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अब ड्रोन से होगी कोयला खदानों की निगरानी, हरी झंडी का इंतजार
डिजिटल डेस्क सिंगरौली (मोरवा)। कोल इंडिया की अनुषांगी कम्पनी सीएमपीडीआई ने जुलाई माह में एनसीएल की चार खदानों मेें ड्रोन सर्वेक्षण कराया था। खदानों में जैविकीय और तकनीकि भूमि पुनरूद्धार के क्षेत्र में मूल्यांकन करने के लिये पूर्व में किये जाने वाली मापन प्रणाली और ड्रोन सर्वे से प्राप्त परिणामों को बेंचमार्क करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। जुलाई माह में सीएमपीडीआई ने प्रायोगिक परियोजना के रूप में एयरबोर्ड लिडार का प्रयोग कर कोयले की माप तथा ओवर बर्डेन की मात्रा के साथ साथ संचालन योजना के लिये खदानों के ऊपर ड्रोन से डाटा कलेक्ट किये थे। जैसे ही डाटा परिणाम आयेंगे एनसीएल की खदानों में ड्रोन उड़ाने की तैयारी कर ली जायेगी। बीते दिनों एनसीएल की अमलोरी, निगाही, जयंत और दुधिचुआ में किये गये इस प्रयोग को लेकर प्रथम दृष्टया यही माना जा रहा है कि खदानों की सुरक्षा के लिये मानव रहित वायवीय यान अर्थात ड्रोन का उपयोग किया जायेगा। इस दिशा में कार्य कर रहे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यूएवी आधारित मानीटरिंग अपने अति उच्च रिजोल्यूशन तथा मांग आधारित डाटा एक्वीजिशन के कारण एक नये परिदृश्य में इसे लिया जा रहा है। जिससे खदानों के 3डी मानचित्र बनाये जायेंगे। इससे कई प्रकार के कार्य सही दिशा में किये जा सकेंगे। खदानों के पहुंच विहीन एरिया, फारेस्ट एरिया की सही लोकेशन प्राप्त की जा सकेगी। इससे यह भी चिन्हित किया जा सकेगा कि क हां और कितनी भूमि खाली है अथवा किस स्थिति में है। खदान का सरफेस लेबल क्या है, इस प्रकार की तमाम जानकारियां शीघ्र ही आने की संभावना है।
हरी झंडी का इंतजार
सूत्रों ने बताया कि इस ड्रोन प्रणाली का उपयोग करने के लिये सरकार ने मसौदा तैयार किया है। वर्तमान में स्वीकृत ड्रोन सर्वेक्षण विशेष क्षेत्र व विशेष समय के लिये किया गया है। सिविल आपरेशन के लिये यूएवी का प्रयोग करने के लिये दिशा निर्देश डीजीसीए द्वारा बनाया गया है। जिसे सरकार द्वारा अनुमोदन की प्रतीक्षा की जा रही है। एक बार दिशा निर्देश अनुमोदित हो जाने के बाद कोल इंडिया सभी कोल माइनिंग आपरेशन के मानचित्रण और मानीटरिंग के लिये ड्रोन टेक्नोलॉजी का प्रयोग बड़े पैमाने पर करेगा। जिससे अधिक सक्षम और प्रभावी संसाधन प्रबंधन के लिये भी नये रास्ते खुलेंगे।
Created On :   16 Oct 2017 1:40 PM IST