मोरवा से वैढऩ आएगा एनसीएल मुख्यालय- सीएमडी समेत सारे डायरेक्टर्स और आला अधिकारी पहुंचे हर्रई

NCL Headquarters to come from Morwa - all directors including CMD and top officials arrive
मोरवा से वैढऩ आएगा एनसीएल मुख्यालय- सीएमडी समेत सारे डायरेक्टर्स और आला अधिकारी पहुंचे हर्रई
मोरवा से वैढऩ आएगा एनसीएल मुख्यालय- सीएमडी समेत सारे डायरेक्टर्स और आला अधिकारी पहुंचे हर्रई

डिजिटल डेस्क सिंगरौली वैढऩ। एनसीएल मुख्यालय क्या मोरवा से वैढऩ आने जा रहा है? यह सवाल जिले के सभी हलकों में गूंज उठा। वजह थी, एनसीएल सीएमडी सहित डायरेक्टर्स और आला अधिकारियों का हर्रई पहुंचना। हर्रई पूर्व और पश्चिम की लगभग 125 एकड़ जमीन एनसीएल के पास है। यूं तो इस जमीन पर एनसीएल ने बाउंड्री करवा रखी है लेकिन शनै: शनै: जमीन पर अतिक्रमणकारियों का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। 
सिंगरौलीवासियों खासकर मोरवा के वाशिंदों को बहुत अच्छी तरह याद होगा कि वर्ष 2015 के अगस्त माह में जब एनसीएल के तत्कालीन सीएमडी टीके नाग ने कोयले के लिए मोरवा को उजाड़े जाने का संकेत दिया था, तब लोगों को यकीं नहीं हुआ था लेकिन एक साल के बाद ही धारा 4 की घोषणा ने तमाम कयासों पर विराम लगा दिया। ठीक, ऐसा ही हर्रई की जमीन पर एनसीएल के वर्तमान सीएमडी पीके सिन्हा का चहलकदमी करना बेमानी नहीं हो सकता। कहा, जा रहा है कि एनसीएल प्रबंधन मोरवा के विस्थापित होने की दशा में अपना मुख्यालय वैढऩ में बनाने को राजी हो गया है। यही कारण है कि श्री सिन्हा ने निदेशक तकनीकी गुणाधार पांडेय, निदेशक फाइनेंस और कार्मिक नागनाथ ठाकुर, जीएम सिविल एके सिंह, अपकमिंग जीएम सिविल जीके राघव, जीएम एडमिन यूके दुबे, जीएम लीगल केके सिंह, वरीय प्रबंधक लीगल जीपी सिंह के साथ हर्रई का निरीक्षण किया। सीएमडी के पहुंचने के पूर्व ही प्रबंधन ने वहां न केवल जमीन के स्वामित्व वाले बोर्ड लगा दिए थे बल्कि जेसीबी के जरिए साफ सफाई शुरू करवा दी थी। 
डिजाइन भी तैयार 
सूत्रों की मानें तो एनसीएल ने वैढऩ में प्रस्तावित अपने मुख्यालय भवन और आवासीय कालोनी का डिजाइन भी तैयार करा लिया है। इसके लिए सीएमपीडीआई और एनबीसी यानी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन की मदद ली है। यदि कोई अड़चन नहीं आई तो तीन माह के भीतर ही यहां युद्धस्तर पर काम शुरू हो जाएगा।
लीज पर है जमीन
हर्रई में एनसीएल के अधिकार क्षेत्र वाली जमीन लीज पर है। यह जमीन साडा यानी स्पेशल क्षेत्र विकास प्राधिकरण से वर्ष 1989 में ली गई थी। जिसका भू-भाटक आज भी एनसीएल दे रहा है। वित्तीय वर्ष 18-19 में उसने 3 लाख भू-भाटक अदा किया था। कहा जाता है कि एग्रीमेंट के पेपर में साडा हाउसिंग एंड एनवायरमेंट डिपार्टमेंट मध्यप्रदेश शासन ने करार करते हुए एनसीएल से 87 लाख रूपए लिए थे। 
 

Created On :   20 Sept 2019 6:10 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story