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नगर निगम अध्यक्ष की कुर्सी पर संकट के बादल! विपक्षी कर रहे अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी
डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)। भले ही नगर निगम में सत्ता पक्ष के 27 पार्षद हों लेकिन नगर निगम अध्यक्ष के खिलाफ इस समय अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी जोरशोर से चल रही है। इस तैयारी में अगुवा तो विपक्षी पार्षदों को बनाया जा रहा है लेकिन उसे अमलीजामा पहनाने में सत्ता पक्ष के पार्षद ही लगे हुए हैं। सत्ता पक्ष के पार्षदों की जो नगर निगम अध्यक्ष से नाराज चल रहे हैं उनकी रणनीति यह है कि पहले तो अविश्वास प्रस्ताव लाया जाये। उसके लिये कम से कम 15 पार्षदों की आवश्यकता है। यदि विपक्ष के मौजूदा 17 पार्षद इस बात के लिये तैयार हो जाते हैं तो निश्चित रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। यदि अविश्वास प्रस्ताव आ गया तो पास हो जाना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है क्योंकि सत्ता पक्ष के दर्जन भर पार्षद नगर निगम अध्यक्ष से नाराज चल रहे हैं। निश्चित रूप से वह पार्टी के निर्देशों यदि कोई मिले तो उन्हें दरकिनार कर नगर निगम अध्यक्ष के खिलाफ वोटिंग करेंगे। विशेष बैठक में पार्षदों का रवैया देखकर तो यह भी नहीं कहा जा सकता कि संगठन की ओर से निगम अध्यक्ष को किसी प्रकार का समर्थन मिल पायेगा। ऐसे में स्थितियां विपरीत हो सकती हैं लेकिन राजनीति के माहिर खिलाड़ी नगर निगम अध्यक्ष भी कच्ची गोलियां नहीं खेलते। वह चुपचाप तो बैठे नहीं रहेंगे, कुछ तो ऐसा कर ही रहे होंगे कि अविस्वास प्रस्ताव आने ही न पाये। क्योंकि वह भी जानते हैं कि यदि अविश्वास प्रस्ताव आया तो पास होने से कोई नहीं रोक पायेगा। इसलिये पहली बार की तरह वह इस बार भी अविश्वास प्रस्ताव की भ्रूण हत्या करवाने का प्रयास करेंगे।
खिलाफ में है संख्या का गणित
सदन में विपक्षी पार्षदों की तादात के अनुसार संख्या का गणित नगर निगम अध्यक्ष के खिलाफ है। विपक्ष के कुल 17 पार्षद हैं, एक पार्षद की मृत्यु होने के बाद उनकी सीट खाली है। जिनमें तीन निर्दलीय पार्षद हैं। एक पार्षद को अभी तक शपथ नहीं दिलायी जा सकी है। तीन निर्दलीय पार्षदों में से एक स्वर्गीय भगत सिंह की पत्नी बन्तो कौर कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज कर चुकी हैं, इनको शपथ लेना अभी भी शेष है। हीरालाल सोनी किस दल में हैं यह किसी को नहीं पता और मुनिया देवी अभी तक निर्दलीय ही हैं। विपक्षी पार्षदों में नगर निगम अध्यक्ष के खास रहे तमाम पार्षदों ने उनका साथ छोड़ दिया है, लेकिन अब भी कुछ पार्षद हैं जो उनके साथ खड़े हुए हैं। यदि ये पार्षद टूट जाते हैं तो अविश्वास लाने लायक प्रस्ताव तैयार हो सकता है वर्ना पिछली बार की तरह ही पूरा अभियान कुछ दिन में टांय-टांय फिस्स हो जायेगा।
भाजपा में फिर हो सकता है विद्रोह
विपक्षी पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिये इतने आतुर नहीं हैं जितने कि सत्ता पक्ष के लोग, यदि वह पार्टी से बंधे न होते तो अब तक स्वयं प्रस्ताव ले आये होते। यदि निगम अध्यक्ष की पार्टी में वापसी न हुई होती तो भी अविश्वास प्रस्ताव आ गया होता। लेकिन पार्टी से बंधे होने के कारण वह खुलकर साथ नहीं दे पा रहे और अपनी पार्टी के अध्यक्ष का विरोध नहीं कर पा रहे हैं। कुछ भाजपा के पार्षदों में बेचैनी इतनी ज्यादा है कि बहुत दिनों तक उनको रोके नहीं रखा जा सकता। यह भी हो सकता है कि विपक्ष के पार्षदों की जितनी संख्या कम हो, उतने भाजपा के पार्षद पार्टी से विद्रोह कर दें। यदि ऐसा होता है तो भाजपा के लिये निगम अध्यक्ष के चुनाव जैसे हालात उत्पन्न हो जायेंगे। चुनावी वर्ष होने के कारण भाजपा इन परिस्थितियों से बचना चाहती है।
Created On :   16 Feb 2018 1:48 PM IST