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सिंगरौली की उपलब्धि - सतत विकास मॉडल व आरएंडडी सेंटर पर अपना व्याख्यान दिया एनसीएल सीएमडी सिन्हा ने
डिजिटल डेस्क सिंगरौली वैढऩ। एनसीएल के सीएमडी प्रभात कुमार सिन्हा शुक्रवार दिल्ली में आयोजित वल्र्ड कॉन्फ्रेंस ऑफ प्रोडक्टिविटी साइंस में वल्र्ड एकेडमी ऑफ प्रोडक्टिविटी साइंस की फेलोशिप के लिए चुने गए हैं। श्री सिन्हा ने वल्र्ड कॉन्फेडरेशन ऑफ प्रोडक्टिविटी साइंस द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस में कोयला खनन के लिए एनसीएल के सर्वांगीण व सतत विकास मॉडल व आरएंडडी सेंटर पर अपना व्याख्यान दिया। श्री सिन्हा ने भविष्य व वर्तमान में खनन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एनसीएल में साइंस एंड एप्लाइड रिसर्च एलांयस एंड सपोर्ट की स्थापना के बारे में बताया। सारस के 4 मुख्य भाग में पहला अनुसंधान एवं विकास केंद्र की स्थापना है जिसके लिए आईआईटी बीएचयू से एमओयू किया गया है। दूसरे में आर-डी सेंटर को तकनीकी सहायता सुनिश्चित करने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स की स्थापना। तीसरे में कंपनी के तकनीकी ढांचे में निरंतर सुधार जिसमें सीईटीआई व सीडबल्यूएस का अपग्रेडेशन शामिल हैं। चौथे में तकनीकी प्लेटफार्मों से सबको एकीकृत करना है।
पहले भी मिल चुके हैं कई पुरस्कार
एनसीएल सीएमडी श्री सिन्हा के अदभुत प्रबंधकीय कौशल एवं नेतृत्व क्षमता की सराहना पहले भी उन्हें मिले कई ख्यातिलब्ध पुरस्कारों के जरिये हो चुकी है। खुली कोयला खदानों में प्रतिकूल परिस्थितियों में किए जाने वाले ओवर बर्डेन डंप प्रबंधन के तौर-तराकों से जुड़ी बेहतरीन केस स्टडी लिखने के लिए हाल ही में माइनिंग क्षेत्र की प्रतिष्ठित संस्था एमजीएमआई ने उन्हें सम्मानित किया था। साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम पीएसई का नेतृत्व करते हुए राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई दिलाने में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें प्रतिष्ठित इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स आईसीसी पीएसई एक्सिलेंस अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका हैं।
वैश्विक कोयला उद्योग की व्यापक समझ
श्री सिन्हा ने दिसंबर 2017 में एनसीएल में बतौर सीएमडी कार्यभार संभाला। उनके नेतृत्व में एनसीएल ने 100 मिलियन टन का लक्ष्य पार किया जो न सिर्फ निर्धारित लक्ष्य से अधिक रहा बल्कि यह कंपनी के इतिहास में कोयला उत्पादन और प्रेषण का रिकॉर्ड है। वैश्विक कोयला उद्योग की व्यापक समझ रखने वाले श्री सिन्हा आस्ट्रेलिया, पोलैंड, इस्तांबुल टर्की, अमेरिका के लास वेगास आदि जगह आयोजित कॉन्फ्रेंस में भारतीय कोयला उद्योग की नुमाइंदगी कर चुके हैं। कोयला उद्योग की वैश्विक बारीकियों से रूबरू होने के लिए वे स्वीडन, स्विट्जरलैंड एवं जर्मनी का दौरा भी कर चुके हैं। कोयला उद्योग से जुड़े वृहत विषयों पर वे विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर टेक्निकल पेपर प्रेजेंट कर चुके हैं।
Created On :   8 Feb 2020 2:40 PM IST