डीजीपीएस से खदानों का सीमांकन न कराने पर आधा सैकड़ा लीज धारकों को थमाई नोटिस

Notice given to half a hundred lease holders for not getting the demarcation of mines done by DGPS
डीजीपीएस से खदानों का सीमांकन न कराने पर आधा सैकड़ा लीज धारकों को थमाई नोटिस
खनन नीति 2022 में हुआ नया प्रावधान डीजीपीएस से खदानों का सीमांकन न कराने पर आधा सैकड़ा लीज धारकों को थमाई नोटिस

डिजिटल डेस्क, रीवा। डीजीपीएस (डिफरेंशियल ग्रेवल पोजीशन सिस्टम) से खदानों का सीमांकन न कराने पर कलेक्टर मनोज पुष्प ने रीवा जिले के आधा सैकड़ा खदान धारकों को नोटिस जारी की है। जारी नोटिस में एक माह के भीतर खदान धारकों को डीजीपीएस सिस्टम से खदानों का सीमांकन कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा है। बताया गया है, कि पूर्व में डीजीपीएस सिस्टम से सिर्फ मुख्य खनिज की खदानों का सीमांकन कराने का नियम था। लेकिन शासन ने नई खन6न नीति 2022 के अंतर्गत गौण खनिज की खदानों के लिए भी डीजीपीएस सिस्टम से सीमांकन कराने का प्रावधान कर दिया। बताया गया है कि रीवा जिले में कुल खनिज खदानों की संख्या 190 है। जिसमें से मुख्य खनिज की लगभग 30 खदानें या तो बंद हैं या फिर पर्यावरणीय स्वीकृति की वजह से प्रक्रिया में है। इस समय 11 मुख्य खनिज की खदानें शुरू हैं। शेष जो डेढ़ सौ गौण खनिज की खदाने हैं वे सभी चालू हालत में हैं। बताया गया है कि इसमें से सौ खदान धारक या लीज धारकों ने विभिन्न एजेंसियों से खदानों का डीजीपीएस सिस्टम से सीमांकन करा लिया है। जबकि आधा सैकड़ा खदान धारकों ने इस नए सिस्टम से गौण खनिज खदानों का सीमांकन अभी तक नहीं कराया है जिसे कलेक्टर द्वारा नोटिस जारी की गई है। नोटिस में तार फैंसिंग, पौधरोपण और आवश्यक रायल्टी जमा करने के साथ समय-समय पर उत्पादन की जानकारी देने को भी कहा गया है।

क्या है डीजीपीएस सिस्टम-

डीजीपीएस सिस्टम दरअसल सेटेलाइट पर आधारित है। जिसमें अक्षांश और देशांस के आधार पर खदान की सीमा निर्धारित की जाएगी। सूत्रों के अनुसार अभी तक खनिज की खदानों का सीमांकन राजस्व विभाग द्वारा पटवारी नक्शे के आधार पर किया जाता है। लेकिन डीजीपीएस सिस्टम से सीमांकन से न सिर्फ अक्षांश और देशांस के आधार पर खदान की सीमा का निर्धारण हो जाएगा बल्कि पटवारी नक्शे के आधार पर पूर्व में किए गए सीमांकन से उसकी क्रास चेकिंग भी हो जाएगी।

अवैध खनन की हो सकेगी जानकारी-

डीजीपीएस सिस्टम से खदानों का सर्वे कराने के बाद यदि खदान धारक लीज खदान से बाहर जाकर खनिज का खनन करेगा तो सेटेलाइट के माध्यम से यह तत्काल सामने आ जाएगा कि लीज खदान के बाहर कितनी दूरी और कितने रकबे में खनिज का अवैध खनन किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो गौण खनिज खदानों के लीज धारक इसी वजह से इस सेटेलाइट सिस्टम से खदानों का सीमांकन नहीं करा रहे हैं कि इसके बाद उनके लिए लीज खदान के बाहर खनिज का अवैध खनन संभव नहीं होगा। बताया गया है कि इस डीजीपीएस सिस्टम से खदान का सीमांकन कराने से अवैध खनन को रोका जा सकेगा। सूूत्रों के अनुसार यदि स्वीकृत खदानों में भी अवैध खनन हो रहा है तो इसकी भी जानकारी सामने आ जाएगी।

ऑनलाइन होगी मॉनीटरिंग-

खनिज विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो डीजीपीएस सिस्टम से खदानों का सीमांकन कराने के बाद खदान क्षेत्र की गतिविधियों पर ऑनलाइन मॉनीटरिंग की जाएगी। इसके लिए भोपाल में खाली स्तर पर अधिकारियों की टीम तैनात रहेगी। रीवा जिले में किसी भी खदान के बाहर अवैध खनन पर इसकी जानकारी मुख्यालय को तत्काल मिल जाएगी और फिर इससे जिला स्तर के खनिज अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। इसके बाद स्थानीय स्तर पर कार्रवाई होगी।
 

Created On :   2 May 2022 1:26 PM IST

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