कर्नाटक और उड़ीसा की धान पैदा होगी विंध्य में, कृषि विज्ञान केन्द्र में चल रहा परीक्षण 

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कर्नाटक और उड़ीसा की धान पैदा होगी विंध्य में, कृषि विज्ञान केन्द्र में चल रहा परीक्षण 

डिजिटल डेस्क, रीवा। रीवा संभाग में अभी तक जहां परंपरागत धान की फसल उगाई जा रही थी वहीं आगामी दो साल में संभाग के रहवासी कर्नाटक एवं उड़ीसा में उगाई जाने वाले चावल का स्वाद लेंगे। इस संबंध में कृषि विज्ञान केन्द्र में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण के जो परिणाम सामने आए हैं उसके अनुसार कर्नाटक एवं उड़ीसा में उगाई जाने वाली फसल हमारे मौसम के प्रति अनुकूल है। दो साल के बाद विंध्य क्षेत्र के किसानों के खेतों में यह फसल लहलहाती हुई नजर आएगी।

तीन साल चलता है परीक्षण 

किसी भी नई फसल को प्रयोग में लाने के पूर्व उसका परीक्षण कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र में किया जाता है। इस दौरान फसल को उगाने से लेकर उसकी देखरेख दवाई, खाद, कीटनाशक आदि के बारे में परीक्षण किया जाता है। वैज्ञानिकों द्वारा परीक्षण के दौरान यह देखा जाता है कि संबंधित फसल हमारे पर्यावरण के अनुकूल है या नहीं। पिछले वर्ष हुए परीक्षण के जो परिणाम सामने आए हैं उसके अनुसार कर्नाटक एवं उड़ीसा के धान की फसल हमारे पर्यावरण के अनुकूल है। हालांकि वैज्ञानिक फसल को लेकर कोई खतरा नहीं लेना चाहते। इसी कारण से वह दो साल तक अभी और परीक्षण करेंगे।  

पांच किस्मों का प्रयोग 

कृषि विज्ञान केन्द्र में धान की पांच फसलों का परीक्षण किया जा रहा है।  कृषि वैज्ञानिकों द्वारा धान की जिन पांच किस्मों का परीक्षण किया जा रहा है उसमें कर्नाटक की एमटीयू 10-10, उड़ीसा की आईआर- 64 प्रमुख रूप से शामिल है। इसके अलावा धान की तीन अन्य फसलों का भी परीक्षण किया जा रहा है। धान की तीन जिन अन्य तीन फसलों का परीक्षण किया जा रहा है उसमें जेआर 81, जेआर 767 एवं जेआर- 53 किस्म शामिल हैं। उक्त तीनों फसलें जबलपुर संभाग में काफी मात्रा में उगाई जाती है। 

क्या कहते हैं अधिकारी 

कृषि वैज्ञानिक संजय सिंह ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र में धान की जिन पांच किस्मों का परीक्षण किया जा रहा है उनके रिजल्ट काफी सकरात्मक आए हैं। अभी दो साल और परीक्षण किया जाएगा। सब ठीक रहा तो कर्नाटक-उड़ीसा के चावल का स्वाद संभाग के लोग भी ले पाएंगे। इन धान की सबसे खास बात यह है कि 115 दिन में उड़ीसा में उगाई जाने वाली धान की फसल पककर तैयार हो जाती है। इन धान कि किस्मों में कीड़े भी बहुत कम लगते हैं।  

प्रति एकड़ उत्पादन 

कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा एक वर्ष पूर्व धान की जिन फसलों परीक्षण किया गया था उसके परिणाम काफी रोचक आए हैं। बताया गया है कि उड़ीसा के धान की किस्म आईआर-64 की जो उत्पादन क्षमत प्रति एकड़ 20 से 22 क्विंटल है। यह फसल चार में तैयार हो जाती है। कर्नाटक में उगाई जाने वाली फसल की किस्म एमटीयू-10-10 की उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ 23 से 25 क्विंटल है। जो कि कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार काफी अच्छा है। बतााय गया है कि कर्नाटक की फसल हल्की सुगंधित होती है। किसानों के बीच धान की यह फसल काफी लोकप्रिय है। इसी प्रकार धान की अन्य किस्मों की उत्पादन क्षमता भी प्रति एकड़ 20 से 25 क्विंटल के आस पास है।
 

Created On :   29 July 2019 9:02 AM GMT

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