने का प्रयास न करें। 
-एक दूसरे मामले में हाईकोर्ट द्वारा जमानत के स्पष्ट आदेश के बावजूद कुमरे ने एक कैदी को जेल से रिहा नहीं किया था। इस पर हाईकोर्ट ने अवमानना का मामला चलाया, तो कुमरे ने कोर्ट से माफी मांग ली थी। तब हाईकोर्ट ने कुमरे की सर्विस बुक में इसका उल्लेख करने की सजा देकर उन्हें छोड़ दिया था। बाद में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिली थी।

Created On :   17 March 2022 9:49 AM IST

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