लॉकडाउन अवधि में घर पर उगाई आर्गेनिक सब्जियां

Organic vegetables grown at home during the lockdown period
लॉकडाउन अवधि में घर पर उगाई आर्गेनिक सब्जियां
लॉकडाउन अवधि में घर पर उगाई आर्गेनिक सब्जियां

-खुद भी किया उपयोग, पड़ोसियों में भी बांटीं, अब शुरू हुआ दूसरा सीजन
-घर की छत, बगान, लॉन और बॉलकनी को क्यॉरियों में किया तब्दील
डिजिटल डेस्क  सिंगरौली (वैढऩ)।
लॉकडाउन में घर में रहने के साथ ही समय का सदुपयोग करने के लिए घर में ही बागवानी और साग सब्जी उगाने का आइडिया अब फलीभूत हो रहा है। गर्मी के सीजन में तैयार की गई साग सब्जियां अब घर की किचेन में पहुंच रही हैं। इतना ही नहीं कुछ लोगों ने तो मेहनत करके पड़ोसियों को भी घर में बोयी हुई सब्जियों का स्वाद चखाया। उन्हें प्रोत्साहित किया है और उसका परिणाम यह हुआ है कि बरसात में उगने वाली सब्जियां को उगाने की होड़ सी लग गयी है। कम से कम हरी धनियां और टमाटर तो हर गमले में उगे हुए हैं। जिला मुख्यालय वैढऩ, विंध्यनगर, नवानगर, मोरवा और एनसीएल के आवासों की खाली जमीन साग सब्जियों से भर गयी हैं। इतना ही नही आवासों की छतों का भी बड़े ही करीने से इस्तेमाल कर कई लोगों ने अपने उपयोग से कहीं ज्यादा सब्जियां उगायी गई हंै। इन सबके प्रेरणास्रोत विक्की भवसिंका हैं, जो पिछले कई वर्षों से सैकड़ों की किस्म की सब्जियां, फल, मसाले और फूल अपनी छत पर उगा रहे हैं। 
प्रस्तुत किया नायाब नमूना
हर्रई आवास योजना एवं एमआईजी कॉलोनी के नवजीवन विहार निवासी एसडी गर्ग ने घर के गमलों में जैविक विधि से सब्जियां उगाकर एक नायाब उदाहरण प्रस्तुत किया है। वे अपने मुहल्ले की रहवासी कल्याण समिति के सदस्य भी हैं। श्री गर्ग ने पेंट और डिस्टेंपर, ऑयल के प्लास्टिक के खाली डिब्बों का उपयोग करके कम्पोस्ट बिन बनाया। घर की रसोई से निकलने वाले फलों के छिलके, सब्जी के छीलन और बचे हुए खाने को जैविक खाद बनाने में उपयोग किया।
पहले बनायी खाद फिर उगायी सब्जी
श्री गर्ग बताते हैं उन्होंने जैविक खाद और सब्जियां उगाने का कार्य साथ साथ किया। एक तरफ गमलों में भिंडी, बरबटी, फूलगोभी, पत्ता गोभी, टमाटर, साग, खीरा, मिर्च और धनियां बोया तो दूसरी तरफ जैविक खादें तैयार की। इस प्रकार से पौधे बढ़ते गये और उनके लिए उर्वरा शक्ति प्रदान करने के पुर्नचक्रिक डिब्बों में तैयार खाद का उपयोग सब्जियों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए किया। इस प्रकार जैविक खाद और घर के गमलों में उगायी गयी सब्जियों का भरपूर उपयोग किया। उन्होंने दावा किया कि वे लॉकडाउन अवधि में कभी भी सब्जी खरीद कर नहीं लाए बल्कि पड़ोसियों को भी खिलायी हैं।
सब्जियां ही नहीं फल भी
वैढऩ के गनियारी में सचिन दवे और उनकी पत्नी शिखा दवे ने लॉकडाउन में पूरे परिवार के साथ जमकर बागवानी की। जिससे उन्होनें अपने घर के हर संभव स्थान पर साग सब्जियां बोई। गमलों में फलदार पौधे लगाए अब वे घर में करैला, बरबटी, भिंडी, टमाटर, लौकी तोड़ते हैं और सीधे रसोई में पहुंचा देते हैं। इतना ही नहीं गमलों में लगाए गये फलदार पौधों से शरीफा और अमरूद भी मिलने लगे हैं। समय का सदुपयोग और उनकी मेहनत का फल पूरे परिवार को मिल गया है। वे अपनी मेहनत से संतुष्ट हंै तो दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण में सब्जी बाजार जाने की मजबूरी से भी मुक्त हंैं। घर का वातावरण भी हरा भरा है जो ताजगी देता है साथ ही हवा के झोंकों के साथ कभी अमरूद तो कभी हरी धनियां की भीनी भीनी गंध बिखेर जाती है। वेस्ट मैटेरियल वॉटर बॉडी और जैविक खाद कम्पोस्ट को भी यूटिलाइज किया। अब किचेन गार्डेन के रूप में सब्जियों का उपयोग किया जा रहा है।
 

Created On :   5 Sep 2020 1:11 PM GMT

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